Pandit Ji स्वास्थ्य वास्तुकला त्यौहार आस्था बाज़ार भविष्यवाणी धर्म नक्षत्र विज्ञान साहित्य विधि

लाख दुखों की एक दवा है गिलोय


Celebrate Deepawali with PRG ❐


संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 18-01-2021

सनातन प्रकृति का विशेष महत्व है। जितनी बार भी इसे देखा, समझा और परीक्षण किया गया है, तो हर बार प्रकृति से सम्बद्ध जल-वायु-भूमि-आकाश और अग्नि आदि खगोलीय एवं ब्रम्हाण्डीय सभी तत्वों का मनुष्य के जीवन के सौंदर्य एवं स्वास्थ्य के बेहतर उपचार के लिए उपयोग किया गया है। जिससे कई बार गंभीर से गंभीर रोगों व व्याधियों का निराकरण सम्भव हो जाता है। उसी क्रम में एक वनस्पति है गिलोय। गिलोय प्रकृति में भी अदभुत औषधि हैं, जिसे सौ व्याधियों का एक उपचार कह सकते हैं। सनातन परिवेश में गिलोय का प्रयोग प्राकृतिक रूप से लौंग, अदरक, तुलसी के साथ काढा बनाकर उपयोग किया जाता रहा है। सम्भवतः इसी तथ्यपरक ज्ञान को समझ कर गिलोय को संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। एक मिथक है कि देवताओं और दानवों के संग्राम के बाद समुद्र मंथन से जब अमृत निकला और उसे लेकर देव-दानव इधर-उधर भाग रहे थे, उसी समयान्तराल के मध्य अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

गिलोय शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने, खून को साफ करने और विषाणुओं को समाप्त करने की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही जिगर (लीवर) और गूर्दा (किडनी) की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। कुल मिलाकर गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर बीमारियाँ दूर रखता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है। इसका वानस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया है। गिलोय पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देने वाला एक बेल हैं और जिस भी पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे यह मृत होने नहीं देती है। आयुर्वेद के शास्त्रों में गिलोय के असंख्य लाभ बताए गए हैं, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि सौन्दर्य की दृष्टि से भी प्रभावशाली है।
गिलोय से निम्न रोगों में प्रभावी परिणाम पाये जा सकते है:- (ज्वर, मधुमेह, पाचन रोग, तनाव, दृष्टि रोग, अस्थमा, गठिया इत्यादि और अनेक रोगों) प्रतिरोधी क्षमता)
ज्वर (बुखार) - गिलोय किसी भी प्रकार के बुखार से लडऩे में मदद करता है। इसीलिए डेंगू मलेरिया, स्वाइन फ्लू, करोना अनेक बुखार के मरीजों को गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। गिलोय बुखार से छुटकारा दिलाती है। अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। करोना काल में इसका विश्व स्तर पर अदभुत प्रचार और प्रसार हुआ है, जो लोग गिलोय को नहीं भी जानते थे, उन्हें भी अब गिलोय के बारे में जानकारी हो गयी है।

मधुमेह (डायबिटीज) - गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है, जिसका सीधा लाभ टाइप टू डायबिटीज के पीड़ित को मिल सकता है। गिलोय में रक्त को शुद्ध करने की क्षमता के कारण रक्त में शर्करा की मात्रा को कम होती है।

पाचन शक्ति - गिलोय बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित कर भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद करता है, जिससें व्यक्ति के कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचाव होता है।

मनसिक तनाव - प्रतिस्पर्धा के दौर में मानसिक तनाव या स्ट्रेस रहना सामान्य समस्या बन चुका है। गिलोय रक्त शुद्धि और पाचन तन्त्र सुदृढ करता है, जिससे शरीर के सभी तत्व मस्तिष्क तक सरलता से पहुँचते रहते हैं, जिससे मस्तिष्क की एकाग्रता और कार्यप्रणाली दुरुस्त रहती है, जिससे मानसिक तनाव और चिंता का स्तर कम होता है।

दृष्टि रोग - नेत्रों का अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष सम्बन्ध मस्तिष्क कार्यप्रणाली से है, इसलिये मस्तिष्क एकाग्रता और कार्यप्रणाली दुरुस्त रहती है, जिसका सीधा प्रभाव आंखों (नेत्रों) पर होता है। नेत्रों की रोशनी गिलोय से स्थिर एवं स्पष्ट होती है।

अस्थमा - श्वासनली की माँसपेशियों के कमजोर होने से अस्थमा रोग का विकास होता है, मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा पीड़ित को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गिलोय रक्त शुद्धि और पाचन तन्त्र के साथ मस्तिष्क कार्यप्रणाली सुदृढ़ करता है, जिसका सीधा प्रभाव माँसपेशियो पर भी पड़ता है, जिसमें श्वास सम्बन्धित बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है।

गठिया - गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है। गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने.फिरने में भी परेशानी होती है।

रक्त की कमी (एनीमिया) - गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और रक्त तन्त्रिकाएँ शुद्ध होती हैं, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव रक्त की कमी से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ के रूप में मिलता है और रक्त तन्त्रिकाओं की बाधा व रोग से छुटकारा पाता है। महिलाओं में एनीमिया यानी खून की कमी एक सामान्य बीमारी हैं, जिससे उनमें थकान और कमजोरी की समस्या होती है, सटीक उपचार गिलोय सिद्ध हो सकता है।

कान का मैल - गिलोय का वास्तविक कार्य शरीर का शुद्धिकरण है। गिलोय कान में बनने वाला मैल कम करता है और उसकी रोकधाम में प्रमुख भूमिका भी निभाता है। गिलोय रस का प्रयोग चिकित्सक अथवा किसी जानकार के परामर्श से कान का जिद्दी मैल निकालने में प्रयोग लिया जा सकता है।

पेट की चर्बी - गिलोय शरीर के उपापचय ;मेटाबॉलिजमद्ध को ठीक कर सूजन कम करते हुए पाचन शक्ति बढ़ाता है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं रहती और वजन भी संतुलित रहता है।

खूबसूरती - यह एक सामान्य बात है कि जब मस्तिष्क, माँसपेशियाँ, पाचन तन्त्र और रक्त तन्त्रिकाएँ पुष्ट और बली होगीं, तो सौन्दर्य में निखार आयेगा ही। गिलोय का त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर देखा जा सकता है और गिलोय का एंटी एजिंग गुण से चेहरे के दाग धब्बे, मुंहासे, बारीक रेखाएं और झुर्रियां कम या दूर की जा सकती हैं। घाव पर भी इसी प्रकार गिलोय का प्रभाव तेज होता है, जिसे घाव का दर्द कम और जल्दी भरने की सम्भ्भवना स्पष्ट हो जाती है।

बालों की समस्या - बालों का भी सीधा सम्बन्ध माँंसपेशियों से है, जिस कारण से बाल की त्वचा और बाल की जड़ों में बल आ जाता है अथवा बल रहता है, जिससे बालों की रूसी, बाल झड़ना या फिर सिर की त्वचा की अन्य समस्याएँ गिलोय के सेवन से दूर हो जाती हैं।
आधुनिक परिवेेश में कई संस्थाएं एवं कम्पनियों ने गिलोय के गुण जानकर ही इसका व्यवसायिक लाभ लेना भी प्रारम्भ कर दिया है। बाजार में गिलोय जूस, गिलोय चूर्ण, और गिलोय वटी अनेक रूप में गिलोय उपलब्ध हैं, जिसका सिर्फ उपयोग मात्र ही सभी को स्वस्थ्यए सुन्दर और बलशाली बना सकता है।
ध्यान देने योग्य तथ्य -वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन गिलाेय खून में शर्करा की मात्रा कम करती है, इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए और पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दें।

पंडितजी पर अन्य अद्यतन