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भूख मिटाने वाला गेहूँ उपचार भी करता है


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 06-02-2021

संसारिक जगत में कोई भी जीव बिना भोज्य द्रव्य के जीवित ही नहीं रह सकता है। कुछ जीव कम खाते हैं, कुछ जीव ज्यादा और कुछ जीव आवश्यकतानुसार खाते हैं, लेकिन भोजन की अवश्यकता हर स्थान पर हर जीव को है। सनातन शास्त्रों के अनुसार किसी भी जीव को, जीवित रहने की मूल आवश्यकताओ में भोजन एक है, क्योंकि भोजन, जीवन की गति को गतिमान रखने के साथ ही शक्ति, निरोगिता और आयुवृद्धि भी देता है। इसलिए भोजन का चयन केवल जीवन जीने के लिए नहीं, अपितु शक्ति, निरोगिता और आयुवृद्धि के लिए भी किया जाना नितान्त आवश्यक है। क्या खाना है, कब खाना है, कैसे खाना है और किन खाद्य पदार्थों से दुर्बल और रोगी होने की सम्भावना होती है, इन सभी तथ्योंं को सनातन संस्कृति में विशेष रूप से ध्यान देकर पहले ही सूत्रों के माध्यम से ऋषि मुनियों ने स्थापित कर दिया था, जिसे आज इस आधुनिक युग में  जानकारी कर पालन किए जाने मात्र से ही अद्भुत और चमत्कारी परिणाम मिल जाता है।

भोजन में रोटी का बड़ा महत्व है। सामान्यतः रोटी गेहूँ, चावल, बाजरा, मक्का आदि के आटे की बनती हैं। जिसमें से गेहॅँ आटे की रोटी सबसे ज्यादा खायी और बनायी जाती है। पहले प्रत्येक घर के अंदर दो पत्थरों से निर्मित चक्की होती थी, जिससे लोग घर की चक्की में ही गेहूँ इत्यादि पीस कर उसे खाने योग्य बनाते थे, इस चक्की को लोग चाकी के नाम से जानते थे। इसी चाकी में सभी तरह का आटा बनाया जाता था। जिसका स्थान आज वर्तमान युग में विद्युत चक्कियों ने ले लिया है, जहाँ अब किसी भी प्रकार का आटा पिसवाया जा सकता है। आटा पिसवाते और उपयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाए,  तो यही आटा स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ ही घर में सुख-शांति और वृद्धि-समृद्धि के द्वार खोल देगा और घर में लक्ष्मी का स्थाई वास भी होगा।

  1. गेहूँ में ग्यारह तुलसी के पत्ते डालकर पिसवाने से आटे में कीड़े नही पड़ते है और आटा और तुलसी का मिश्रण त्वचा की गहरी सतह में मौजूद विषैले तत्व स्वतः ही बाहर निकल जाते है। भोजन में तुलसी पत्ते का ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स तत्व रक्त में मिश्रित गंदगी साफ करता है।
  2. दस किलो गेहूँ मे आधा किलो काला चना मिश्रित आटा अथवा बीस किलो गेहूँ में एक किलो काला चना मिश्रित आटा मस्तिष्क क्षमता और भूख को बढ़ाता है जिससे उदर रोग से मुक्ति और शारीरिक संतुलन मिलता है।
  3. गेहूँ, ज्वार, मटर मिश्रित आटे की रोटियाँ खाने से रक्तचाप और मधुमेह रोग को नियंत्रित किया जा सकता है और भोजन को और ज्यादा पौष्टिक बनाया जा सकता है।
  4. गेहूँ और जौ  मिश्रित आटा शारीरिक दुर्बलता समाप्त कर माँसपेशियों की शक्ति बढ़ाता है।
  5. गेहूँ के आटे की मोटी रोटी को एक तरफ सेंककर दूसरी ओर हल्दी, सेंधा नमक व सरसों का तेल फैलाकर सूजन वाले स्थान पर बाँधने से हर प्रकार की अंदरूनी चोट ठीक होती है, बस बाहरी चोट न हो, अन्यथा जलन संभव है।
  6. गेहूँ के आटे की रोटी में हल्दी व नमक लगाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा अतिशीघ्र फूट जाता है और फोड़ा कोई दाग भी नहीं छोड़ता।
  7. दस ग्राम गेहूँ में आधा चम्मच घी व हल्दी के साथ भूनकर लाल कर उसे चबा चबा कर खाने से मोच का दर्द कम या समाप्त हो जाता है।
  8. चालीस तोला पानी में ढाई तोला सेंका हुआ गेहूँ, पाँच तोला पानी शेष रह जाने तक छानकर एक माशा सेंधा नमक मिलाकर पीने से सर्दी, खाँसी में आराम दिलाता है।
  9. पाँच तोला गेहूँ को धीमी आँच पर भूनकर शहद मिश्रित लेप करने से एक्जिमा आदि चर्म रोगों को कम या समाप्त करता है।
  10. रात को मिट्टी के बर्तन में दो चम्मच गेहूँ की दलिया को भिगोकर सुबह उस पानी को निथार कर मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब की जलन दूर होती है।
  11. एक लाल थैली में केसर के २ पत्ते और थोड़ा सा गेहूँ मंदिर में ईश्वर को भोग के रूप में चढ़ाने के बाद उसे प्रसाद रूप में गेहूँ में डालकर पिसवाने से घर में अन्न धन की कमी नहीं होती है।
  12. घर की चक्की में आटा पीसने पर उसका प्राकृतिक औषधीय गुण बना रहता है और विद्युत की चक्की में आटा बनाने से औषधीय तत्व कम हो जाते हैं।
  13. ध्यान रहे गेहूँ केवल सोमवार या शनिवार को ही पिसवाना चाहिए, बृहस्पतिवार और रविवार को घर में आटा लाना या पिसाना नहीं चाहिए, इससे लक्ष्मी का वास समाप्त हो जाता है।

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