संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 19-01-2021
सनातन संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी सस्कृतियो में से एक है, जिसका इतिहास 1500 ईसा पूर्व का है। सनातन के विषय में कुछ रोचक व दिलचस्प तथ्यों को जानना आवश्यक है।
सनातनी सस्कृति - जीवन का एक तरीका अथवा संस्कार है, जिसे धर्म नही कहा जा सकता है। क्योकि यह प्रकृति संरक्षण के नियमों पर आधारित एक परम्परा है और इसमें अलग-अलग पंथ और विचार समाहित है। विश्व में अधिकांश धर्मों के संस्थापक है, जैसे इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद, ईसाई धर्म के ईसा मसीह बौद्ध के गौतम बुद्ध हैं, किन्तु सनातनी संस्कृति का कोई संस्थापक नही है, इस संस्कृति का स्थापन नहीं हुआ, इसका प्रकृति और जीवन के संयोग से सृजन हुआ और यह कई परम्पराओ और दर्शनों का समूह है। जहाॅ सभी पंथ और विचार को समाहित कर लेने की अद्वितीय क्षमता है। मान्यता है कि विश्व के 90% धर्मो की जननी सनातन संस्कृति है।
संस्कृत भाषा प्राचीनतम और सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। वैश्विक स्तर पर ज्यादातर भाषाविद इसे विश्व की बोले जाने वाली सभी भाषाओं की जननी मानते हैं। वैज्ञानिको द्वारा यह भी सिद्ध हो चुका है कि संस्कृत कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है और भविष्य उपयोगी है। अंतरिक्ष में भी भेजे जाने वाली सबसे तीक्ष्ण तरंगे संस्कृत की ही मानी जा रही है।
ॐ ही ब्रह्मांड की प्रथम ध्वनि है।
सनातनी संस्कृति में अनादि काल से ही ॐ उच्चारण को सबसे पवित्र शब्द माना गया है। बिना ॐ के उच्चारण के कोई भी मंत्र अधूरा ही माना गया है, मंत्रो का उच्चारित होने वाला पहला शब्द ॐ है। ॐ के उच्चारण से 432 हर्ट्ज की घ्वनि या कंपन उत्पन्न होता है, जो ब्रह्मांड में उच्च प्रभावशाली कंपन आवृत्ति है।
सर्वभौमिक चेतना का श्रोत - योग
योग सनातनी संस्कृति का प्रमुख अंग माना जाता है और योग के बल पर ब्रह्मांडीय शक्तियों को प्राप्त करने का सूत्र बताए गए है। साधु-संत, देव-दानव सभी के तप प्रभाव का बारम्बार वर्णन मिलता है। योग का मूल अर्थ सनातनीयो के लिए ईश्वर से मिलन करने का मार्ग है। संस्कृति में आदिदेव भगवान शिव को योग का स्वामी कहा जाता है। संसार को प्रथम बार आदिदेव भगवान आशुतोष जी ने ही सप्त ऋषियों को योग के रहस्यो से परिचय कराया था।
औषधियो गुणों से युक्त गंगा नदी
सनातनी संस्कृति में सबसे ज्यादा पूजित नदी है गंगा नदी और जल है गंगा जल। गंगा जल में ऐसे तत्व विद्यमान है, जो किसी भी तरह के जीवाणु के हानिकारक गुण को समाप्त कर स्वास्थ्य की दृश्टि से लाभकारी बना देता है। शायद इन्ही गुणो के प्रभाव से लंबे समय तक बिना खराब हुए रखा जाने वाला गंगा जल ही है। ऐसा जल अभी तक किसी भी नदी के पानी में नही मिल सका है।
अंतरिक्ष से देखा जाने वाला मेला -कुंभ मेला
विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुंभ मेला है, जो प्रत्येक बारह वर्ष के बाद गंगा नदी के तट पर आयोजित होता है। इस मेले में सम्मिलित होने के लिये विश्व के अलग-अलग स्थानो से और भारत के कोने-कोने से गंगा में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु एक साथ एकत्रित होते हैं। इस मेले में श्रद्धालुओं की संख्या इतनी ज्यादा हो जाती है कि इसे अंतरिक्ष से भी स्पष्ट देखा जा सकता है। भारत के उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले पृथ्वी इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसेट-2 द्वारा इन घटनाओ को अंतरिक्ष से दृश्य किया गया है, जिसके चित्र इसरो के पास उपलब्ध है।
सनातनी संस्कृति आविष्कार और नये विचारो का श्रोत
वैश्विक स्तर पर प्राचीनतम प्रमुख अविष्कारो में सनातनी संस्कृति अग्रणी है, जिसमें योग, ज्योतिष, ज्यामितीय और वैदिक गणित, दशमलव प्रणाली, पाई, ध्यान, वास्तु, नेविगेशन प्रणाली और शून्य इत्यादि इत्यादि। 600 ईसा पूर्व प्लास्टिक सर्जरी के जनक ऋषि सुश्रुत है। उनके बाद ही आधुनिक शल्य चिकित्सा एवं सर्जरी का प्रचलन हुआ।
काल चक्र अथवा समय की गणना
सनातन संस्कृति के पुरूधाओ द्वारा ही गोलाकार चक्र में समय रेखा के सिद्धान्त की अवधारणा प्रथम बाद विश्व को दिया गया है। इस चक्र को युगो के रूप में जाना जाता है। तदन्तर युग के पश्चात वर्ष, मास, दिन, प्रहर, घटी, पल, और कला-विकला आधरणा अंकित है। प्रत्येक काल चक्र में चार युग निर्धारित हैं अर्थात् सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। चूंकि निर्माण की प्रक्रिया चक्रीय और कभी न खत्म होने वाली है। कलयुग के अंत में ब्रह्मांड का चक्र पुनः प्रारम्भ होनी की अवधारणा भी इन्ही पुरूधाओ द्वारा की गयी हैं, जिसके लक्षण है कि जनमानस बहुआयागी मनोरंजन में सब कुछ नष्ट करेगा और फिर सांसारिक चक्र पुनः प्रारम्भ होकर नये युग में प्रवेश होना, बताया गया हैं।
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