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Bhagwan (Ishwar) - ईश्वर की आराधना प्रणाली से ज्यादा महत्वपूर्ण ईश्वर पर विश्वास


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संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 05-01-2021

एक ज्ञानी समुद्री मार्ग से यात्रा कर रहे थे, अकस्मात् एक रात तूफ़ान के कारण जहाज़ को एक द्वीप के पास रुकना पड़ा। प्रातः काल ज्ञात हुआ कि तूफ़ान से जहाज़ में तकनीकी ख़राबी आ जाने के कारण एक-दो दिन वहीं रुकना पड़ेगा। ज्ञानी ने समय व्यर्थ करने के बजाय द्वीप पर घूमकर लोगों से अपने भगवान के बारे में चर्चा करने का विचार किया। वे द्वीप पर इधर उधर घूमते हुए तीन द्वीपवासियों से मिले, जो कई सालों से वहां सुनसान द्वीप पर रह रहे थे।

ज्ञानी ने उनसे भगवान और उनकी आराधना पर चर्चा की और उनसे पूछा-“क्या आप ईश्वर को मानते हैं ?” उनका जवाब हां में मिला।

फिर उन्होंने ने पूछा-“आप ईश्वर की आराधना कैसे करते हैं ?"

तब द्वीपवासियों ने बताया कि ''हम अपने दोनों हाथ ऊपर करके कहते हैं "हे भगवान हम आपके हैं, आपको याद करते हैं, आप भी हमें याद रखना। तब ज्ञानी ने समझाया कि यह प्रार्थना तो ग़लत तरीक़े से हो रही है।
इस पर एक द्वीपवासी ने कहा-"तो आप ही हमें सही प्रणाली सिखा दीजिये।" जिसके बाद ज्ञानी ने उन्हें अपनी धार्मिक पुस्तकों का ज्ञान देकर प्रार्थना करना सिखाया।इसके बाद जहाज़ ठीक होने पर वो वहां से अपने सफ़र पर आगे बढ़ गये।
तीन दिन बाद ज्ञानी ने जहाज़ के डेक पर टहलते हुए देखा कि वे तीनों द्वीपवासी पानी पर दौड़ते हुए जहाज़ के पीछे-पीछे आ रहे हैं। उन्हें पानी के ऊपर दौड़ता देखकर वो बहुत हैरान हुए और उनसे इस तरह आने का कारण पूछा। द्वीपवासी बोले ''आपने जो प्रार्थना हमें सिखाई थी, उसे हम लोग अगले दिन ही भूल गये इसीलिये उसे दोबारा सीखने आये हैं,आप ही हमारी मदद कर सकते हैं।
ज्ञानी ने कहा कि सब कुछ सिखा दूंगा परन्तु तुम लोग पहले ये बताओ कि पानी पर दौड़ कर कैसे आए ? ये विद्या मुझे भी सिखा दो।
तीनों द्वीपवासियों ने एक स्वर में कहा-" हम लोग आपके पास जल्दी से जल्दी पहुँचना चाहते थे, सो हमने भगवान से विनती करके मदद माँगी और कहा - "हे भगवान!! हम लोग दौड़ तो लेंगे, बस आप हमें डूबने ना देना ! बस ये प्रार्थना की और दौड़ पड़े"
अब तो ज्ञानी को अपनी सारी आराधना पूजा बिल्कुल फीकी लगने लगी, वो सोच में पड़ गये और बहुत भावुक होते हुए तीनों द्वीपवासियों से बोले -आपको किसी प्रार्थना की आवश्यकता नहीं है। आप लोगों का भगवान के प्रति अटूट विश्वास मेरी प्रार्थना से श्रेष्ठ है। आपकी आराधना ही श्रेष्ठ है। आप लोग जैसे पहले प्रार्थना करते थे, वैसे ही करिए क्योंकि मेरी पुस्तकें और ज्ञान रास्ता तो बता सकते हैं परंतु भगवान से नहीं मिला सकते। लेकिन आपका विश्वास सीधे भगवान तक पहुंचाता है, रास्ता नहीं बताता।
ये लघु कथा भगवान को प्राप्त करने की आराधना प्रणाली से ज्यादा महत्वपूर्ण भगवान पर विश्वास को सिद्ध करती है। तभी तो संत कबीर दास ने भी कहा है - 

“माला फेरत जुग गया, फिरा ना मन का फेर,

कर का मन का डारि दे, मनका-मनका फेर॥“

"हे भगवान!! हम लोग दौड़ तो लेंगे, बस आप हमें डूबने ना देना ! यही सच्चा ज्ञान है और पूर्ण सार भी है।

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