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राष्ट्र के राजनैतिक, आर्थिक और धार्मिक विचारो का आधार है - राज्य और संविधान


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संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 23-02-2021

विश्व में अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं और राज्य ही आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। शासन (सरकार) अथवा सत्ता के अधीन संगठित इकाई को राज्य कहते हैं, इसके अतिरिक्त किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी राज्य कहते हैं। वास्तव में राज्य शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला ऐतिहासिक सत्ता मान सकते है, दूसरा दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है और तीसरा एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक.दूसरे से टकराव ही हो, वास्तव मे राज्य के अंतर को सावधानी से समझने की आवश्यकता है।

राज्य को वैचारिक स्तर पर अलग-अलग वाद (मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि) से चुनौती मिली है, लेकिन राज्य से परे अभी किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। संक्षिप्त मे राज्य जनसंख्या, क्षेत्र, सरकार और संप्रभुता के आधार की परिभाषित एक राजनीतिक इकाई है, जहां कानून और व्यवस्था के रख-रखाव, बाहरी आक्रामकता से आधुनिक.कल्याण कार्यों के संरक्षण का विस्तृत कार्य किया जाता है।

कानून और व्यवस्था के रख-रखाव, बाहरी आक्रामकता से आधुनिक.कल्याण कार्यों के संरक्षण का विस्तृत और व्यापक कार्यों करने के लिए राज्य के पास कुछ बुनियादी अंग होने चाहिए, इन बुनियादी अंगों, उनकी संरचनाए कार्यों की संरचना आदि को निर्धारित करने के लिए कुछ कानून के माध्यम से कार्य किए जाते हैं। राज्य के कार्यों के लिए निश्चित बुनियादी अंग की आवश्यकता होती है, जो संविधान को जन्म देता है और शासन व सत्ता के बुनियादी ढांचे की पैरवी संविधान करता है, जिससे राज्य के विभिन्न अंगों की उत्पत्ति है। कानून दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित हो जाता हैं, प्रथम लोक कानून और दूसरा निजी कानून। लोक कानून को नियंत्रित करने वाला कानून राज्य सरकारें के अधीन क्रियाशील रहते है और निजी कानून राज्य सरकारें के अधीन बाहरी आक्रामकता से आधुनिक.कल्याण कार्यों के संरक्षण का विस्तृत और व्यापक रूप है।

विश्व के सभी देश का संविधान पृथक पृथक एक बुनियादी दस्तावेज है, जो राज्य सरकार के बुनियादी अंगों और उनके संरचनात्मक कार्यों, शक्तियों और सिद्धांतों को निर्धारण स्थापित करते है। आम तौर पर कुछ अधिकार सरकार और लोगों के बीच संबंध के रूप में दिया जाता है। जो इन अंगों के बीच का अंतर.संबंध को नियंत्रित करता है। इसलिए आधुनिक गठन मे कुछ मूलभूत अधिकारों पर बहुत जोर दिया जाता हैं, जो राज्य के नागरिकोंध्लोगों को राष्ट्र के खिलाफ नहीं जाने देता है। संविधान की वैधता और शक्ति राज्य के विभिन्न अंगों के सभी कानून और शक्ति से प्राप्त होती है। संविधान राज्य की आकांक्षाओं को आकार देता है और आने वाले वर्षों के लिए इसकी संरचना को परिभाषित करता है। यह राष्ट्र के मौलिक, राजनैतिक, आर्थिक और धार्मिक विचारों का भी आधार है।

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