Pitra Paksha Shraddh - आत्मा के प्रेतत्व निवृत्ति के निमित्त श्रद्धापूर्वक तृप्ति ही श्राद्ध कर्म है
वैदिक काल से मृत्यु-उपरांत जन्मदात्री मातृ-पितृ की सेवा एवं स्मृत रखने हेतु श्राद्ध पक्ष (सोलह दिनों) का विशेष विधान प्रचलन में है। पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व कृतज्ञता प्रकट या अभिव्यक्ति करने के महापर्व (भाद्रपद मास ...
Dhumavati Jaynti - सुरक्षात्मक धुआँ बनकर नकारात्मकता और मृत्यु भय से मुक्ति दिलाती है माँ धूमवती।
दस महाविद्याओं में सातवी देवी धूमावती का स्वरुप और महिमा धूमावती को कौवा प्रतीक चिन्ह वाले घोड़े रहित रथ पर सवार, पतली, अस्वस्थ, कुरूप, बूढ़ी, पीले रंग, विधवा के रूप में पुराने मालिन वस्त्रों और गहनों ...
Tapti Jayanti - माँ ताप्ती गंगा केवल पवित्र नदी ही नहीं है, सूर्य और शनि ग्रह के सारे दोषों का निवारण भी करती है।
अषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ताप्ती जयन्ती और सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होना इस तिथि को विशेष बनाता है। मध्यप्रदेश के छोटे से नगर मुलताई से ताप्ती नदी का उदय ...
Ram Krishna Paramhansh - दक्षिणेश्वर काली मंदिर के संत, करते हर दुविधा का अंत।
भारत के ऐतिहासिक मन्दिरों में से दक्षिणेश्वर मंदिर एक हैं और सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के ...
देव उपासना में चावल को अक्षत क्यों कहते हैं
चावल भोजन में विशेष अनाज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। चावल के विभिन्न रूप पूरे वर्ष भर अनेक पकवानों में व भोजन को सुस्वादु बनाने में उपयोग होते हैं। धान के अंदर रहने ...
हुलसी के लाल तुलसी का मंदिर
महाकवि तुलसीदास के नाम पर बना मानस मंदिर है दीवारों पर उकेरी गयी हैं तुलसी भक्ति रामचरितमानस की चौपाइयां-दोहे। विश्व की सबसे प्राचीनतम नगर काशी को मंदिरों का शहर कहा जाता है। बनारस काशी, वाराणसी ये ...
इस मंदिर के शिवलिंग में होते हैं त्रिदेवों के दर्शन
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ भारत के प्रत्येक प्रांत में अनेको ऐसे स्थल हैं जो पर्यटन व सांस्कृतिक ...
Prahar Ashtayam - सनातन संस्कृति का मूल है - अष्टयाम (आठो प्रहर)
सनातन धर्म में समय की वृहत धारणा है। आमतौर पर सेकंड, मिनट, घंटे, दिन-रात, माह, वर्ष, दशक और शताब्दी तक प्रचलित धारणा है, लेकिन सनातन धर्म में एक अणु, तृसरेणु, त्रुटि, वेध, लावा, निमेष, क्षण, ...
Choti Dipawali (Diwali) - नरक चतुर्दशी (रूप चौदस) को हनुमान जी और यमराज का संयुक्त आशीर्वाद क्यो मिलता है।
काली चौदस अथवा हनुमान जयंति (रूप चौदस) अथवा नरक चतुर्दशी मुहुर्त 3.11.2021 को सुबह 09.02 से आरंभ 4.11.2021 को सुबह 06.03 पर समाप्त। पूजा-पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ विजय मुहूर्त दोपहर 01.33 से 02.17 तक है। काली चौदस ...
Rudraksha - चमत्कारी शक्तियों से युक्त होता है रुद्राक्ष, जानिए रुद्राक्ष के विषय में रहस्मयी व गूढ़ जानकारी
एकमुखी रुद्राक्ष - साक्षात शिव स्वरूप- ग्रह सूर्य - पापों का नाश, भय तथा चिंता से मुक्ति दिलाने वाला, इस रुद्राक्ष के धारणकर्ता को लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। दोमुखी रुद्राक्ष - साक्षात गौरी/अर्द्धनारीश्वर का स्वरूप- ...