संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 18-02-2021
नाग पौधा, जिसे आंग्लभाषा में स्नेक प्लांट पुकारा जाता हैं और भारत मे इस पौधे को ‘सास की जीभ’ की संज्ञा मिली हुए है। क्योंकि इसकी संरचना और देखने में सर्प या जीभ के समान ही दिखती है। इस पौधे की पत्तियां सर्प रूप में मोटे, नुकीले, तलवार सदृश लम्बाई में 18 इंच तक दिखती है, जिसे दूर से देखने पर लचीला, कठोर व बनावटी पौधा समझ आता है, परंतु स्पर्श करने से जीवित पौधा लगेगा। इस पर शीत मिश्रित मलाई के रंग के खुशबू देने वाले फूल भी होते हैं और जड़ की गांठों से इसका प्रजनन होता है। विश्व में इस पौधे की लगभग 70 प्रजातियां विद्यमान हैं और सभी सदाबहारी हैं।
समान्यतः इस पौधे के अनोखा और खूबसूरत दिखने की वजह से इसका गृह, कार्यालय की साज-सज्जा के लिए उपयोग होता है। शयन कक्ष की सजावट के लिए एक आदर्श पौधा बनाता है क्योंकि यह स्वस्थ वायु प्रवाह को नियमित करने में मदद कर सकता है। सर्प बेल विषाक्त वायु के खिलाफ प्रभावी बचाव कार्य कर सकता है और उनको हटाने की क्षमता के लिए भी जाना जाता है।
इस पौधे की विशेषता है कि यह रात्रि में भी ऑक्सीजन छोड़ता है, तथा कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वायु में ऑक्सीजन देकर हवा को शुद्ध कर देता है। प्रकृति में लगभग सभी जीव ऑक्सीजन पर निर्भर है, गिनती के कुछ ही जीव-जन्तु होंगे, जो कार्बन डाइऑक्साइड पर निर्भर होंगे। सामान्यतः जीवन के लिए सभी प्रकार की वनस्पतियांँ कार्बन डाइ ऑक्साइड पर निर्भर रहती हैं और ऑक्सीजन विसर्जित करती हैं। कुछ वनस्पतियाँ दिन में भी ऑक्सीजन देती हैं, कुछ वनस्पति रात में ऑक्सीजन विसर्जित करती हैं और कुछ वनस्पतियां दोनों काल में ऑक्सीजन विसर्जित करती हैं। प्रकृति की शुद्धता के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। प्रकृति में जितना ऑक्सीजन का स्तर अधिक होगा, वातावरण उतना ही शुद्ध होगा और अगर कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर अधिक है, तो वातावरण अशुद्ध होगा। नाग पौधा निम्न रसायन - CO2, बेंजीन, फॉर्मलाडिहाइड, ज़ाइलिन और टोल्यूनि सहित कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषकों को भी अवशोषित करते हैं। कई घरेलू पौधों की तरह इस को भी फेंग शुई और वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर घर में रखा जाता हैं। सर्प बेल का पौधा लगाने से अनिद्रा, सर दर्द की समस्या दूर की जा सकती है।
चूंकि नाग पौधा भी अधिक स्तर पर कार्बन डाइ ऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन विसर्जित कर वातावरण शुद्ध रखता है, जिसके आधार पर ही विज्ञान में और शास्त्रों में और ज्योतिष उपायों में नाग पौधे को स्थान मिला हुआ है। ज्योंतिष में शनि ग्रह के खराब परिणाम को रोकने के लिए नाग पौधे को उपाय के रूप में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि घर में ऑक्सीजन की कमी से मानसिक अवसाद, अशांति अस्थिरता और सर दर्द को जन्म देता है और शनि भी दोष पूर्ण होने पर मानसिक अवसाद, अशांति, अस्थिरता और सर दर्द प्रदान करता है। शनि ग्रह का प्रभाव शरीर और घर में दोनों ही जगहों पर देखने को मिलता हैं, जिसके परिणाम स्वरूप गृह क्लेश और पारिवारिक वैमनस्यता दिखने लगती है। इसीलिए नाग पौधा शनि दोष दूर करने का एक उचित मार्ग है।
घर के उत्तर दिशा में नाग पौधा लगने से धन-धान्य तो बढ़ता है, साथ ही नाग पौधे से घर का वातावरण शुद्ध होता है। घर में जिस तरफ से खुल कर हवा आती हो, वहां पर नाग पौधा लगाने से घर की दूषित वायु शुद्ध होती रहती हैं और घर में सुख शांति आती है। यह पौधा कार्यालयों में सजावट के साथ मानसिक शांति के प्रतीक के रूप में रखा जाता है। इनका रख-रखाव बहुत ही सरल है, इसे जहां से वायु का घर में या कार्यालय में प्रवेश होता हो, जैसे - खिड़कियां, दरवाजे, प्रवेश द्वार। वहां पर किसी भी छोटे या बड़े गमले या पात्र में लगाया जाता है। यह पौधा कम से कम पानी देने से जीवित रहता है , ज्यादा पानी पर जाने से इसकी जड़े सड़ सकती हैं और यह पौधा मृत हो जाता है। घर या कार्यालय परिसर के अंदर और बाहर दोनों जगह अपेक्षाकृत शुष्क वातावरण में जीवित रह सकता है।
इस पौधे की पत्तियां थोड़ी जहरीली भी होती हैं क्योंकि नाग पौधा विषाक्त हानिकारक वायु तत्वों को अवशोषित करने के साथ ही कुछ तत्व उत्पन्न भी करती है, जिसे खाने से अस्वस्थ होने का अंदेशा भी रहता है, इसलिए नाग पौधे को बच्चों की पहुँच से दूर रखना चाहिए।
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