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Bhai Buj (Yamraj) - रक्षक, गुप्त हिस्सेदार यमराज भी मनाते हैं, स्नेही अटूट बंधन का पर्व भाई दूज


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संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 28-10-2021

भारतवर्ष के हर प्रान्त व हिस्से में, सनातनी संस्कृति से ओतप्रोत अलग-अलग परंपराएं और अनुष्ठान होते रहते हैं, जिनका अंतर्निहित महत्व और सार हर जगह एक जैसा ही है। जिनमे भाई-बहन के बीच बंधन का अनुष्ठान है भाई-दूज त्योहार। भाई-बहन का सम्बन्ध एक अनोखी समझ, एक-दूसरे के प्रति समर्पण, सबसे अच्छे मित्र, एक-दूसरे के प्रशंसक, रक्षक, गुप्त हिस्सेदार और बिना किसी शर्त का स्नेही अटूट बंधन हैं, जिसमे भाइयों और बहनों के बीच खुशी, सम्मान और स्नेह का उत्कृष्ट उत्सव सदैव बना है, जिन्हें शब्दो मे बता पाना सरल नहीं है, इस उत्कृष्ट स्नेह उत्सव को समझने के लिए भाई या बहन ही बनना पड़ता है। भाई-दूज भी रक्षाबंधन की तरह एक विशेष स्नेह उत्सव पर्व है, जिसका सभी सनातनी बड़े ही आदर भाव से आनन्द लेते है। बहनें भाइयों के स्वस्थ, सम्मान, कल्याण, समृद्धि और सुरक्षित जीवन के लिए यमराज से पूजन-पाठ कर प्रार्थना करती हैं और भाई भी बहन की खुशहाली और रक्षा की कामना ईश्वर से अवश्य करता है।
प्रत्येक वर्ष दीपावली पर्व के दुसरे दिन (कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीय तिथि को) भाई-दूज का पर्व हर्षौल्लास के साथ प्रत्येक सनातनी परिवारिक उत्सव मनाता है। इसे महाराष्ट्र में भाऊ-बीज, पश्चिम बंगाल में भाई-फोंटा और 'यम द्वितीय' या यामा दविथिया के रूप में भी जाना जाता है। भाई-फोंटा मे बहनें उपवास रखकर भाईयों के मस्तक पर 'फोंटा' या चंदन विजय प्रतीक रूप मे लगती हैं और उनके खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना करने के उपरान्त भाई के हाथो से मुंह मीठा कर उपवास समाप्त करती हैं। तत्पश्चात सम्पूर्ण कुनबा उत्सव मनाता है। पश्चिम बंगाल में भाई-फोंटा भव्य समारोह के रूप मे भी मनाया जाता है। घर में भी मिठाई और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया जाता है। महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात के कुछ हिस्सों में बासुंदी पूरी (महाराष्ट्र) स्वादिष्ट मिठाई तैयार की जाती हैं।
पौराणिक कथा है कि भगवान सूर्य के घर जुड़वाँ बच्चो का जन्म हुआ, जिनका माता छाया ने बड़े लाड-प्यार से यमी (यमुना) तथा यमराज नाम रखा था। यमुना, यमराज से बहुत ज्यादा स्नेह रखती थी। यमुना, यमराज को बार-बार अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती है, लेकिन यमराज अपनी व्यस्तता के कारण हर बार यमुना की बातों को टाल देते थे। लेकिन अन्त में एक दिन बहन यामी (यमुना) ने मृत्यु के देवता यमराज जी से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीय तिथि को घर पर भोजन करने के लिए वचनबद्ध ले ही लेती है। तब यमराज भी सोचने लगते हैं कि मैं तो सभी के प्राणों को हरने के लिए ही किसी के घर जाता हूँ। मुझे तो कोई भी अपने घर बुलाना ही नहीं चाहता लेकिन मेरी बहन स्नेहवश मुझे इतनी सद्भावना से भोज के लिए निमंत्रित किया है, तो मैं अवश्य ही जाऊंगा। नरक के सभी जीवों को मुक्त कर यमराज जी बहन के घर पहुंचते है। यमराज जी को घर आया देखकर  यमुना खुशी से झुमने लगती है और फिर भाई यमराज को आतिथ्य देकर स्नान इत्यादि कर्म से स्वयं का अंतःकरण शुद्ध कर उनका विजय-तिलक, आरती आदि कर अपने हाथो से पकाया हुआ उनका मनपसंद नाना प्रकार की मिठाई, पकवान व्यंजन आदि भोग अर्पित करती है। बहन से अपने प्रति इतना ज्यादा स्नेह, आदर और सम्मान पाकर यमराज भी हर्षित हो उठते हैं और यमुना को अपने वर मांगने को कहते हैं। तब बहन यमुना हे भद्र! इस दिन जो भी बहन मेरे समान अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका कर भोजन इत्यादि के आमंत्रण करेगी, उसे और उसके भाई को तुम्हारा भय न रहे. बहन के परोपकारी विचन सुन यमराज और प्रसन्न हुए तत्क्षण अपने पास उपलब्ध अनोखे उपहार, अमूल्य वस्त्र, आभूषण यमुना को भेंट स्वरुप देकर चले जाते हैं. और घोषणा की कि जो भी बहन इस तिथि को भाइयों इसी प्रकार से प्रसन्न करती है, उन भाई-बहन के बीच अटूट स्नेह बंधन रहेगा और अकाल मृत्यु टलेगी।
इस दिन यमराज ने खुश होकर नरक के जीवों को मुक्त किया था और नरक वासियों सभी यातनाओं से और पाप मुक्त होकर तृप्त हो सभी जीवों ने मिलकर उत्सव मनाया और ये उत्सव यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था. इन्ही कारणों से यह तिथि यम द्वितीया के नाम से प्रचिलित हुई|
भाई दूज पर्व के सम्बन्ध में अन्य कथा भी है कि नारकसुर नामक राक्षसराज का वध कर कृष्ण जी बहन सुभद्रा के पास गए, जिसके बाद स्नेही सुभद्रा ने उनका स्वागत कर विजय-तिलक, आरती कर नाना प्रकार की मिठाई और विशेष व्यंजन का भोग अर्पित किया। जिससे भगवान श्री कृष्ण अतिप्रसन्न हो गए और बहन सुभद्रा की जीवन पर्यन्त रक्षा और स्नेही अटूट बंधन बनाये रखने का वचन दे देता हैं।
सीलिए यह मान्यता है कि जो भाई, इस दिन बहन के घर का भोजन करता है, उसे अकाल मृत्यु और यम का भय नहीं रहता है और उक्त दोनों भाई एवं बहन को धन धान्य, संपत्ति और असीमित सुख की प्राप्ति होती है।

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