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Ram Krishna Paramhansh - दक्षिणेश्वर काली मंदिर के संत, करते हर दुविधा का अंत।


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 15-03-2021

भारत के ऐतिहासिक मन्दिरों में से दक्षिणेश्वर मंदिर एक हैं और सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए भक्तजन की भीड़ लगी रहती है, परन्तु दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर सबसे प्रसिद्ध है। भारत के उत्तर कोलकाता में हुगली नदी के किनारे स्थित बैरकपुर में 25 एकड़ क्षेत्र में बना काली मंदिर है।

इसका निर्माण 1847 से प्रारंभ हुआ और 1854 ई0 तक बनकर तैयार हुआ। इस भव्य मंदिर को जान बाजार की महारानी रासमणि बनवाया था। इसकी भव्यता देखने लायक हैं। इस मंदिर की मुख्य देवी भवतारिणी है, जो माँ काली हैं। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव जी के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं। मंदिर के खुलने का समय प्रातः काल 5.30 से 10.30 तक और संध्या काल 4.30 से 7.30 तक ही है। दक्षिणेश्वर माँ काली मंदिर के सामने नट मंदिर स्थित है।

दक्षिणेश्वर मंदिर में रामकृष्ण गदाधर से परमहंस बने थे और इसी मन्दिर को ही अपनी कर्म स्थली, साधनास्थली बनायी और यही पर समाधि में लीन भी हो गये। वर्ष 1857 से 1868 ई0 तक  स्वामी रामकृष्ण इस मंदिर के प्रधान पुरोहित बने रहे।

कहा जाता है कि महारानी रासमणि केे स्वप्न में आकर माँ काली ने खुद मंदिर बनवाने के लिये आदेश दिया था। लाखों लोगो का कल्याण करने वाले रामकृष्ण माता काली की सेवा करके ही परम तपस्वी बनें। आज भी जब कोई भक्त दुःख हरने वाली काली के दक्षिणेश्वर मंदिर आते हैं, तो बिना रामकृष्ण परमहंस को याद किये नही जाते हैं। मन्दिर के अतीत में झांक के देखने पर ही मालूम होता हैं किस तरह समान्य से दिखने वाले बालक ने एक प्रतिमा की मूरत को अपनी तपस्या, भक्ति, साधना सेवा से माँ काली को जाग्रत कर ममता की मूरत बना लिया था।

मंदिर के उत्तर पश्चिमी कोने में रामकृष्ण परमहंस का कक्ष आज भी ऐतिहासिक गवाह के रूप में सुरक्षित हैं। मन्दिर में दर्शन करने आये श्रद्धालु एक बार जरूर इस कक्ष में प्रेवश करते हैं। निसंदेह ही दक्षिणेश्वर मंदिर की पहचान ख्याति का सम्बंध स्वामी रामकृष्ण परमहंस हैं।             

मन्दिर की खास विशेषताओं में से एक हैं कि मन्दिर के भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल की हजार पंखुड़ियाँ के बीच भगवान शिव लेटे हुये हैं उनके ऊपर माँ काली शस्त्रों सहित खड़ी हुई हैं। माता के इस अनोखे स्वरूप को देखने भक्त दूसरे देशों से भी आते हैं काली माँ का मंदिर 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा है। मन्दिर की खूबसूरती के साथ मन्दिर के आस पास का शुद्ध वातावरण श्रद्धालुओं का मन मोह लेता हैं। मन्दिर के बारह गुम्बद हैं वही मन्दिर के चारों ओर शिव जी के बारह मन्दिर हैं। भक्तों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती मन्दिर के पास से बहती हुगली नदी (गंगा नदी) है।

मान्यता है कि यहां आने वाले हर दुखिया का दुख माता के आशीर्वाद से नष्ट हो जाता है। केवल सच्चे मन से मां काली के दरबार मे जाया जाए तो कोई इच्छा अधूरी नहीं रहती है।

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