संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 17-01-2021
सूर्य देव के उत्तरायण में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को विशेषकर श्रद्धालुओं द्वारा सूर्य देव की पूरे आस्था और भक्ति के साथ पूजा पाठ की जाती है और फिर उत्साही व अनुभवी लोग पूरे परिवार के साथ असमान मे पतंगे उड़ाते हुए इस त्योहार का पूर्ण आनंद उठाते है।
इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य यह है कि उत्तरायण में सूर्य की उष्मा ठंड व ठण्ड के प्रभाव से होने वाली व्याधियो और रोगों को कम या समाप्त करने की क्षमता रखती है। ऐसे में जब घरो की छतों पर लोग पतंग उड़ाते हैं, तो सूरज का प्रकाश और सूर्य की किरणें पूर्णतया एक औषधि की तरह काम करती हैं। शायद इसी कारण मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाना अच्छा माना जाता है, इसी आधार पर ही मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने का दिन भी कहा जाता है।
सर्दियों की वजह से शरीर में कफ और त्वचा में रूखेपन आता है, मकर संक्रांति पर्व पर खुले मैदान या छतो पर पतंग उड़ाने से सूर्य की किरणें सीधे शरीर पर पडती है, जो औषधि का काम करते हुए कफ और त्वचा में रूखेपन की समस्या से मुक्ति दिलाता है।
सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो धूप में रहने से शरीर को अधिकाधिक मात्रा में मिलता है। विटामिन डी आंखों के लिए चमत्कारिक और लाभप्रद होता है। साथ ही चर्म रोगों की विटामिन डी रामबाण दवा है। पतंग उड़ाने की वजह से लोग दिन भर सूर्य की किरणों के सीधे सम्पर्क में रहते है। यही कारण हो सकता है कि इस पर्व पर लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ पतंगबाजी का आनन्द भी लेते है और स्वस्थ रहने का प्रबन्ध भी कर लेते है।
पतंग उड़ाना एक प्रकार का व्यायाम भी है, जिसमें दिमाग, हाथ, और गर्दन सक्रिय रहते है। पतंग उड़ाने के प्रभाव से दिमाग सक्रिय रहता है और हाथ और गर्दन की मांसपेशियों में लचीलापन बना रहता है। मकर संक्रान्ति में सूर्य के प्रकाश और तरंगों के प्रभाव में पतंग उड़ाने से शरीर में अच्छे और गुणकारी तत्वों की वृद्धि होती हैं।
ज्यादातर लोग मकर सक्रान्ति के समय ठण्ड के प्रकोप से घर के अन्दर बन्द रहते है और गर्म कपड़ों, कम्बल और रजाईयो में रहना पसन्द करते है, लेकिन सनातनी परम्परा को मानने वाले सुबह ही नहा-धो कर सूर्य के निकलने के बाद सूर्य देव की पूजन अर्चना करने के बाद खिचडी खाने के बाद पतंग उड़ाने का आनन्द तो लेते ही हैं, साथ ही शरीर के वो रोग, जिनके लिये लोग चिकित्सक पर निर्भर हो जाते है, उनसे भी मुक्ति केवल मकर संक्रान्ति मनाने के मिल जाती है।
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