संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 15-02-2021
वसंत ऋतु सबसे सुंदर ऋतु मानी जाती है। प्रकृति में वसंत ऋतु में हरे-भरे पेड़ों-पौधे और रंग बिरंगे फूलों की भरमार के कारण चारों तरफ हरियाली और विविधता दिखती है। इस माह में सर्दियों की समाप्ति और गर्मी का आरंभ होता है। लोगों को सर्दी और गर्मी दोनों का आनंद समान रूप से मिलता है।
सनातनी संस्कृति में वसंत ऋतु को नव सृजन एवं नव निर्माण का काल मानते हैं। प्रकृति में सब कुछ सक्रिय होता है और पृथ्वी पर नए जीवन को महसूस करते हैं। वसंत ऋतु का आना मानवीय मस्तिष्क में कलात्मक और सृजनात्मक विचारों और क्रिया का उत्कर्ष होता है। वसंत ऋतु के आगमन पर चहुँओर खुशहाली छा जाती है। प्रत्येक वर्ष में माह मार्च और अप्रैल को वसंत ऋतु माना जाता है। वसंत ऋतु को ऋतुराज के नाम से भी जाना जाता है।
विश्व के सभी देशों में जलवायु की भिन्नता के कारण वसंत ऋतु का आगमन भी अलग-अलग समय पर दिखता है, परंतु भारत पर ईश्वरीय कृपा अद्भुत है, यहाँ वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर सभी ऋतुओं का समान प्रभाव देखने को मिलता है। पशु-पक्षियों में भी आनंद महसूस किया जा सकता है। प्रकृति आनंद के साथ घोषणा करती है कि वसंत आ गया है और इसमें कोयल गाना गाती है, गाय दूध ज्यादा देती है, रंग बिरंगे फूलों की खुशबू और रोमांच दिखता है, पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं, आसमान सुंदर दिखता हैं, सरोवरों में कमल के फूल खिलते है, सरसों के पीले-पीले फूल खिल-खिला कर ख़ुशी व्यक्त करते हैं। सुन्दरता और खुशियाँ चारों ओर अनुभूत होती है। वसंत ऋतु में शारीरिक ऊर्जा के पूर्ण नियंत्रित होने से आत्म विश्वास भी बली रहता है, जिससे नए कार्य शुरू करने में उत्साह बना रहता है। किसानों के लिए यह मौसम बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि खेतों में फसलें पक चुकी होती हैं और उन्हें काटने में भी उत्साह बनता है। शायद इसी प्रभाव से एक किसान को वसंत आगमन की प्रतीक्षा रहती है और यह ऋतुराज मनुष्य को संकेत देते हैं कि सारे दुखों को समेट कर जिंदगी का एक बार फिर से आनंद ले।
सनातन संस्कृति में नवरात्रि सर्वाधिक प्रचलित एवं महत्वपूर्ण त्योहार अथवा व्रत है, जिसे पूरे नियम और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि दो प्रकार की मानी जाती है, एक प्रगट और दूसरी गुप्त। ...
किसी कारणवश अगर ऋण अथवा कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा हो और कर्ज मुक्ति के लिए सनातन संस्कृति के धार्मिक पूजन पाठ से जुड़ा कोई उपाय अथवा उपचार करना चाहते हो, तो प्रदोष व्रत ...
सनातन संस्कृति को लेकर वैज्ञानिक नतमस्तक हैं। प्राचीन समय से ही साधु-संतों ने सनातन संस्कृति में साधना, व्रत,उपासना,योग के माध्यम से मानव कल्याण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कई उपायों और नियमों को ...