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हुलसी के लाल तुलसी का मंदिर


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 24-01-2021

महाकवि तुलसीदास के नाम पर बना मानस मंदिर है दीवारों पर उकेरी गयी हैं तुलसी भक्ति रामचरितमानस की चौपाइयां-दोहे।

विश्व की सबसे प्राचीनतम नगर काशी को मंदिरों का शहर कहा जाता है। बनारस काशी, वाराणसी ये तीनों नाम एक ही शहर के हैं ! इस शहर का सबसे ज्यादा महत्व मंदिरों से है। जिसमें सबसे ज्यादा खास बात काशी विश्वनाथ मंदिर और सकंट मोचन मंदिर को लेकर है,लेकिन इन मंदिरों के अलावा यहां पर कई अन्य मंदिर भी हैं जिन्हें कुछ विशेष बातों के लिये जाना जाता है । इन्हीं में से एक है तुलसी मानस मंदिर। इस मंदिर का पूरा नाम है तुलसी रामचरित मानस मंदिर। इस मंदिर की अपनी अलग ही खासियत है। यहां जो भी दर्शनार्थी आते हैं, मंदिर की यादों में खो जाते है। तुलसी मानस मंदिर की सभी दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी हैं। सावन में विशेष महत्व है मानस मंदिर का। सावन में लगने वाले मेला में विद्युत उपकरणों के माध्यम से तुलसी जी रामायण चौपाई पढ़ते हैं और पूरी राम लीला, कृष्ण लीला दर्शायी गयी है जो कि दर्शन करने आये भक्तों आकर्षित करती है।

मंदिर के निर्माण के बारे में लोगों का कहना है कि पहले यहाँ छोटा सा मंदिर हुआ करता था। सन् 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने तुलसी मानस मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। यहाँ पर मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गुंजायमान रहता है। यहाँ पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाएँ हैं। इसके अलावा यहाँ एक तरफ माता अन्नपूर्णा और शिवजी तथा दूसरी तरफ भगवान सत्यनारायण का मंदिर भी है।

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