संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 08-02-2021
इस बार 27 फरवरी 2021 को माघ मास की पूर्णिमा है। माघ पूर्णिमा का स्वास्थ्य, वैज्ञानिक और धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अति विशिष्ट है। पूरे वर्ष का सबसे पवित्र व पावन माह माघ मास है, जिसमें सनातन संस्कृति में पूर्णिमा तिथि को संगम (इलाहाबाद) गंगा सागर (कोलकाता) और (काशी) वाराणसी इत्यादि तीर्थ स्थानो में स्नान और दान करने से पुण्य फलों की इच्छा से पावन नदियो मे स्नान कर पितरों को एक जल से तर्पण करने से पितर को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है, और तर्पण कर्मो की कमी को ब्राम्हण व जरूरतमन्दों को दान इत्यादि करके पूर्ण किया जाता है। इससे व्यक्ति की अभिलाषाए और मनोकामना व मनोरथ पूर्ण होते हैं। निश्चय ही माघ पूर्णिमा मे भी कोई ना कोई वैज्ञानिक रहस्य संभव है, क्योकि सनातनी संस्कृति मे बिना वैज्ञानिक तथ्यो के कुछ भी संभव होता ही नहीं है, जिनकी चर्चा या संज्ञान मानव के लिए लाभप्रद ही होगा।
वैज्ञानिक तथ्य है कि पूर्णिमा को चंद्रमा की ओर पानी का खिंचाव बढ़ता है, जिससे पृथ्वी पर नदियों और समुंदर में लहरें उठती हुई देखी जा सकती हैं और फिर अमावस्या में समुंदर और नदियाँ लगभग शांत दिखती हैं। इसका प्रभाव मनुष्य पर भी दिखता है, क्योकि मनुष्य भी 70 प्रतिशत पानी और 30 प्रतिशत ठोस से निर्मित है। चूँकि मनुष्य में भी 70 प्रतिशत पानी है, जिससे उसके अंतस्थल में भी हलचल होती है, जिसके प्रभाव से मनुष्य के स्वभाव में भी परिवर्तन आता है। इसी प्रभाव को नियंत्रित किए जाने हेतु सनातन संस्कृति में पूर्णिमा को विविध प्रकार के उपायों, व्रतों, नियमों और पर्वों का प्रावधान ऋषि मुनियो और ज्ञाताओं द्वारा किए गए हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माघ पूर्णमासी के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाएं बिखेरता है। पृथ्वी पर पड़ने वाली 16 कलाएं वातावरण को शुद्ध करती हैं और पेड़ पौधों भी लहलहा उठते हैं, जिससे इन पेड़ पौधों और वनस्पतियों मे रोगों से मुक्ति के गुण उत्पन्न हो जाते हैं। जिसका चन्द्रमा कमज़ोर हो या एकाग्रता की कमी हो उसे माघ पूर्णमासी को चन्द्रमा के सामने त्राटक करना लाभप्रद होता है। उससे एकाग्रता की कमी पूरी होती है, कमज़ोर चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा मन का कारक होता है त्राटक करने से चंचल मन शांत होता हैं। पूर्णमासी के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप में होता है तथा सभी व्यक्तियों के मन को प्रभावित करता हैं। पूर्णिमा में जो व्यक्ति पूर्णिमा के आस-पास में जन्मता हैं, उनका मन विचलित रहता हैं। पूर्णमासी को चन्द्रमा मन को आकर्षित करता हैं, इसलिए उसका शुभ अशुभ प्रभाव भी पड़ता ही है।
धार्मिक महत्व : माघी पूर्णिमा के संबंध मे पुराणो से विदित होता है कि माघ मास की पूर्णिमा तिथि को देवी-देवतागण मानवीय रूप मे स्वम आकर गंगा मे स्नान ध्यान करते है और पृथ्वी पर याचक को व्याप्त दुख-संतापों से शांति और मुक्ति प्रदान करते है। इस माह में स्नानादि के पश्चात विष्णु की पूजन कर पितरों को तर्पण इत्यादि कर्म से निवृत्ति के बाद तिल गुड़ अन्न वस्तुओं का दान ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को करने से घर में सुख संपन्नता आती है। माघ पूर्णिमा को शांति व संयम से व्रत पूर्ण कर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देना हितकारी और पुण्य फल दायक होता है।
संसारिक जगत में कोई भी जीव बिना भोज्य द्रव्य के जीवित ही नहीं रह सकता है। कुछ जीव कम खाते हैं, कुछ जीव ज्यादा और कुछ जीव आवश्यकतानुसार खाते हैं, लेकिन भोजन की अवश्यकता हर ...
भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन पर्वों, उपवासों, परंपराओं और पूजा से समृद्ध है। इस सामाजिक परंपरा में परिवार की कल्पना है और परिवार के भीतर रिश्तों का जाल है। मनुष्य जीवन यात्रा को बाँधने, संसार को ...
चावल भोजन में विशेष अनाज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। चावल के विभिन्न रूप पूरे वर्ष भर अनेक पकवानों में व भोजन को सुस्वादु बनाने में उपयोग होते हैं। धान के अंदर रहने ...