संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 10-02-2021
सनातन संस्कृति को लेकर वैज्ञानिक नतमस्तक हैं। प्राचीन समय से ही साधु-संतों ने सनातन संस्कृति में साधना, व्रत,उपासना,योग के माध्यम से मानव कल्याण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कई उपायों और नियमों को दैनिक व्यवहार में स्थान दिलाया हैं। इसी क्रम मे माघ मास में पडऩे वाली अमावस्या के लिए भी सनातन संस्कृति में व्रत का नियम प्रचलित है। मौनी अमावस्या सिर्फ एक सांस्कृतिक पर्व ही नहीं है, बल्कि यह एक दुर्लभ योग भी है। यदि इस अवसर पर हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा बताए गए नियमों का पालन किया जाए तो स्वास्थ्य व आध्यात्मिक लाभ ग्रहण किया जा सकता हैं।
ऐसी मान्यता है कि शिशु, जन्म के कुछ समय के बाद से ही जीभ, दांत व मसूड़ों के सहारे बोलना शुरू करता हैं और चिरनिंद्रा में विलीन होने से पहले तक वह वाणी का उच्चारण करता रहता है। जीभ को भी आराम देने के लिये विशेष रूप से एक दिन सनातन धर्म में दिया गया है।
शास्त्रों के मतानुसार मौनी अमावस्या में पूरा दिन मौन रहना चाहिए। इस दिन अपनी जीभ को विश्राम देना चाहिए। अधिक से अधिक मौन रह कर सभी कार्य संपादित करने का प्रयास करना चाहिए, यानि ना के बराबर बोलना चाहिए। मौन रहकर ही स्नान करना, भोजन या फलाहार करना, पठन पाठन और अन्य क्रिया-कलाप मौन रहकर ही करने चाहिए। मन को शांत रखकर ही भगवान शिव व भगवान विष्णु का ध्यान करके उनकी पूजा करना चाहिए और सन्ध्या काल में पीपल के वृक्ष को जल समर्पित करना चाहिए।
पौराणिक कथानुसार समुंद्र मंथन से अमृत कलश सहित भगवान धन्वन्तरि के अवतरण के बाद देवता और दानवों के बीच कलश को लेकर खींचा-तानी और घमासान होना प्रारम्भ हो गया था। जिसके फलस्वरूप अमृत की बूँदें संगम, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिर गईं और वहाँ की नदियाँ और जल, पवित्र अमृतमय हो गया। मान्यता है कि इस दिन जल में देव वास करते हैं और इस दिन गंगा स्नान करने से अमृत की प्राप्ति होती हैं व सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं। इसलिये संगम, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में स्नान करने से तन-मन दोनों ही तृप्त होते हैं।
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। पूरे माघ मास को कार्तिक के समान पुण्य मास माना और कहा गया है। इलाहाबाद में संगम तट पर साधु-संतजन द्वारा पूरे माघ मास तक कुटी बनाकर रहते हुए दैनिक रूप से भोर में नित्यक्रिया करने के बाद स्नान के पश्चात भजन कीर्तन करते हैं। मौनी अमावस्या को ताँबा, घी, गौ, वस्त्र, खाने पीने का समान दान कर सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए।
मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त: मौनी अमावस्या 10 फरवरी 2021 को 01 बजकर 10 मिनट से 11 फरवरी 2021 की रात 12 बजकर 27 मिनट तक
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