संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 05-01-2021
मानव विज्ञान के शोधकर्ता बताते है कि एक स्वस्थ वयस्क पुरुष के एक बार के संभोग से निकले उसके वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा लगभग 40 लाख होती है अर्थात एक वयस्क पुरुष एक बार के सम्भोग से 40 लाख बच्चे पैदा कर सकता है। इन 40 लाख शुक्राणुओं में से वयस्क महिला के गर्भाशय तक जाते-जाते केवल 300-500 शुक्राणु ही जीवित रह जाते हैं। 40 लाख शुक्राणुओं में से 39 लाख 99 हजार 7 सौ अथवा 3 सौ शुक्राणु रास्ते में थक-हार कर नष्ट हो जाते हैं और बचे हुए ये 300-500 शुक्राणु ही डिंब तक पहुंचने में सक्षम हो पाते हैं। इनमें से केवल एक बहुत ही मज़बूत शुक्राणु डिंब को निषेचित करता है या डिंब में अपना स्थान ले पाता है। वह अतिभाग्यशाली शुक्राणु आप या मैं, या हम सब हैं।
इस महायुद्ध के बारे में क्या कभी विचार किया है?
जब आपने विजयश्री प्राप्त की थी, तब आपके हाथ-पैर, आंख-सिर नहीं था, फिर भी जीत हुई।
जब आप विजयी हुए थे, तब आपके पास प्रमाणपत्र नहीं था, दिमाग नहीं था, लेकिन जीत हुई।
संघर्ष के समय कोई योग्यता नहीं थी, किसी की मदद भी नहीं ली, फिर भी जीत हुई।
एक ही प्रेरणा के साथ गंतव्य तक पहुंचने के लिए संघर्ष हुआ। बहुत प्रतिद्वंदी रोकने वाले थे, फिर भी आपने गंतव्य को लक्ष्य बनाया और अंत में जीत हुई।
इसके बाद आपका जन्म हुआ। बहुत से लोग पैदा हो ही नहीं पाते, गर्भ में ही नष्ट हो जाते हैं, बहुत से लोग पैदा होकर जीवित नहीं रह पाते हैं, लेकिन आप चट्टान की तरह मज़बूत थे, नष्ट नहीं हुए और 09 महीनों बाद ये दुनिया आपकी प्रतीक्षा कर रही थी।
जीवन चक्र के पहले 5 वर्षों में ही कई लोग काल का ग्रास बन जाते हैं, किन्तु आप कालजयी हुए।
कई लोग कुपोषण का शिकार हुए, किन्तु आप नहीं हुए।
कई लोग तो जवानी भी नहीं देख सके, किन्तु आप ने देखी है।
और आज ...... छोटी छोटी बात पर घबराते हैं, निराश होते हैं। आपको लगता है आप हारने वाले हैं,आत्मविश्वास डगमगाता है। आज दोस्त भी हैं, भाई-बहन भी हैं,डिग्रियां हैं, संसाधन इत्यादि सब कुछ तो है। बड़ी बात आज हाथ-पैर हैं, शिक्षा है, योजनाओं के लिए मस्तिष्क है, मदद के लिए भी लोग हैं, फिर भी डर है कि हारने वाले है। जबकि जीवन रचना के पहले दिन से ही आप शक्तिशाली थे, 40 लाख शुक्राणुओं में आप ही कालजयी हैं।
ऐसे हज़ारों तर्क हैं सिर्फ़ ये बताने के लिए कि असम्भव कुछ नहीं था। ये आप ही थे जिसके कारण ये जीवन संभव हुआ। जब पहले दिन से आज तक आप ही जीतते आ रहे थे, तो अंत में क्यूं हार जाएंगे ? आपने प्रयास करना छोड़ दिया, वरना आपको हराने वाला कौन था? शायद कोई नहीं, परंतु इतना भय क्यूं हुआ? जब सवाल स्वयं से पूछेंगे तब जवाब मिलेगा। आपने संघर्ष करना छोड़ दिया, प्रयास करना छोड़ दिया, ख़ुद पर भरोसा करना भी छोड़ दिया, वरना आपमें हारने का डर ना आता और ना जीत पर संशय होता।आप प्रकृति की एक अनमोल रचना हैं,बहुत क़ीमती, स्वयं को समय दें, ख़ुद पर फिर से भरोसा करिए और फिर पूरे यत्न करिए ,प्रयत्न करिए, ना हारे थे, ना हारेंगे, सफलता सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी प्रतीक्षा में है।
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