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माघ पूर्णिमा पर करें भाग्य पक्ष मजबूत


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 26-02-2021

सनातनी संस्कृति में माघ पूर्णिमा वैज्ञानिक, धार्मिक, ज्योतिषीय और स्वास्थ्य की दष्टि से अतिविशिष्ट महत्व रखती है। इस महत्व के सम्बन्ध में सनातनी ऋषि मुनि और ज्ञाता लोग जानते थे, जिसके आधार पर ही माघ मास को अतिपावन, पवित्र और पुण्यदायी बताया है। सनातन पञ्चांग के अनुसार माघ माह ग्यारहवाँ माह है और सूर्य भी कुंभ राशि में होता है, यह राशि भी ज्योतिष गणना में ग्यारहवीं राशि ही है। माघी पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा के परिभ्रमण पर मघा नक्षत्र का प्रभाव अवलोकित होता है, इसी प्रभाव के कारण ही इस माह को माघ महीना कहते हैं। माघ मास से पृथ्वी ईशान कोण की ओर से गतिमान होती है और धर्म ग्रंथों और वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण को देवत्व शक्ति का केंद्र पहले ही माना जा चुका है। इसीलिए माघ मास से पृथ्वी पर देवत्व शक्तियों का प्रभाव जलीय तत्वों पर होने से जल में और जलीय तत्वों में भी औषधीय प्रबलता व गुण बढ़ जाता हैं।
चन्द्रमा को वेदों में कहीं-कहीं नक्षत्र भी पुकारा गया है। पूर्णिमा को आकाश गंगा के परिभ्रमण काल मेंं जो नक्षत्र मिलता है, उस माह और उस पूर्णिमा को उसी नक्षत्र के नाम से माह को भी जाना जाता हैं। जैसे-माघ पूर्णिमा को चन्द्रमा की स्थिति मघा नक्षत्र में होती है। ज्योतिषीय गणनाओ में मघा नक्षत्र पर केतु ग्रह का प्रभाव मानते हैं और केतु को स्वच्छता एवं आध्यात्मिक शक्ति का केन्द्र भी माना जाता हैै, जिसके प्रभाव से माघ माह पूर्णतया अध्यात्मिक एवं ऊर्जा का केन्द्र भी हो जाता है, इसी माह में ही गुप्त नवरात्रि, सरस्वती पूजन (बसन्त पंचमी) इत्यादि विशिष्ट पर्व, जिसमें ऊर्जा का संचार फलता-फूलता है और व्यक्ति विशेष को स्वयं को नियंत्रित एवं आन्दोलित करने का पूर्ण अवसर भी मिलता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर पृथ्वी पर अपनी प्रकाश किरणें डालता है। छोटे-छोटे टिमटिमाते तारों के बीच चन्द्रमा अपनी पूर्ण आभा सहित गोल आकृति में अलंकृत होकर अंधेरी रात में सफेद चमकीली रोशिनी से सुशोभित रहते हैं। वेदों व पुराणों से विदित होता है कि माघ मास की पूर्णिमा तिथि को देवी - देवतागण मानवीय रूप में आकर गंगा व अन्य पावनी नदियों में स्नान करते हैं और साथ ही स्नान करने वाले याचक को अपना आशीष प्रदान करते हैं।
जिस सनातनी को पूर्णिमा का व्रत आरम्भ करने की इच्छा हो, उन्हे बत्तीस पूर्णिमाओं तक का व्रत माघ या वैशाख माह की पूर्णिमा से करना उचित होता है। व्रत का प्रारंभ संकल्प लेकर किया जाता है और व्रत का संकल्प पूर्ण होने के उपरान्त व्रत का उद्यापन कर देना चाहिए। व्रत के दिन सनातनी को निर्जला रहते हुए पूर्णिमा की शाम को नित्य कर्म से निवृत्त होकर सफेद वस्त्र धारण कर शिव और विष्णु भगवान की पूजन कर चन्द्रमा को खीर का भोग लगाने के बाद ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: मन्त्र का जप करके अर्घ्य देना चाहिए। पूर्णिमा व्रत में पूर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करने से मनुष्य को आत्मिक बल प्राप्त होता हैं। व्रत के दिन किसी की निन्दा या अपमान करने से व्रत खण्डित हो सकता है। अर्थात् किसी भी स्थिति में संयम रखते हुए व्रत पूर्ण किया जाना चाहिये। व्रत के पुण्य प्रभाव से परिवार में सुख संपत्ति रहती है व संतान के ऊपर आने वाली विपत्तियाँ टल जाती हैं। निःसन्तान दम्पत्तियों को उच्चकोटि की संतान की प्राप्ति होती है।
माघ माह का अंतिम पर्व माघ पूर्णिमा होता है। पूर्णिमा पूर्ण होते ही फाल्गुन मास आरम्भ होता हैं। जो भी सनातनी कल्पवास में रहते है, उनका वास माघ पूर्णिमा को ही सम्पूर्ण होता हैं और सभी कल्पवासी गंगा व अन्य पावनी नदियों में स्नान कर सत्यनारायण की पूजा विधि ण्विधान से करने के बाद कल्पवास से प्रस्थान कर जाते हैं।
पुराणों के अनुसार अन्य माह में स्नान, जप, तप और दान से भगवान विष्णु जी उतने प्रसन्न नहीं होते हैं, जितने वे  माघ मास में होते हैं। माघ पूर्णिमा को गंगा स्नान, दान पुण्य से वर्ष भर के सभी कष्ट नाश होते हैं। प्रमादी सम्वत्सर में शनि और गुरु का संयोग एवं सूर्य और शुक्र का संयोग बना हुआ है, जिस कारण से माघ पूर्णिमा और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

ज्योतिष गणना में :-
जिन जातकों का चंद्र क्षीण है, उनका मन बहुत ही अधीर और कमजोर हो जाता हैं। वे हर छोटी- छोटी बातों पर विलाप में लग जाते हैं और आत्मविश्वास की कमी के कारण लोगों के सामने अपनी बात रखने से डरने लगते हैं। उन्हें पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा के सम्मुख रहते हुए ध्यान लगाने के बाद बिना पलक छपके त्राटक करना चाहिए और चन्द्रदेव के सामने मन की सारी बातें रख देनी चाहिए। ऐसा करने से जातक का आत्मविश्वास बढ़ता है। माघी पूर्णिमा को अपनी जननी का हाथ पकड़ कर कुछ देर चन्द्र रोशनी में टहलना भाग्य को मजबूत और चंद्रमा को और बली करता है।
माघ पूर्णिमा आरंभ 26 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार को शाम 03 बजकर 49 मिनट से और समापन 27 फरवरी 2021 दिन शनिवार दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर।

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