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नर्मदा जयंती


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 19-02-2021

भारत राष्ट्र के मध्य प्रदेश राज्य की प्रमुख नदी नर्मदा है, नर्मदा जी का गुण-गान जितना बखान हो, वो भी कम ही होगा। नर्मदा का स्वच्छ निर्मल जल पृथ्वी का अमृत ही है, जिसे माँ के रूप मे संज्ञा दी जाती है। जैसे माँ अपने बच्चो का सदैव हित करती है और उसे कभी भूखा नहीं रखती है, वैसे ही माँ नर्मदा नदी की पहचान होती है। माँ नर्मदा नदी मध्य प्रदेश राज्य के लिए पूजनीय स्थान रखती है, जिस कारण से भारत के अन्य भागो की अपेक्षा मध्य प्रदेश में नर्मदा जयंती विशेष रूप से मनायी जाती है। मध्यप्रदेश में अमरकंटक को नदियों का शहर भी कहा जाता है। जहां नर्मदा नदी विशालकाय रूप मे दिखती है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक शहर मे नर्मदा जयंती सबसे बड़ा एवं पावन पर्व है और नर्मदा की उपासना युगों से होती आ रही हैं। नर्मदा में स्नान कर डुबकी लगाने, उसका जल पीने तथा नर्मदा का स्मरण एवं कीर्तन करने से अनेक जन्मों के घोर पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं। नर्मदा समस्त सरिताओं में श्रेष्ठ है। मां गंगा की तरह ही मां नर्मदा भी मोक्षदायिनी हैं। गंगा हरिद्वार में तथा सरस्वती कुरुक्षेत्र में और नर्मदा अमरकंटक मे सर्वत्र और अत्यंत पुण्यमयी कही गयी है। ऋषि-मुनियों द्वारा पूजित तथा भगवान शंकर के देह से प्रकट हुई नर्मदे समस्त पवित्र वस्तु को परम पावन बनाने वाली है। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी इस नदी उल्लेख है। इसी दिव्य नदी पर नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान हैं, जो आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है।
स्कन्दपुराण के अनुसार नर्मदा का प्रथम अवतरण आदि कल्प के सतयुग में हुआ, द्वितीय अवतरण दक्षसावर्णि मन्वन्तर में हुआ और तृतीय अवतरण राजा पुरुरवा द्वारा वैष्णव मन्वन्तर में हुआ। मान्यता भी है कि सरस्वती का जल तीन दिन में, यमुना जी का एक सप्ताह में तथा गंगा जी का जल स्पर्श करते ही पवित्र करता है, परंतु नर्मदा के जल दर्शन मात्र ही पावन और पुण्यदायक होता है। भगवती नर्मदा सम्पूर्ण जगत् को तारने के लिये ही धरा पर अवतीर्ण हुई हैं और इनकी कृपा से भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हो जाते हैं।
शास्त्र अनुसार माघ मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को माँ नर्मदा नदी शिव के शरीर से अवतरण हुआ था और माँ नर्मदा मनुष्य को दीर्घायु जीवन प्रदान करती हैं। मध्य प्रदेश की लोक मान्यता है कि जितना पुण्य, प्रताप गंगा नदी में पूर्णिमा के दिन स्नान करने से मिलता है, उतना ही पुण्य नर्मदा जयंती के अवसर पर नर्मदा नदी में स्नान करने से मिलता है। मान्यता यह भी हैं, कि इसी नदी के तट पर साधना करते हुए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की थी।

नर्मदा जयंती पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य नर्मदा किसी भी समय स्नान करना शुभ रहता है। इस पावन अवसर पर प्रातः जल्दी उठकर नर्मदा में स्नान करने के बाद सुबह फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम, आदि से नर्मदा मां के तट पर पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही इस पावन पर्व पर नर्मदा नदी में 11 आटे के दीप जलाकर दीपदान करना शुभ रहता है। इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
वर्ष 2021 मे दिनांक 18 फरवरी को माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के प्रातः 8:20 से नर्मदा जयंती पर्व शुरु होकर 19 फरवरी 10:59 तक होगा। नर्मदा जयंती स्नान-पुण्य करना विशेष फलदायी सिद्ध होगा। आटे के 11 दीप जलाकर जल प्रवाह करने से भी माँ नर्मदा को प्रणाम करने से माँ नर्मदा पसन्न होती हैं मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।

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