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Curry Leaves पौधा ही नहीं औषधि भी है मीठी नीम


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 18-01-2021

मीठी नीम या करी पत्ता का उपयोग प्रायः व्यजनों को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। रसोई में अन्य मसालों और सब्जियों के साथ मीठी नीम भी अपना अलग ही महत्व रखता है। करी पत्ता किसी भी मसालेदार भोजन के स्वाद को दुगना कर देता है। जैसे नीम का पत्ता औषधि है ठीक वैसे ही मीठी नीम भी स्वास्थ्य के लिए एक औषधि है, जिसकी जानकारी ना केवल स्वस्थ रहने में सहायक है, बल्कि किसी बडी रोग व्याधि से बचने का विकल्प भी बन सकती है। बस मीठी नीम के उन गुणों और तथ्यों को जानना आवश्यक है, जो स्वस्थ्य रहने में सहायक हो सकते हैं। 

मीठी नीम एक झाड़ीदार पौधा है, जो दिखने में कुछ नीम जैसा लगता है परन्तु नीम के पेड़ जैसा विशाल नहीं होता हैं। मीठी नीम के और भी कई नाम है जैसे कढ़ी पत्ता, काला नीम, जंगली नीम इत्यादि। मीठी नीम रूटेसी कुल का पौधा है। दक्षिण भारत में सामान्यतः सभी व्यंजनों में मीठी नीम प्रयोग में दिख जायेगी। अब तो पूर्वोत्तर भारत में भी इसका चलन जोरों पर आ चुका है। मीठी नीम की पत्तियों का उपयोग विविध प्रकार के व्यंजनों यथा दाल, कढ़ी, सांभर, रसम, पोहा आदि में स्वाद.सुगंध और जायका बढ़ाने के लिए होता है। 

सनातनी संस्कृति में व्यवहार हो या विचार या कर्म अथवा भोजन, लगभग सभी कुछ में वैज्ञानिक और चिकित्सकीय आधार या तथ्य मिलेगा ही। करी पत्ता या मीठी नीम भी आयुर्वेद की एक औषधि है और कई बीमारियों में सीधे दवा का ही काम करती है। 

सर्दी जु़काम या साइनस इंफेक्शन से बचाव: 

मीठी नीम की पत्तियों में विटामिन ए और सी की मात्रा बहुतायत में मिलती है। इसका सेवन करते रहने से विटामिन ए और सी की कमी नहीं होती है। जिससे शरीर अचानक बदलते मौसम के दुष्प्रभाव से निष्क्रिय हो जाता है और साथ ही शरीर की प्रतिरोधक शक्ति सशक्त रहती है। अगर मीठी नीम की पत्तियों से चूर्ण तैयार कर उसमें शहद मिलाकर दिन में 3 या 4 बार ग्रहण कर लिया जाय तो सर्दी जुकाम से भी बहुत कम समय में मुक्ति पाई जा सकती है।  

शरीर में लौह तत्व की कमी को कम करता है:

मीठी नीम का सेवन रक्त चाप को दुरुस्त रखता है, जिससे शरीर में रक्त संचार अच्छा रहता है। मीठी नीम में लौह तत्व का भी भण्डार माना गया है। मीठी नीम में लौह तत्व होने के कारण एनीमिया के लक्षणों में भी लाभप्रद होता है। मीठी नीम की पत्तियों का सेवन शरीर को लौह तत्व को अवशोषित करने की क्षमता भी देता है।  जो लौह तत्व की कमी की हर बीमारी में अचूक औषधि का ही काम करती है।

मीठी नीम या करी पत्ता बालों की बीमारी में लाभप्रद:

बालों की मजबूती के लिए लौह तत्व ही बडा घटक है, जिसकी कमी से ही बालों का झड़ना शुरू होता हैं। चूँकि नीम या करी पत्तियों का सेवन शरीर को लौह तत्व को अवशोषित करने की क्षमता भी देता है। इसलिये नारियल तेल में मीठी नीम या करी पत्तों को चूर्ण मिलाकर बालों पर लगाते रहने से बाल झड़ने की शिकायत नही़ आती है और यदि बाल झड़ रहे हैं तो बालों का झड़ना कम होना शुरू हो जायेगा। 

बालों के असमय सफेद होने से बचाव :

यदि समय से पहले बाल सफेद होने लगे हो, तो नारियल तेेल के साथ मीठी नीम या करी पत्तियों को पोषक तत्व के घुल जाने तक अर्थात 2 से 4 मिनट तक गर्म कर ठण्डा करने के उपरान्त नीबू निचोडने के बाद उसी तेल से हल्के हाथों से मालिस करें और फिर 1 घंटा के अन्तराल के बाद साबुन या शैम्पू कर पानी से सर धो लें। इसका उपयोग चमत्कारी परिणाम देगा।  

आंखों के लिए भी लाभप्रद है:

विटामिन ए की कमी ही दृष्टि दोष का बडा कारण होता है। जैसे-जैसे विटामिन ए की मात्रा शरीर में कम होती जाती है वैसे वैसे आंखों की रोशनी कम होना लगती हैं। मीठी नीम या करी पत्तियो का सेवन करते रहने से विटामिन ए और सी की मात्रा अनुपात अच्छा रहता है, जिससे दृष्टि दोष नहीं होता है। यदि दृष्टि दोष की समस्या सामने दिख रही है तो मीठी नीम या करी पत्ता उसका इलाज है। 

मधुमेह को कंट्रोल में करने में सहायक:

मीठी नीम या करी पत्ता से रक्त चाप दुरुस्त रहता है, शरीर में रक्त संचार अच्छा रहता है और लौह तत्व भी उचित मात्रा में प्राप्त होता है, जिसके सीधे प्रभाव से रक्त में शुगर की मात्रा कम रहती है। इसके अतिरिक्त यह पाचन तन्त्र को बिगड़ने नहीं देता है,तथा वजन कम करने में भी मदद करता है 

 

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