janeu सनातनी परम्परा जनेऊ धारण की प्रथा, देव-दैवीय युगीन प्राचीनतम और पौराणिक है।
देव-दैवीय युग से ही जनेऊ धारण की सनातनी परम्परा प्राचीनतम और पौराणिक है। प्राचीनतम और पौराणिक शास्त्रों अनुसार जनेऊ धारण से शरीर शुद्घ और पवित्र होता है। जब भी किसी भी देव-असुर का चित्रण प्रदर्शित होता ...
Pooja Path- दिवंगत पितरों को विधिपूर्वक श्राद्ध अर्पित करने के प्रकार एवं पात्रता
सभी श्राद्धों में सांवत्सरिक श्राद्ध कर्म को श्रेष्ठ कहा गया है। शास्त्रीय ग्रंथों में कुल 12 प्रकार के श्राद्ध बताए गए हैं :- 1.नित्य श्राद्ध, २.नैमित्तिक श्राद्ध, ३.काम्य श्राद्ध, 4.वृद्धि श्राद्ध, 5.सपिण्डन श्राद्ध, 6.पार्वण श्राद्ध, 7.गोष्ठण ...
Tilak सप्ताह के दिन के हिसाब से लगाये तिलक और चमकाये किस्मत
सनातन संस्कृति में सप्ताह के सात दिन को अलग-अलग देवी-देवताओं के प्रतीक के रूप में विभाजित किया गया है। सोमवार : सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन माना जाता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह ...
Pitra Paksha शास्त्रोक्त पूजन विधि (एक दान तिल, बत्तीस सेर स्वर्ण तिलों के बराबर होता है, जो तीन पीढ़ियों के पितृ को ब्रह्मलोक दिला सकता है)
श्राद्ध, तर्पण और तिलांजली, तीन पीढ़ियों के बकाये अंश को समाप्त करने की क्षमता रखता है। पुराणों के अनुसार यमराज जी श्राद्ध पक्ष में सभी जीवात्माओं को १६ दिवस के लिए मुक्त कर देते हैं, जिससे वे ...
Pitra Paksha - पितृपक्ष और श्राद्धकर्म का अनोखा मेल, जिसमे मातृ-पितृ सेवा सहित स्वयं के कल्याण का खेल.....
मातृ-पितृ की सेवा को देव-सेवा से भी श्रेष्ठ सेवा सनातन संस्कृति में मातृ-पितृ की सेवा को देव-सेवा से भी श्रेष्ठ सेवा माना जाता है, जिसमें सभी पूजा-पाठ का फल समाहित होता है। पितृपक्ष पूर्वजों के प्रति ...
SHIV - नाभिकीय ऊर्जा के दाता, भोले बाबा। शिव मे समाये काशी और काबा।
सम्भव ही कोई ऐसा सनातन धर्मी होगा, जिसके कानों में देवों के देव महादेव.... यह शब्द न पड़े हों। भोलेबाबा का सनातन संस्कृति में जो स्थान है, किसी भी प्रकार से उसकी गरिमा को शब्दों ...
EKADASHI - आमलकी एकादशी केवल व्रत ही नहीं है, स्वास्थ्य का उत्सव भी है।
प्रत्येक माह और पक्षों में आने वाली तिथियां कई प्रकार की विभिन्नताएं लिए हुए होती है। ऐसी कई प्रमुख तिथियां हैं, जिन्हें सनातन संस्कृति में विशेष ही माना गया है। इन्हीं तिथियों में प्रत्येक माह ...
Vijaya Ekadashi हर क्षेत्र में विजय दिलाता है विजया एकादशी का व्रत
सनातन संस्कृति में प्रत्येक दिन और तिथि का अलग महत्व है। इन तिथियों को लेकर सनातन धर्म में कई तरह की व्याख्याएं मौजूद हैं। सनातन संस्कृति की प्रमुख तिथियों में एकादशी की तिथि को शिरोमणि ...
ShivRatri - महाशिवरात्रि मात्र उत्सव नहीं अपितु शून्य में समाहित होने की रात्रि है
सनातन संस्कृति हर्ष,उल्लास, अध्यात्म की पृष्ठभूमि है सनातन संस्कृति का पंचांग पर्वों, उत्सवों से सदैव ही परिपूर्ण रहा है। शायद ही कोई ऐसा माह देखने को मिले जब सनातनी किसी पर्व या उत्सव में सहभागिता न ...
BEL PATRA - दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनम् पाप नाशनम्.....बिल्वपत्र चढ़ाने से 1 सहस्त्र कन्यादान के समान पुण्य होता है।
बेल का वृक्ष संपूर्ण सिद्धियों का आश्रय स्थल है और बेलपत्र के दर्शन व स्पर्श करने मात्र से पाप शमन होता है। प्रभु आशुतोष के पूजन व अभिषेक में बिल्वपत्र का स्थान सर्वप्रथम है। जिसके ...
Navratri Durga - शक्ति का संग्रह व संचालन, गुप्त नवरात्रि अवधि में उपासना से संभव है।
शक्ति उपासना प्राचीन काल से ही सनातन संस्कृति में होती आ रही है। शक्ति उपासना से उपनिषदों, वेदों से लेकर कई तंत्र ग्रंथ तक ओतप्रोत हैं। शक्ति उपासना का महत्व और प्रसांगिकता को कोई भी ...
Basant Panchmi - बलिदानी पंथ, वसंत पंचमी संग ... माई रे, रंग दे बसंती चोला।
सनातनी संस्कृति के महत्व को विश्व जानता है, जिसमे बसंत पंचमी का महत्व किसी से गुप्त नहीं है। शताब्दियों से बसंत ऋतु कवियों के लिए काव्य रचना का प्रेरणा स्त्रोत रहा है, लेकिन बसन्त उत्सव ...
Amavasya (Amawas)- अमावस्या को सकारात्मक बनाये - विज्ञान व प्रकृति का मेल, ज्ञान और संस्कृति का खेल.....
खगोलीय घटनाओं और उनसे धरती पर होने वाले प्राकृतिक प्रभावों का मानवीय क्रिया कलापों से संबंधो का विस्तृत व सम्पूर्ण अध्ययन सनातन संस्कृति में किया गया है और वर्तमान काल की तथाकथित वैज्ञानिक सोच और ...
Makar Sankranti - मकर संक्रांति तिथि का स्नान, जीवन के कष्टो का समाधान।
समान्य रूप मे 14 जनवरी को मकर संक्रांति निश्चित रहती है, किन्तु कभी-कभी भ्रम की स्थिति मे 15 जनवरी को भी यह पर्व मनाया जाता है। पंचांगों के दृष्टिकोण से वाराणसी के पंचांगों सहित सभी ...
Bhanu Saptami - भानु सप्तमी पर भगवान सूर्य देव की पूजा से प्राप्त होता है आरोग्य व ऐश्वर्य
भारत के अधिकतर सनातन पर्व व उपवास सूर्य की स्थिति पर निर्भर करते हैं। पौराणिक शास्त्रों में भगवान सूर्य देव को आरोग्य का कारक बताया गया है। इनकी उपासना करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है। ...
Dhatersh (Dhanvantari)- धनतेरस से नाकारात्मक ऊर्जा और हर क्षण रोगों से रक्षा करते हैं आयुर्वेद प्रवर्तक धन्वंतरि जी।
(धन्वंतरि जयंति) धनतेरस पूजन और यम दीपम धन्वन्तरि जी मूल रूप से चिकित्सा के देव हैं, जिनके आशीष से मानव जाति को औषधीय ज्ञान एवं स्वास्थ्य का वरदान मिलता है, साथ ही इन्हे जीवन मे समृद्धि ...
Kokila Vart - कोकिला व्रत कोई त्योहार नहीं, अपितु प्रकृति संरक्षण और वातावरणीय पशु पंक्षियों का भी पर्व है।
कोकिला व्रत - आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोकिला व्रतपर्व धूमधाम से मनाया जाता है। महिलाएँ व कुँवारी कन्यायें अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति तथा मनोवांछित वर के लिये कोकिला व्रत करतीं हैं। जिसे परंपरागत रूप ...
Sankranti - कर्क संक्रांति से मानव सांसारिक गति में रमकर सफलता पाता है।
सनातन संस्कृति में ब्रह्मांडीय संचार के खगोलीय ग्रह, नक्षत्र और राशियों के परिवर्तन को सांसारिक व व्यवहारिक बदलाव के लिए अत्यंत विशेष माना जाता हैं। मानवीय व सांसरिक जीवन कही न कही सूर्य देव की ...
Gupt Navratri - गुप्त नवरात्रि - जितनी गुप्त साधना, उतना ही तेजस्वी परिणाम।।
गुप्त नवरात्रि एक ऐसी साधना का समय है, जिसमें कुछ न करके भी बहुत कुछ पाया जा सकता है। प्रथम गुप्त नवरात्रि माघ मास में पूजित हैं और द्वितीय आषाढ़ मास में आती हैं। माघ ...
Kabir Das कबीर दास जयंती (कबीरदास की उलटी वाणी, बरसे कम्बल भींजे पानी)
ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा को लोकप्रिय लेखक व कवि, प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी कबीर दास की जयंती मनाई जाती हैं। कबीर दास जी ने जीवन पर्यन्त सामाजिक कुरीतियो को सुधारने पर कठोरता से प्रहार ...
परमाणु ऊर्जा का भण्डार, मंदिर में रखा शिवलिंग।
प्रकृति में स्वयं ही पूँजने योग्य सृष्टि में अनेकों चमत्कार हैं। जिन्हे सनातन संस्कृति में सैकड़ों वर्षों से धर्म कर्म के रूप मे सहेज कर संरक्षित किया गया है। शिवलिंग का नाम आते ही सनातनी ...
देव-दैवीय युग से ही जनेऊ धारण की परम्परा पशुता त्याग कराकर मनुष्यता स्थापित करती है ।
देव-दैवीय युग से ही जनेऊ धारण की सनातनी परम्परा प्राचीनतम और पौराणिक है प्राचीनतम और पौराणिक शास्त्रों अनुसार जनेऊ धारण से शरीर शुद्घ और पवित्र होता है। जब भी किसी भी देव-असुर का चित्रण प्रदर्शित होता ...
हवन के बिना कोई भी यज्ञ पूर्ण नहीं होता, परन्तु बिना यज्ञ के हवन कभी भी हो सकता है।
हवन के बिना कोई भी यज्ञ पूर्ण नहीं होता, परन्तु बिना यज्ञ के हवन कभी भी हो सकता है। इस धरा पर प्रत्येक जीव जीवन प्राप्ति की प्रेरणा और लक्ष्य के साथ गर्भ मे आते हैं। ...
लक्ष्मी का एकांश रंभा की भक्ति-साधना से साधक की काया सौम्य और सौभाग्य सशक्त होता है ।
रंभा तीज पर्व शुभ मुहूर्त आरंभ: 12 जून, शनिवार को रात्रि 20 बजकर 19 मिनट. समापन: 13 जून, रविवार को रात्रि 21 बजकर 42 मिनट. ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को सुहागिन महिलाऐ रंभा तीज पर्व विशेषकर ...
सुमुखी भागीरथ गंगा महापातकों के बराबर के दस पापों से छुटकारा दिला कर दशहरा कहलाती है।
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। सनातन संस्कृति में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है। भागीरथी द्वारा गंगा जी को ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी ...
चिता होली क्यों मनती हैं।
सामान्य रूप से होली के पर्व को सभी लोग रंगों का पर्व ही मानते हैं, परन्तु भारत की काशी नगरी, जिसे वाराणसी (बनारस) के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ की होली अद्भुत एवं ...
Holashtak - पर्व प्रतीक होलाष्टक, विज्ञान का अनुठा प्रयोग।
सनातनी संस्कृति में कुछ अतिमहत्वपूर्ण त्योहार एवं पर्व है, जिन्हें विश्व ख्याति प्राप्त है, जिसे स्मरण एवं उन पर्वो में सम्मिलित होने हेतु लोग विशेष रूप से भारत आते है अथवा जो जहां निवास कर रहा है, ...
Child Dead - दिव्य महात्माओ और छोटे शिशुओ के मृत्यु उपरान्त क्यों नही जलाया जाता हैं।
इस धरा पर प्रत्येक जीव जन्मता है और मृत भी हो जाता है, यू ही यह जगत चक्र अपने क्रम से चल रहा है। सभी जीव एक ही प्रेरणा और लक्ष्य के साथ गर्भ मे ...
Swastik - आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी का एकल पर्याय स्वस्तिवाचन।
सनातन संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृतियो में से एक है, जिसका इतिहास 1500 ईसा पूर्व का है। सनातनी सस्कृति जीवन का एक तरीका अथवा संस्कार है, जिसे धर्म नही कहा जा सकता है, क्योकि ...
Ram Krishna ParamHansh - शारदामणि के स्वामी का गदाधर से रामकृष्ण परमहंस बनने की यात्रा।।
रामकृष्ण परमहंस की जयंती - सानंतनी पंचांग अनुसार प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया को रामकृष्ण परमहंस का जन्मदिन अर्थात जयंती मनाई जाती है। श्री रामकृष्ण परमहंस महान विचारक सन्त थे, जिन्होंने सनातनी संस्कृति के अतिरिक्त ...
Shiv Devghar - देव घर में शिव का निवास स्थान और 9वां ज्योतिर्लिंग स्वरूप सिद्धपीठ व 52वीं शक्तिपीठ हैं।
देवघर भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है और बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के कारण पवित्र स्थल माना गया हैं। देवघर, झारखंड राज्य में स्थित बौद्ध मठों और खण्डहरों से घिरा एक नगर है, जहाँ बाबा ...
Mandir - मूरत भगवान की एवं संगम स्थल आत्मा व परमात्मा का।
विश्व में असंख्य मन्दिर है, जहाॅ बैठकर, जहाँ जाकर एवं जहाँ थोड़े से क्षण में ही स्वयं को मनः शान्ति का सुख मिलता है। सनातन संस्कृति में परमात्मा एवं आत्मा की संन्धि स्थली को ही मन्दिर ...
ब्रह्मांडीय ऊर्जा नियंत्रित करने का वैज्ञानिक प्रयोग कलश स्थापन।
सनातन संस्कृति वैज्ञानिक तथ्य पर आधारित हैं। सनातनी ऋषि मुनियों ने हर कार्य के पीछे वैज्ञानिक तथ्यों को गहराई से परखने के बाद विधि-विधानों की रचना की है। इन्हीं वैज्ञानिक तथ्यों के कारण सनातन संस्कृति ...
नाग पौधे से आती है सुख, शांति और समृद्धि
नाग पौधा, जिसे आंग्लभाषा में स्नेक प्लांट पुकारा जाता हैं और भारत मे इस पौधे को ‘सास की जीभ’ की संज्ञा मिली हुए है। क्योंकि इसकी संरचना और देखने में सर्प या जीभ के समान ...
पुण्य गोपनीय होने चाहिए
मानव जीवन में कर्म दो प्रकार के हैं, एक पुण्य कर्म और अपुण्य कर्म (पाप)। दोनों के परिणाम भी कर्मानुसार क्रमशः सुखद या दुखद ही होते हैं। सभी दर्शनों व संप्रदायों में पुण्य और अपुण्य ...
ऋण मुक्ति या कर्ज़ से छुटकारा दिलाता है भौम प्रदोष व्रत
किसी कारणवश अगर ऋण अथवा कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा हो और कर्ज मुक्ति के लिए सनातन संस्कृति के धार्मिक पूजन पाठ से जुड़ा कोई उपाय अथवा उपचार करना चाहते हो, तो प्रदोष व्रत ...
मौनी अमावस्या को मौन व्रत शक्ति और ऊर्जा कारक
सनातन संस्कृति को लेकर वैज्ञानिक नतमस्तक हैं। प्राचीन समय से ही साधु-संतों ने सनातन संस्कृति में साधना, व्रत,उपासना,योग के माध्यम से मानव कल्याण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कई उपायों और नियमों को ...
माघ मास सब पुण्य कमाने के लिये पवित्र माह
सनातन संस्कृति में वर्ष के बारह मासों में से माघ मास को अतिपावन, पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। सनातन संस्कृति में कुछ भी बिना वैज्ञानिक तथ्यों के संभव ही नहीं है। अगर माघ मास ...
शमी का पेड़ है शनिदेव का प्रतीक
भारत में वनस्पति का अपना महत्व है । वर्षों से भारत वर्ष में वैद्य पेड़ पौधों, उनके छाल, पत्तों, तना, जड़ से मनुष्यों के रोगों का इलाज करते थे। यानि स्वास्थ्य में प्रकृति व पर्यावरण ...
माघ मास की पूर्णिमा का है विशेष महत्व
इस बार 27 फरवरी 2021 को माघ मास की पूर्णिमा है। माघ पूर्णिमा का स्वास्थ्य, वैज्ञानिक और धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अति विशिष्ट है। पूरे वर्ष का सबसे पवित्र व पावन माह माघ मास है, ...
अनियंत्रित विचार और अहंकार जन्म देता है - नशा
नशा किसी भी प्रकार का हो, वह सत्यानाशी ही होता है और हम सब, कब और किस प्रकार से नशे के आदी हुए या हो रहे है, यह भी नही पता लगता है। पता तब ...
सनातन संस्कृति के अनोखे और रोचक तथ्य।
सनातन संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी सस्कृतियो में से एक है, जिसका इतिहास 1500 ईसा पूर्व का है। सनातन के विषय में कुछ रोचक व दिलचस्प तथ्यों को जानना आवश्यक है। सनातनी सस्कृति - जीवन का ...
एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति
धर्म मानवीय जीवन को अर्थ, उद्देश्य और जीव जगत में कल्याण का मार्ग देता है। धर्म मनोवैज्ञानिक, शारीरिक कल्याण और जीवन में स्थिरता को बढ़ावा देता है और साथ ही जनमानस में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन ...
Pandit Ji -पंडितजी उद्देश्य व मंतव्य
सनातन संस्कृति सभी सभ्यताओं की जननी है और सनातन पृथ्वी के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। यहाँ स्पष्ट करना आवश्यक है कि, यहाँ ‘धर्म’ शब्द का प्रयोग वर्तमान के धर्म शब्द से भिन्न ...
Rudraksha - युक्ति और मुक्ति का दाता रुद्राक्ष
आज के आधुनिक युग में रुद्राक्ष की पहचान विश्वव्यापी है और रुद्राक्ष के प्रति विश्व के सभी धर्मो और पंथो की आस्था और श्रद्धा समान रूप से दिखती है। रुद्राक्ष पर विश्व की कई प्रयोगशालाओं ...
Makar Sankranti -महत्वपूर्ण है आंग्ल नववर्ष में पहला भारतीय पर्व मकर संक्रान्ति
प्रत्येक वर्ष आंग्ल कैलेण्डर के हिसाब से यह 14 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ती है। माघ का महीने की कड़ाके की ठिठुरती सर्दियों के बीच जब खरीफ की कटाई हो चुकती है, किसान नया अनाज ...
Bhagwan (Ishwar) - ईश्वर की आराधना प्रणाली से ज्यादा महत्वपूर्ण ईश्वर पर विश्वास
एक ज्ञानी समुद्री मार्ग से यात्रा कर रहे थे, अकस्मात् एक रात तूफ़ान के कारण जहाज़ को एक द्वीप के पास रुकना पड़ा। प्रातः काल ज्ञात हुआ कि तूफ़ान से जहाज़ में तकनीकी ख़राबी आ ...
Confidence - सफलता की कुंजी है स्वयं पर विश्वास और भरोसा।
मानव विज्ञान के शोधकर्ता बताते है कि एक स्वस्थ वयस्क पुरुष के एक बार के संभोग से निकले उसके वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा लगभग 40 लाख होती है अर्थात एक वयस्क पुरुष एक बार ...
Pandit ji - पाण्डित्य कर्म जिम्मेदारी के साथ ही सामाजिक दायित्व भी है।
प्रकृति में जीव जन्मता है और उसका अन्त भी निश्चय ही होता है। जन्म और मृत्यु के मध्य ही कर्म व विचार अपना स्थान बनाते है। जीवन समाप्त हो जाने के बाद भी कर्म और ...
Yajmaan (Yajmaan) - उदयमी, उद्योगी और क्रियाशील व्यक्ति ही यजमान है, ना कि ग्राहक या खरीददार।
यजमान :- यजमान का अर्थ ग्राहक अथवा खरीदने वाला कभी नहीं होता है, जबकि आज आधुनिक काल में यजमान को ग्राहक का ही पर्याय माना जाने लगा है। यह यजमान का तात्पर्य आधुनिक काल में ...
Pandit ji - संस्कृति ज्ञाता, प्रकाण्ड गायक, प्रकाण्ड वादक, विषय मर्मज्ञ और कर्मकाण्ड ज्ञाता का उपनाम पंडित है।
पंडित:- सनातनी संस्कृति पूर्ण रूपेण प्रकृति पर निर्भर करती है और प्रकृति कभी भी समान नहीं होती है। हर पग पर प्रकृति के रंग-रूप में परिवर्तन दिखता है। प्रकृति और जीवन के परिवर्तन को पंथ ...
Sanskrit - नासा और इसरो ने माना कम्प्यूटर उपयोगी भाषा केवल संस्कृत भाषा ही है।
विश्व की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है और समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। 3,000 वर्ष पूर्व भारत में संस्कृत मे ही बोलचाल की जाती थी। 1100 ईसवीं तक संस्कृत समस्त भारत की राजभाषा के ...
Sanskrit - यात्रा - संस्कृत भाषा का देववाणी बनने का।
सृष्टि के आरंभ मे सांकेतिक भाषा ही प्रचलित थी, न ध्वनि या ना लिपकीय और ना भाषा। आदिकाल मे मानव सांकेतिक भाषा मे संवाद स्थापित करता और समझता था। कालान्तर मे मानवीय सभ्यता के विकसित ...