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विकासशील बच्चों के लिए टॉनिक है पपीता और भूख, शक्ति और वीर्य बढ़ाता है।


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 19-01-2021

पपीता लाखों गुण से युक्त स्वास्थ एवम सौंदर्यदायी फल हैं। जो मनुष्य को स्वस्थ ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से बलशाली भी बनाता है। पपीता सब्जी और फल दोनों है, जिसका उपयोग कच्चे और पके दोनों ही रूपों में लिया जाता हैं। कच्चे पपीते की सब्जी बनती है और पक जाने के बाद एक फल माना जाता है। अधिकतम लोगो को पपीते का सुगंध और स्वाद नहीं भाता है, परन्तु पपीते में अधिकतम ऐसे गुण उपस्थित हैं, जो मनुष्य की पाचन शक्ति में वृद्धि करता है। पपीता सहज पाचन योग्य होने के परिणाम स्वरुप चिकित्सा जगत में औषधि माना जाता है। पपीते में विटामिन ए, बी, डी, सी, केल्शियम, लौह, प्रोटीन एवं पोटेशियम (Potassium) आदि तत्त्व प्रचुर मात्रा में उपस्थित होता है। पपीता कच्ची अवस्था में हरा रंग का और पक जाने पर पीले रंग का होता है।

पपीता सभी उष्ण समशीतोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। पपीते के पेड़ में तीन या चार साल तक ही अच्छे फल लगते हैं।  इसके पेड़ सुगमता से उपजाऊ दोमट भूमि में उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं। घर के पास लगाने के लिये यह बहुत उत्तम कोमल फल का पेड़ है, लेकिन ऐसे स्थानों में जहाँ शीतकाल में पाला पड़ता हो, वहाँ इसको नहीं लगाना चाहिए क्योकि पेड़ जल्दी मर जाते हैं। पपीते के पेड़ों में नर एवं मादा दो अलग-अलग किस्मे होती हैं। नर पेड़ों में केवल लंबे-लंबे फूल ही आते हैं, लेकिन फल मादा मे ही लगते हैं। 

पके पपीते में उपस्थित किण्वक (एंजाइम) ‘पपैन (Papain)’ कहलाता है, जिससे पपीता शीघ्र ही पचता है एवं पेट में उत्पन्न होने वाली कोष्ठ बध्दता (Constipation) का भी शीध्र निवारण करता है। कई प्रकार के अध्ययनो ज्ञात होता है कि प्रात:काल यदि मनुष्य निरंतर 3 दिन तक खाली पेट पपीते का सेवन करता है, तो पेट तथा आंतों की सफाई हो जाती है और पेट की कई गंभीर बीमारियों में लाभकारी सिध्द होगा। ठंडे पपीते का सेवन करने से पपीते के स्वाद में अधिक वृद्धि हो जाती है। 

पपीते से जुड़े कुछ रोचक एवं लाभकारी तथ्य :- 

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