संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 10-02-2021
किसी कारणवश अगर ऋण अथवा कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा हो और कर्ज मुक्ति के लिए सनातन संस्कृति के धार्मिक पूजन पाठ से जुड़ा कोई उपाय अथवा उपचार करना चाहते हो, तो प्रदोष व्रत से सुंदर और उत्कृष्ट उपचार कोई नहीं है।
सनातन संस्कृति में महादेव शिव जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किये जाने का प्रावधान है, प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी आती है। इस प्रकार से प्रत्येक मास मे दो बार त्रयोदशी मिल जाती है। जीवन के सभी ज्ञात-अज्ञात दोष, पाप और संताप का निवारण प्रदोष व्रत से हो सकता है। संभवतः इन्हीं तथ्यों के आधार पर ही त्रयोदशी को प्रदोष कहा जाता है। सनातन संस्कृति में महादेव शिव जी को जीवन रक्षक और सद्गति प्रदाता मानते हैं। मान्यता है कि प्रदोष के दिन महादेव शिव जी कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। यदि प्रदोष की सन्ध्या को शिव जी की स्तुति, वन्दना, पूजन पाठ या जप-तप किया जाता है, तो उसे शिव जी स्वीकार कर याचक के कष्ट और विपदाओं के निवारण का मार्ग निर्णीत कर देते है। शिव जी एक ऐसे देव माने जाते है, जो देवों और दानवों में समान रूप से पूजित और सर्वमान्य है। इनकी कृपा से जीवन के रोग, दोष, दुख, चिंता और भय से मुक्ति सरलता से होती है। इसी कारण से भगवान शिव को महादेव उपनाम मिला हुआ है।
भगवान शिव का पूजन करने के लिए सूर्यास्त के बाद (सन्ध्या) का समय उत्तम माना गया है। प्रदोष को व्रत, उपवास करते हुए पूरा दिन व्यतीत कर सन्ध्या में शिव जी की स्तुति, वन्दना, पूजन पाठ या जप-तप कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद मिष्ठान, ऋतुफल और सेंधा नमक से निर्मित फलहार ग्रहण करना चाहिए।
शिव जी का पूजन अक्षत, रोली, धतूरा, भस्म, फूल माला, फल, मिष्ठान इत्यादि से करना उचित मानते हैं। प्रदोष को यदि मंगलवार (भौम) पड़ता है और उस दिन विशेष रूप से व्रत उपासना की जाए, तो भगवान शिव की आराधना करने से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है, प्रदोष में सिंदूर और तुलसी अर्पण करने से भगवान शिव क्रोधित हो सकते हैं अर्थात भौम प्रदोष में शिव जी को सिंदूर और तुलसी का अर्पण वर्जित है।
लेकिन कर्ज मुक्ति की इच्छा से भौम प्रदोष को हनुमान की आराधना व पूजन-पाठ का विशेष महत्व हो जाता है। जिसमें सिंदूर और तुलसी का अर्पण करने तथा चमेली के तेल का दीपक जलाने से ऋण मुक्ति संभव होती है क्योंकि हनुमान जी को शिव का रुद्र अवतार ही मानते हैं। भौम प्रदोष व्रत के प्रभाव और हनुमान जी की कृपा से जीवन में खुशहाली, शत्रुओं का विनाश और ऋण मुक्ति होती है।
भौम प्रदोष व्रत से भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना से मंगल दोष भी दूर होता है। मंगल दोष की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जी को हलवा-पूड़ी भोग लगा, अक्षत, रोली, फूल माला, फल, मिष्ठान इत्यादि से पूजन कर चमेली के तेल का दीपक जलायें और सुन्दरकाण्ड का पाठ करें और मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना कर हलवा-पूड़ी का प्रसाद वितरण करें इससे निर्धनता भी समाप्त होती है।
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