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शमी का पेड़ है शनिदेव का प्रतीक


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 08-02-2021

भारत में वनस्पति का अपना महत्व है । वर्षों से भारत वर्ष में वैद्य पेड़ पौधों, उनके छाल, पत्तों, तना, जड़ से मनुष्यों के रोगों का इलाज करते थे। यानि स्वास्थ्य में प्रकृति व पर्यावरण का विशेष महत्व रहा है।

दूसरी ओर प्राचीन काल से ही पेड़ पौधों को किसी न किसी देवी देवताओं का प्रतीक माना जाता रहा है । बिहार, उत्तरप्रदेश, गुजरात, राजस्थान आदि स्थानोंं पर पाये जाने वाले शमी के वृक्ष को शनि देव के प्रतीक रूप में जाना जाता है। शमी वृक्ष भगवान भोलेनाथ को प्रिय है।
शमी के पौधे को आसानी से कहीं भी यानि गमले या जमीन में लगाया जा सकता है। शमी के पेड़ को शनिवार के दिन घर के बाहर लगा सकते हैं। पौधे को लगाते समय ध्यान देना चाहिए कि घर से निकलते हुए दायें तरफ पेड़ लगा हो या फिर छत पर रखना चाहते हैं तो दक्षिण दिशा में रखें।

इसे आप घर के मुख्‍य द्वार के पास लगा सकते हैं। घर के अंदर शमी का पौधा नहीं लगाना चाहिए। वैसे इसे विजयदशमी के दिन लगाना सबसे उत्‍तम माना जाता है। विजयदशमी का शुभ दिन तरक्‍की को दर्शाता है और शमी का पेड़ इस दिन लगाने से आपका भाग्‍य भी चमकने लगता है।

जिस घर में धन का अभाव हमेशा बना होता है। खूब मेहनत करने के बाद भी धन की कमी है ऐसे व्यक्तियों को शमी के पौधे को अपने घर पर अवश्य लगायें। इसके बाद शमी पौधे की जड़ में एक पूजा की सुपारी और एक रुपए का सिक्का दबा दें। पौधे पर गंगाजल अर्पित करें और पूजन करें। पौधे में रोज पानी डालें और शाम के समय उसके समीप एक दीपक लगाएं। आप स्वयं देखेंगे धीरे-धीरे आपके खर्च में कमी आने लगेगी और धन संचय होने लगेगा।

शाम को शमी के पेड़ की पूजा करने का है विशेष महत्व:-

शनिवार को शाम के समय शमी के पौधे के गमले में पत्थर या किसी भी धातु का एक छोटा सा शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग पर दूध अर्पित करें और विधि-विधान से पूजन करने के बाद महामृत्युंजय मंत्र की एक माला जाप करें। इससे स्वयं या परिवार में किसी को भी कोई रोग होगा तो वह जल्दी ही दूर हो जाएगा।

कई सारे युवक-युवतियों के विवाह में बाधा आती है। विवाह में बाधा आने का एक कारण जन्मकुंडली में शनि का दोष होना भी है। किसी भी शनिवार से प्रारंभ करते हुए लगातार 45 दिनों तक शाम के समय शमी के पौधे में घी का दीपक जलाएं और सिंदूर से पूजन करें। इस दौरान अपने शीघ्र विवाह की कामना व्यक्त करें। इससे शनि दोष समाप्त होगा और विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होंगी।

जन्मकुंडली में यदि शनि से संबंधित कोई भी दोष है तो शमी के पौधे को घर में लगाना और प्रतिदिन उसकी सेवा-पूजा करने से शनि की पीड़ा समाप्त होती है। सोमवार को शमी के पौधे में एक लाल मौली बांधे। इसे रातभर बंधे रहने दें। अगले दिन सुबह वह मौली खोलकर एक चांदी की डिबिया या ताबीज में भरकर तिजोरी में रखें, कभी धन की तंगी नहीं होगी।
जिन लोगों को शनि की साढ़े साती या ढैया चल रहा हो उन्हें नियमित रूप से शमी के पौधे की देखभाल करना चाहिए। उसमें रोज पानी डालें, उसके समीप शाम के समय दीपक लगाएं। शनिवार को पौधे में थोड़े से काले तिल और काले उड़द अर्पित करें। इससे शनि की साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव कम होता। यदि आप बार-बार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हों तो शमी के पौधे के नियमित दर्शन से दुर्घटनाएं रुकती हैं।

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