Rishi Panchami - ऋषी पंचमी व्रत नियति (भाग्य) को सुधारने के साथ रजस्वला दोष से मुक्ति का मार्ग है।
ऋषियों को समर्पित करते हुए एक दिवस ऋषि व्रत। सभी सनातनी ने बाल्यावस्था से ऋषियों की गाथा, वर्णन, वृतान्त आदि अनेको प्रसंग सदा से सुनते चले आ रहे होंगे, किन्तु ऋषियों का सम्पूर्ण और वास्तविक ज्ञान ...
Radha Ashtami - राधाष्टमी को अवतरित वृन्दावनेश्वरी राधा जी, कलियुग में महालक्ष्मी स्वरूपा हैं।
कृष्ण वल्लभा का गुणगान सनातन संस्कृति के शास्त्रानुसार राधा जी का प्राकट्य दिवस, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है, जो श्री राधाष्टमी के नाम से प्रख्यापित है। जिसे 'राधा जयंती' के नाम से ...
Ganesh Chauth - शिव व गौरी पुत्र गणेश जी के अवतरण तिथि चतुर्थी में भी वैज्ञानिकता है।
गणेश जी भक्त की सरसता और सरलता में जीवन रस की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं अनादिकाल से ही गणेश महाराज को बुद्धि के देवता एवं सभी देवताओं में प्रथम देवता के रूप में सर्वोपरि ...
Haritalika teez - अखण्ड सुहाग का प्रतीक हरतालिका तीज एक प्रगतिशील वैज्ञानिक त्योहार है।
देवी-देवताओं और उनके वर्गीकृत स्वभाव और प्रकृति के अनुसार व्याख्या! पवित्रता, विविधता और चमत्कारों की भूमि भारत, वैदिक संस्कृति का भण्डार है, जिसे संक्षेप में बता पाना बहुत कठिन है, लेकिन प्राचीन संस्कृति की गहराई में ...
janmashtami - कृष्ण अर्थ, उद्देश्य, संस्कृति, तथा भाषा विज्ञान शोध में प्रकट आनंद का कृष्ण पथ
अनुरागी ह्रदय को कृष्ण मार्ग में गतिमान करिए और आनन्द के महासमुद्र को पा लीजिये। गोस्वामी जी के अनुसार - गगन समीर अनल जल धरनी। इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी || अर्थात भूमि, आकाश, वायु, अग्नि और ...
FULERA DUJ - फुलेरा दूज.. वो पर्व जब भगवान कृष्ण और राधा रानी ने खेली थी फूलों की होली
सनातन संस्कृति में प्रत्येक माह का अपना एक विशेष महत्व होता है। हर एक माह में कुछ ऐसे व्रत और पर्व आदि होते हैं, जिनको विशेष रूप से मनाया जाता है, इन्हीं में से एक ...
FALGUN - नवऊर्जा सृजन के साथ धार्मिक उत्सव का माह,... फाल्गुन मास।
सनातन पंचांग अनुसार संवत्सर के समापन का मास है फाल्गुन मास, जिसके समाप्त होते ही नए संवत्सर वर्ष का प्रारम्भ हो जाता है। फाल्गुन मास को फगुनई व फागुनी नाम से भी जाना जाता है। फाल्गुन ...
Rath Saptmi - रथ सप्तमी तिथि को किया दीप दान, स्वर्गीक सौभाग्य दिला सकता है।
सनातन संस्कृति और खगोलीय विज्ञान में प्रत्येक माह, दिवस और तिथि का अपना अलग-अलग महत्व है। माघ मास को सनातन संस्कृति में बहुत ही पवित्र और पुण्यदायक माना जाता है। माघ में कई ऐसी विशेष ...
Rohini Vart -रोहिणी व्रत मनः स्थिति, शारीरिक एवं मानसिक चेतना को प्रभावित करता है।
सनातन संस्कृति के वेदांग अथर्ववेद, तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और लगध ज्योतिष में नक्षत्रो का व्यापक वर्णन मिलता है।आकाश गंगा मे खगोलीय स्थिर पिंडो को तारा कहा गया है और इन्हीं तारों के समूह को नक्षत्र की संज्ञा दी गयी ...
Tulsi Vivah - तुलसी विवाह से ब्रह्मा, विष्णु, महेश को सयुक्त प्रसन्न कर कन्यादान का महापुण्य पाया जाता है।
विवाह का सीधा संबंध भावी जीवन की सम्पूर्ण संगति से है, जिसमे दु:ख-सुख, आपदा-विपत्ति, लाभ-हानि, उन्नति का साझा समन्वय सम्मिलित होता है, ऐसा ही एक विवाह शालिग्राम और तुलसी के पौधे का भी हैं। वनस्पति ...
Ekadasshi -देवउठनी एकादशी व्रत कर पितृ दोष से मुक्ति पाई जाती है।
दीपावली पर्व के उपरांत पड़ने वाला सनातनी पर्व देवउठनी एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस आदि नामो से जाना जाता है। वैदिक पुराणोंनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी ...
Akshay Navmi - अक्षय नवमी तिथि से लक्ष्मी कृपा और स्वास्थ्य, सौन्दर्यता का कभी क्षय नहीं होता है।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय या आंवला नवमी मनाया जाता है। इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने का भी चलन है। इस तिथि को व्रती परिवार की सुख ...
Gopashtmi - गोपाष्टमी को गौ सेवा कर देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न किया जाता है।
सनातन पंचाग अनुसार कार्तिक, शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि (गोपाष्टमी) को गाय की पूजा कर मनुष्य को खुशहाल और भाग्यशाली जीवन मिलता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ बिना गौ धन के कृषि के बारे ...
Chatt Pooja - छठ पूजा से शक्ति और ब्रह्मा का वरदहस्त प्राप्त होता है।
सूर्योपासना का यह लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। वेदों के अनुसार जगत रूपी शरीर की आत्मा सूर्य है, जिसके ...
Labh Panchami (Dipawali)- सौभाग्य, ज्ञान अथवा लाभ पंचमी का पर्व दीपावली पर्व की कमी पूरी करता है।
सनातन पंचांग अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लखेनी पंचमी, ज्ञान पंचमी, सौभाग्य पंचमी अथवा लाभ पंचमी का पर्व (त्यौहार) लोकप्रिय है। प्रकाश के पर्व दिपावली से लाभ पंचमी भी जुड़ा हुआ ...
Laxshami (Dipawali) - लक्ष्मी जी के पूजन से प्रसन्नता, उल्लास, मनोविनोद, और आनन्द प्रप्ति होती है।
लक्ष्मी जी के पूजन का शुभ मुहूर्त 4.11.2021 को प्रातः काल 7:33 से 9:51 तक वृश्चिक लग्न, 9:51 से 11:55 तक धनु लग्न, 11: 55 से 13:37 तक मकर लग्न (अभिजित मुहूर्त) 15:05 से 16: ...
Govardhan (AnnKut) - अन्नकूट और गोवर्धन पूजा केवल आस्था ही नहीं, पूर्ण विज्ञान भी है।
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट/गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। इस दिन दैत्यराज राजा बलि पूजा और मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से गोवर्धन उत्सव प्रारंभ हुआ ...
Chitragupt - न्यायाधिकारी और भविष्य निर्माता चित्रगुप्त जी, यमराज के रिश्तेदार है।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज पर्व के साथ ही चित्रगुप्त का भी पूजन होता है। सनातनी ग्रंथानुसार चित्रगुप्त कायस्थ वर्ग के प्रमुख ईष्टदेव हैं। इसलिये यह तिथि विशेषकर कायस्थ वर्ग के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण ...
Bhai Buj (Yamraj) - रक्षक, गुप्त हिस्सेदार यमराज भी मनाते हैं, स्नेही अटूट बंधन का पर्व भाई दूज
भारतवर्ष के हर प्रान्त व हिस्से में, सनातनी संस्कृति से ओतप्रोत अलग-अलग परंपराएं और अनुष्ठान होते रहते हैं, जिनका अंतर्निहित महत्व और सार हर जगह एक जैसा ही है। जिनमे भाई-बहन के बीच बंधन का ...
Kuber - धनरक्षक लोकमंगलकारी कुबेर जी रावण के बडे़ भाई और यक्ष-यक्षणी के सेनापति हैं।
प्रत्यक्ष रूप मे कुबेर को धनरक्षक लोकमंगलकारी ही माना गया है। कुबेर को अनार्य देवता भी माना गया है, किन्तु आर्यदेव मानते हुए उनकी पूजा की जाती है। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार कुबेर महाराज समुन्द ...
Bahuda Gocha (Bahuda Yatra) - बाहुड़ा यात्रा में सम्मिलित भक्त को सभी देवतागणों का सानिध्य और आशीर्वाद मिलता है।
बाहुड़ा गोंचा अथवा बाहड़ा गोंचा आषाढ़ शुक्ल पक्ष दशमी को कहा जाता है। जिसमें पुनः जगन्नाथ जी को रथारूढ़ कर विग्रह तीनों रथों की परिक्रमा करते हुए श्री मंदिर अर्थात जगन्नाथ मंदिर लाया जाता है। ...
Jagannath Rath Yatra - श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, लोकप्रिय भक्ति रस की यात्रा ।।
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, लोकप्रिय भक्ति रस की यात्रा श्री जगन्नाथ रथ यात्रा पर्व भारत वर्ष की सबसे लोकप्रिय भक्ति रस की यात्रा हैं, जिसमें ना सिर्फ भक्त बल्कि प्रकृति भी झूम झूम कर बारिश की फुहारो ...
आमंत्रण तो सबका होता है, परंतु निमंत्रण तो विशेष का होता है।
आधुनिक युग में आंग्लभाषा के invitation शब्द का प्रयोग सगे सम्बंधी, मित्रों, सहकर्मियों, श्रोताओं को बहुतायत भोजन, पार्टी, विवाह, सेमिनार आदि में बुलाने के संदर्भ मे किया जाता है। जिसका संक्षिप्त रूप से एक ही ...
महेश नवमी उत्सव तिथि को स्थापना हुई थी 'माहेश्वरी समाज' की ।
महेश नवमी उत्सव उत्तर भारत में विशेष रूप से प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान शिव को महेश नाम से भी जाना जाता है। शिव को पृथ्वी पर ...
सूर्य देव को अर्घ्य देने का महत्व और लाभ।
अनादि काल से ही सूर्य को देव रूप में मानते हुए भगवान सूर्य का पूजन अर्चन किया जाता रहा है। दिन रात का होना सूर्य के देव रूप का प्रत्यक्ष प्रमाण है। दिन रात की ...
चैत्र नवरात्रि से मानव मन भक्ति रस मे डूबता है और प्रकृति उत्सव मनाती है।
चैत्र नवरात्रि 2021 घटस्थापना प्रथम मुहूर्त - 13 अप्रैल, 2021 सुबह 05:28 से 10:14 तक (अवधि-04 घंटे 15 मिनट)। द्वितीय मुहूर्त- सुबह 11:56 से दोपहर 12:47 मिनट तक (अवधि-51 मिनट)। चैत्र नवरात्रि 2021 को 90 वर्षों ...
गुड़ी पड़वा पर्व से ही नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सृष्टि में शक्ति का प्रवाह बढ़ता है।
गुड़ी पड़वा तिथि का आरंभ - 12 अप्रैल 2021, सोमवार को सुबह 8:00 बजे से और 13 अप्रैल 2021, मंगलवार को सुबह 10:16 मिनट समापन। सनातन पंचाग अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह से हो जाती ...
नवसंवत्सर और नवरात्रि सहित मेष संक्रांति पर्व का महत्व।
दिनांक- 13 अप्रैल 2021 को चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सनातनी नववर्ष आरंभ हो रहा है और साथ ही इसी तिथि से ही नवरात्रि भी प्रारंभ हो रहे हैं, जिसे नया संवत्सर ...
बनारस का शक्तिशाली प्रचीन शैलपुत्री मन्दिर।
प्रथमम् शैलपुत्री स्तुति - 1- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ 2- ॐ वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम: नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री ...
माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से स्वाधिष्ठान चक्र स्थिर होता है।
द्वितीयम् ब्रह्मचारिणी स्तुति – ॐ दधाना कर पद्माभ्यामक्ष मालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। (अर्थ - हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी आपको बारम्बार प्रणाम है।) नवरात्र के दुसरे ...
शक्ति संतुलन की देवी माता चन्द्रघण्टा चित्रवाहिनी रूप में विराजमान है।
तृतीयं चन्द्रघण्टा स्तुति – या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्य नमसतय नमस्तस्य नमो नमः । ॐ पिण्डज प्रवरा रुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।| प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ।। नवरात्र के तीसरे दिन (तृतीया) को माँ भगवती के चन्द्रघण्टा रूप ...
प्रतिपदा कृष्ण पक्ष की शुभ है या शुक्ल पक्ष प्रतिपदा की अशुभ।
सनातन संस्कृति के पंचाग गणनाओं के अनुसार तिथियों को देख कर ही दिन, वार, नक्षत्र इत्यादि का निर्धारण किया जाता हैं। सनातनी पंचाग अनुसार प्रत्येक मास को दो भागों में (कृष्ण पक्ष और शुक्ल में) ...
शीतला अष्टमी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता का स्पष्ट सन्देश ।
शीतला अष्टमी व्रत पर्व - सनातन संस्कृति का कोई भी व्रत, पर्व, उत्सव, त्यौहार बिना वैज्ञानिक, अध्यात्मिक एवं प्राकृतिक तथ्यों अथवा कारण के सम्भव ही नहीं है, अत: शीतला अष्टमी व्रत पर्व के पीछे भी अवश्य ...
गोपियो संग राधा ने खेली, कान्हा संग लड्डुवन से होली।
सनातन संस्कृति में द्वापर युग से चली आ रही परंपरा, रीति-रिवाज के अनुसार पवित्रता एवं एकता का प्रतीक होली पर्व, आज भी भगवान कृष्ण की कर्म व जन्म स्थली एवं राधा कृष्ण के बीच स्नेह व पवित्र ...
कामदेव के पुनर्जीवन का प्रतीक धूलिवंदन (धुलेंडी) यानी धुर की होली।
विश्व में भारत ही सांस्कृतिक विविधता का देश है, जहां जीवन का रंग रूप भली प्रकार से दिखता है। होली पर्व भी एक ऐसा ही पर्व है, अनेकता में एकता को दर्शाता है, जिसमें मे ...
लठमार होली का रंग, बृज के रसिया के संग।
बहुरंगी होली भी कई प्रकार से मनाई जाती है। जैसे. फूलो की होली (फूलेरा दूज) रंगो की होली, धूर की होली, लड्डूवन की होली तथा लठमार होली इत्यादि इत्यादि। जैसे प्रत्येक रंग की अपनी अपनी ...
Holika - बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड में धरहरा गांव से आरम्भ हुआ होलिका दहन पर्व ।
प्राचीन कथा के अनुसार बिहार के पूर्णिया से ही होलिका के मरणोपरांत होली पर्व का आरम्भ हुआ है, पूर्णिया जिले के लोग चिता से भक्त प्रह्लाद के जीवित लौटने की खुशी में रंगो से नही ...
Kartigay - कार्तिगाई दीपम पर्व भाग्य जागृत, विवाद नष्ट करता है एवं भाग्य भी चमकदार बनाता है।
दक्षिण भारत में शिवभक्त दीवाली जैसा ही कार्तिगाई दीपम पर्व मनाते हैं। सनातन परम्परा अनुसार कार्तिगाई दीपम पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के तमिलनाडु प्रांत में लोग अपने घरों के आस-पास, गली-मोहल्लों, ...
Ganesh Chaurthi - विनायक या वरद अथवा तेजश चतुर्थी को बौद्धिक प्रखरता का वर प्राप्त होता है।
सनातनी याचक को प्रत्येक मास में दो बार ज्ञान, विज्ञान, विवेक, बुद्धि एवं आत्मचेतना के देव गणेश जी की कृपा प्राप्त करने का सुअवसर मिलता हैं, जिसमें शुक्ल पक्ष में चतुर्थी को विनायक चतुर्थी एवं कृष्ण पक्ष ...
Fuleja Tij - बृज की होली का रंग, फुलेरा दुज के संग
फुलेरा दूज- फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को फुलेरा दूज पर्व (अर्थात फूलों की होली) मनाया जाता है। सनातनी वार्षिक समापन के अन्त में पहले बसंत पंचमी फिर फुलेरा दूज और अन्तिम बड़ा त्योहार ...
Kharmas -खरमास के पीछे का संस्कारिक अर्थ और वैज्ञानिक रहस्य
खरमास का आरम्भ 14 मार्च 2021 की शाम 6 बजकर 4 मिनट से और 14 अप्रैल 2021 की सुबह 2 बजकर 33 मिनट तक समापन:- सनातनी पंचांग गणनाओं के अनुसार सूर्यदेव जब मीन राशि में प्रवेश ...
Amavasya (Amawas) - शनिवार और अमावस्या का योग, रखे निरोग और दूर करे जीवन से रोग।
सामान्यतः वर्ष के प्रत्येक माह में अमावस्या आती हैं और अधिमास अथवा खरमास होने से एक अमावस्या की संख्या और बढ़ जाती हैं, लेकिन फाल्गुन शनिश्चर अमावस्या हर बार नही आती है। वर्ष 2014 में ...
Shivratri - शिवरात्रि पर्व को शिव की शक्ति और, शिव भक्ति में है
Shivratri - शिवरात्रि पर्व को शिव की शक्ति और, शिव भक्ति में है! महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन महादेव शिव जी और माता पार्वती ने परिणय सूत्र में ...
Ekadashi - विजया एकादशी व्रत ,प्रतीक है मर्यादा, विश्वास और वीरता का
प्रत्येक वर्ष की महा शिवरात्रि से 2 दिन पहले ही विजया एकादशी मनाई जाती है। सनातनी शास्त्रानुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने स्वयं लंका पर विजय प्राप्ति के उद्देश्य से विजया एकादशी का व्रत किया था, ...
Dayanand Sarswati - आर्यसमाज पद्धति के जनक, समाज सुधारक, कठोर ब्रह्मचर्य के पालक स्वामी दयानन्द सरस्वती ।
आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनायी जाती है। आज वही दिन है, जब स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती है। स्वामी दयानंद सरस्वती समाज सुधारक, आंदोलनकारी, ...
Ram Das Jayanti - रामदास जयंती - गुरु साहिब के अनन्य भक्त एवं सिख संप्रदाय के चतुर्थ गुरु।
07 मार्च 2021 को गुरु रामदास की जयन्ती:- सिख संप्रदाय के चौथे गुरु रामदास ने रामसर (रामदासपुर) नामक पवित्र नगर का निर्माण किया था, जिसे आधुनिक काल में अमृतसर के नाम से जाना जाता है। स्वर्ण ...
Sabri Jyanti - याद करो वो शबरी के बेर, राम में बसा जीवन का फेर (शबरी जयन्ती)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती के उपलक्ष्य पर माता शबरी की उपासना होती है। शबरी जयंती को माता शबरी का आशीर्वाद मिलने से एवं श्री राम जी की कृपा ...
कालाष्टमी को कृपा मिलती है, काशी के कोतवाल कालभैरव की।
सनातनी पंचाग अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की अष्टम तिथि को ही अष्टमी कहा जाता है। अष्टमी तिथि विद्या एवं कलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिसके कारण से इस तिथि को कलावती नाम ...
हरे कृष्ण हरे राम का जाप विश्व को देने वाले बाबा, सीतारामदास ओंकारनाथ की जयंती।
3 मार्च 2021 को 'हरे कृष्ण, हरे राम' का जाप पूरे विश्व में फैलाने वाले बाबा सीतारामदास ओंकारनाथ की जयंती है। 'हरे कृष्ण, हरे राम' को सर्वव्यापी तारक ब्रह्म नाम के रूप में माना जाता ...
पति की आयु लम्बी एवं पत्नी पूर्ण सुहागन, यह है जानकी जयंती व्रत का प्रभाव
दिनांक 06 मार्च 2021, दिन शनिवार को जानकी जयंती पर्व मनाया जायेगा। जानकी जयंती पर्व फाल्गुन मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, ...
फाल्गुन माह में संकष्टी चतुर्थी का व्रत पर्व
संकष्टी चतुर्थी पूरे वर्ष के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है, और प्रत्येक पूर्णिमा के पश्चात चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी संज्ञा प्राप्त हैं। सनातन संस्कृति में संकष्टी चतुर्थी को ...
फाल्गुन मास मूलतः त्याग, दान मानवीय प्रायश्चित और उल्लास द्योतक मास है।
सनातनी पंचाग अनुसार पूरे सम्वत्सर (वर्ष) का सबसे अन्तिम माह फाल्गुन मास होता है। फाल्गुन मास के पश्चात ही नव सम्वत्सर का आरम्भ होता है। सनातन संस्कृति में फाल्गुन मास से अगले सम्वत्सर के आने ...
कठौती में गंगा, माघी पूर्णिमा को जन्मा रविदास (रैदास) जैसा बंदा
गुरु रविदास जयंती, माघ महीने में पूर्णिमा (माघ पूर्णिमा) के दिन पर मनाई जाती है। संत रविदास के जन्मदिवस को रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। संत रविदास का नाम रैदास था।माना जाता ...
माघ पूर्णिमा पर करें भाग्य पक्ष मजबूत
सनातनी संस्कृति में माघ पूर्णिमा वैज्ञानिक, धार्मिक, ज्योतिषीय और स्वास्थ्य की दष्टि से अतिविशिष्ट महत्व रखती है। इस महत्व के सम्बन्ध में सनातनी ऋषि मुनि और ज्ञाता लोग जानते थे, जिसके आधार पर ही माघ ...
बुध प्रदोष पारिवारिक विपत्तियों का सटीक उपाय व उपचार भी है
24 फरवरी 2021 दिन बुधवार को माघ प्रदोष व्रत का दिन हैं। वैसे तो प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी तिथि आती है। इस प्रकार से प्रत्येक मास मे दो बार ...
भीष्माष्टमी का पर्व प्रतीक है त्याग, पुरुषार्थ और महानता का
भीष्म पितामह के निर्वाण दिवस के रूप में माघ मास शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने पर माघ मास शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म पितामह ...
नर्मदा जयंती
भारत राष्ट्र के मध्य प्रदेश राज्य की प्रमुख नदी नर्मदा है, नर्मदा जी का गुण-गान जितना बखान हो, वो भी कम ही होगा। नर्मदा का स्वच्छ निर्मल जल पृथ्वी का अमृत ही है, जिसे माँ ...
वसंत पंचमी या श्री पंचमी या सरस्वती पंचमी को नया ज्ञान और विज्ञान आरंभ होता है
सनातन संस्कृति में नव सृजन और नव निर्माण द्योतक वसंत ऋतु में ही माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को नव सृजन और नव निर्माण की देवी माँ सरस्वती का अवतरण माना गया है। भारत ...
वसंत ऋतु में शारीरिक ऊर्जा पूर्ण नियंत्रित और आत्मविश्वास बली
वसंत ऋतु सबसे सुंदर ऋतु मानी जाती है। प्रकृति में वसंत ऋतु में हरे-भरे पेड़ों-पौधे और रंग बिरंगे फूलों की भरमार के कारण चारों तरफ हरियाली और विविधता दिखती है। इस माह में सर्दियों की ...
गुप्त नवरात्रि में अनुष्ठान, पूजन पाठ से विद्या, बुद्धि, तंत्रिका जागरण और साधना जागृति और विजय प्राप्ति सम्भव
सनातन संस्कृति में नवरात्रि सर्वाधिक प्रचलित एवं महत्वपूर्ण त्योहार अथवा व्रत है, जिसे पूरे नियम और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि दो प्रकार की मानी जाती है, एक प्रगट और दूसरी गुप्त। ...
सकट चतुर्थी/गणेश चतुर्थी/ संकष्ठी चतुर्थी- पर्व हमारे
भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन पर्वों, उपवासों, परंपराओं और पूजा से समृद्ध है। इस सामाजिक परंपरा में परिवार की कल्पना है और परिवार के भीतर रिश्तों का जाल है। मनुष्य जीवन यात्रा को बाँधने, संसार को ...
Makar Sanranti - मकर संक्रान्तिः पर्व एक नाम अनेक
मकर संक्रान्ति का पर्व भारत के सभी प्रांतों तथा कुछ दक्षिण एशियाई देशों में भी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनता है। हालांकि इस पर्व के उद्देश्य कमोबेश सभी जगह एक से हैं, फिर भी ...
Makar Sankranti - मकर संक्रान्ति: खान-पान, प्रथाएं और परंपराएं
भारत त्योहारों और पर्वों का देश है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारें देश से ज्यादा किसी भी देश इतने त्योहार या पर्व मनाए जाने की परम्परा हो। सूर्य का उत्तरायण में आना भी ...
Makar Sankranti - मकर संक्रांति पर पतंगबाजी: खेल भी, स्वास्थ्य भी
सूर्य देव के उत्तरायण में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को विशेषकर श्रद्धालुओं द्वारा सूर्य देव की पूरे आस्था और भक्ति के साथ पूजा पाठ ...