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Sankranti - कर्क संक्रांति से मानव सांसारिक गति में रमकर सफलता पाता है।


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 13-07-2021

सनातन संस्कृति में ब्रह्मांडीय संचार के खगोलीय ग्रह, नक्षत्र और राशियों के परिवर्तन को सांसारिक व व्यवहारिक बदलाव के लिए अत्यंत विशेष माना जाता हैं। मानवीय व सांसरिक जीवन कही न कही सूर्य देव की ऊर्जा के साथ ही संचारित है। इसीलिए सूर्य की स्थिति में तृण का भी परिवर्तन कम या ज्यादा असर सभी निर्जीव और सजीव वस्तुओं व जीवो पर दिखने लगता हैं। ज्योतिष शास्त्र में पूर्णतया ब्रहमाण्डिय, खगोलीय और सांसारिक जीवन मे ऊर्जा के संचालन की गणना और उसके भविष्य की संभावनाओं की तलाश कर मनुष्य के लिए जीवन को सरल बनाने की कला भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार संक्रांति तिथियां तीनों लोक के लिये महत्वपूर्ण है।
सनातनी पंचांग अनुसार कर्क संक्रांति एक खगोलीय घटना है। कर्क संक्रांति से उत्तरायण काल का अंत हो जाता है। सूर्य महाराज कर्क राशि में आषाढ़ मास की सप्तमी तिथि को प्रवेश कर रहे हैं। कर्क राशि मकर राशि का प्रतिपक्ष हैं। जैसे मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ ही उत्तरायण की शुरुआत हो जाती है, ठीक वैसे ही कर्क राशि के प्रवेश के साथ ही आगामी छः माह तक दक्षिणायन रहेगा।
अर्थात् सूर्य के मकर की संक्रांति से पृथ्वी उत्तरायण गति ईशान कोण से होती है, वैसे ही कर्क राशि की संक्रान्ति के साथ ही पृथ्वी की गति छः महीने तक दक्षिणायन गति नैऋत्य कोण से आरम्भ हो जाती है। यह दोनो ही संयोग पृथ्वी के वातावरणीय प्रभाव को परिवर्तित करता है। इसीलिए प्रत्येक परिवर्तन के साथ ही मनुष्य को भी अपने खानपान, व्यवहार, और दिनचर्या में लाना पड़ता है। मकर संक्रांति के बाद से मन भक्ति, प्रेम और शांति में रमता है, किंतु कर्क की संक्रांति के बाद से मन सांसारिक गतिविधियों और मायामोह में रमने लगता है।
कर्क संक्रांति को सूर्य देव की उपासना अवश्य करनी चाहिए। छह महीने के इस चरण के दौरान देवता सो जाते हैं। इस दिन भक्त महाविष्णु को ध्यान में रखकर व्रत का पालन करते हैं और प्रभु की पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन पवित्र तीर्थ नदियों में स्नान करके फल और वस्त्र के दान करने का विशेष महत्व है।

सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश और वहां उनका एक माह तक विराजमान रहना अर्थात कर्क संक्रांति का कुछ राशियों पर शुभ प्रभाव पड़ेगा—  

  1. वृषभराशि:- कर्क संक्रांति के समय सूर्य, कर्क राशि के तीसरे भाव में होंगे. इस दौरान इस राशि के जातकों को सभी कार्यों में सफलता हासिल होगी. कार्यक्षेत्र पर सम्पूर्ण कार्य पूर्ण निष्ठा तथा कर्तव्य के साथ करेंगे. इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा. इस राशि के छात्रों के लिए भी यह समय उत्तम है. पढ़ाई के साथ-साथ क्रीणा में भी सफल होंगे।
  2. मिथुन राशि:- इस राशि के जातकों के लिए भी सूर्य का कर्क राशि में गोचर होना बहुत ही उत्तम साबित होगा! इस दौरान निवेश से लाभ मिलेगा! भाई-बहनों से भी आर्थिक मदद मिल सकती है। वाद-विवाद से दूरी बनाने पर धन लाभ का योग प्रबल हो सकता है।
  3. कन्याराशि:- कन्या राशि वालों के लिए यह गोचर शुभ फलदायी साबित होगा। इनके प्रभाव से आपको धन की कमी नहीं होगी. उच्च अधिकारियों का साथ और सहयोग मिलेगा. संबंध मधुर रहेंगे. समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा.
  4. तुलाराशि:- सूर्य का गोचर आपके दशम भाव में होगा. इससे आपके जीवन में खुशियां और सफलता आयेगी. इस राशि के जो छात्र सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहें हैं उनके लिए यह समय शुभ है तथा जो जातक नौकरी कर रहें हैं !उनके प्रमोशन के भी योग बन सकते हैं.
  5. मीन राशि:-  मीन राशि के वे छात्र जो तैयारी कर रहें हैं उनके लिए यह समय बेहद शुभ है! इस राशि के जातकों को वाद-विवाद से बचना चाहिए. इन्हें आर्थिक समस्या आ सकती है. जीवनसाथी से मनमुटाव हो सकता है!

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