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Rice - चावल पोषण और सौंदर्य तो देता है, गर्भ निरोधक दवा भी है।


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संकलन : अनुजा शुक्ला तिथि : 14-01-2021

चावल हमारे भोजन में विशेष अनाज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। चावल के विभिन्न रूप पूरे वर्ष भर हम विभिन्न पकवानों में व भोजन को सुस्वादु बनाने में इस्तेमाल करते हैं। चावल धान के अंदर रहने वाला बीज है, जिसे धान तोड़कर निकाला जाता है और फिर विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद उसे उपयोग में लाया जाता है।
धान हिमालय की पूर्वी तलहटी में उगने वाली जंगली घास का वंशज है। धान घास या दूब की ही एक प्रजाति है। इन प्रजातियों में बांस भी एक है, इन सभी के बीज दिखने में एक जैसे ही दिखते है, पर धान के बीज अन्य प्रजातियों के बीजों से बड़े और पौष्टिक होते हैं और स्वाद में भी अलग होते हैं। धान से निकलने वाले बीज को ही चावल कहते हैं। धान के पौधे की बालियों में गुच्छे के रूप में धान के बीज उगते हैं। इन बीजों के पक जाने के बाद धान की बालियां काटकर सुखाई जाती हैं। उनसे निकले बीजों को सुखाकर ऊपर के छिलके को हटाने से चावल के दाने मिलते हैं। धान की एक बाली में 40 से 100 के आस पास चावल के दाने मिलते हैं। यह एक उष्णकटिबंधीय पौधा है। धान, गीली, नम जलवायु के साथ जुड़ा हुआ है। चावल की फ़सल को एक गर्म और नम जलवायु की जरूरत है। चावल की फ़सल के लिए अधिकतम तापमान 40-42 सेंटीग्रेड के बीच होना चाहिए।
धान का जन्म दक्षिण भारत में हुआ और बाद में यह देश के उत्तर में फैल गया कर फिर चीन तक पहुँच गया। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। चीन और भारत चावल की खेती के महत्वपूर्ण केंद्र हैं। भारत में चावल का अधिक चलन पूर्व, उत्तर और दक्षिण में है। यहाँ पर प्रमुख रूप से खाया जाने वाला अनाज चावल ही है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब प्रमुख है। चावल को संस्कृत में तण्डुल, तमिल में अरिस और षड्रस कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में चावल अपना एक ख़ास स्थान रखता है, त्यौहारों और विशेष अवसरों पर चावल से कई सारे व्यंजन और काफ़ी सारे पकवान बनाये जाते हैं। भारतीय उप महाद्वीप में खेती की भूमि के एक चौथाई से अधिक में चावल बोया जाता है। बारह मासी जंगली चावल अभी भी असम और नेपाल में काफी मात्रा में होता है। यह उत्तरी मैदानों में पालतू बनाए जाने के बाद दक्षिण भारत में 1400 ई.पू. के आसपास दिखाई दिया। उसके बाद यह नदियों द्वारा सिंचित सब उपजाऊ पानी वाले मैदानी इलाकों में फैल गया।
चावल में महत्वपूर्ण घटक कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च) है, जो त्वरित ऊर्जा प्रदान करता है। चावल में केवल 8 फ़ीसदी वसा, लिपिड शून्य और नाइट्रोजन पदार्थों की मात्रा काफ़ी कम है। इस कारण चावल पूर्ण भोजन माना जाता है। चावल का आटा स्टार्च से समृद्ध है और विभिन्न खाद्य सामग्री बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। माल्टा शराब बनाने के लिए चावल प्रयोग किया जाता है। चावल के छिलके को मिश्रित कर चीनी मिट्टी के बरतन, काँच और मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन किया जाता है।
विश्व में कुल चावल उत्पादन का 90% चावल दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्राप्त किया जाता है। एशिया में प्रमुख उत्पादक देश चीन, भारत, जापान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, हिन्देशिया, ताइवान, म्यांमार, मलेशिया, फिलिपींस, वियतनाम तथा कोरिया आदि हैं। एशिया से बाहर चावल के प्रमुख उत्पादक देश मिस्र, ब्राजील, अर्जेण्टीना, संयुक्त राज्य अमरीका, इटली, स्पेन, तुर्की, गिनीकोस्ट तथा मलागासी हैं।
चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। चीन विश्व का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। यहाँ पर 3.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 17.1 करोड़ मीट्रिक टन चावल पैदा किया जाता है, जो विश्व के कुल उत्पादन का लगभग एक तिहाई है। भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। इण्डोनेशिया विश्व का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है, जो कुल उत्पादन का 8 % चावल उत्पादन करता है। यहाँ पर जावा द्वीप में सबसे अधिक चावल का उत्पादन होता है। विश्व का 5 % चावल उत्पादन कर बांग्लादेश विश्व का चौथा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर भूमि के 60 % भाग में चावल का उत्पादन किया जाता है। यहाँ वर्ष में चावल की तीन फ़सलें उगाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त थाईलैण्ड, जापान, म्यांमार तथा कोरिया चावल के प्रमुख उत्पादक देश हैं। चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश थाईलैण्ड है। इसके अतिरिक्त म्यांमार, वियतनाम, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब गणराज्य, पाकिस्तान, इटली, ब्राजील, पेरू तथा आस्ट्रेलिया आदि बड़े निर्यातक देशों में शामिल हैं।
चावल अपच, मधुमेह, गठिया, लकवा, मिर्गी आदि रोगों के इलाज एवं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को ताक़त देने की औषधि के रूप में तथा कई स्वास्थ्य संबंधी विकृतियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।

चावल से रोगों में उपचार:-

1.अतिसार व ज्वर में चावल की खीलों (लाजा) को पीसकर सत्तू बनाकर आवश्यकतानुरूप दूध या शहद, चीनी, जल मिलाकर रोगी की दशानुसार सेवन कराने से ज्वर मदात्यय, दाहकता या सीने की जलन, अतिसार आदि में कमी आती है। इसे ’लाल तर्पण’ कहते हैं।

2. अर्धावमस्तक-शूल में 2-3 दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व 25 ग्राम के लगभग शहद के साथ चावल की खील (लाजा) खाने से चमत्कारी परिणाम मिल जाएंगे ।

3. फोड़े की अग्नि समान जलन और दाहकता की स्थिति में कच्चा चावल पानी में भिगोकर सिल पर पीसकर लेप बनाकर लगाने से रोगी को चैन मिलेगा और फोड़े में ठण्डक महसूस होगी।

4. भूख न लगना या अग्निमांध की स्थिति में चावल के पकाने के बाद उसमें दूध मिलाकर 20-25 मिनट तक ठण्डा कर लें, फिर पीड़ित को कई बार देने पर कमज़ोर मंदाग्नि पुष्ट होगी और भूख बढ़ जाएगी।

5. आमाशय या आंत्र का शोथ या पेट में जलन (दाहकता) में चावल का माँड पिलाना लाभदायक होता है।

6. पेट में सूजन होने पर 1:40 के अनुपात में चावल के आटे में जल मिलाकर उसमें नमक व नींबू का रस मिलाकर ग्रहण करने पर बहुत आराम मिलता है। इसे कांजी कहते है। आन्तरिक व्रण हो तो नमक तथा नींबू का रस नहीं मिलाना चाहिए।

7. अतिसार होने पर चावल के आटे को लेई की भाँति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएँ ।

8. सूजाक, चेचक, मसूरिका, रक्तदोषजन्य ज्वर, जलन व दाहकता युक्त मूत्रविकार में नींबू के रस व नमक रहित चावल की कांजी या मांड का सेवन हितकारी है। यदि लाल शालिचावल हो, तो अत्युत्तम अन्यथा कोई चावल ले सकते हैं।

9. चेहरे पर धब्बे या झाई के लिए सफेद चावलों में भिगोये पानी से मुख धोते रहने से झाई व चकत्ते साफ़ होते है और रंग निखरता है।

10. वीर्य की स्थूलता कम करने के लिए हफ़्ते में दो बार चावल दाल की खिचड़ी, नमक, मिर्च, हींग, अदरक मसाले व घी डालकर सेवन करने से शरीर में शुद्व वीर्य की आशातीत वृद्धि होती है। यह खिचड़ी बल-बुद्धि वर्द्धक, मूत्रक और शौच क्रिया साफ़ करने की विशेषता भी रखती है।

11. नेत्र जब लाल हों, तो सहन करने योग्य उबले चावल की पोटली बनाकर सेंक करने से बादी एवं कफ़ के कारण लाल नेत्रों का दर्द और लाली समाप्त होती है।

12. मल विकार में चावल को दूध में भिगोकर चीनी के साथ सेवन करने से मल पतला होता है, किन्तु दही के साथ सेवन से मल बंधता है और अतिसार ठीक होता है।

13. बार बार मल आने पर चावल को पानी से धोकर दूध के साथ सेवन करने से आराम तो मिलता ही है साथ ही शरीर पुष्ट होता है।

14. गर्भ निरोधक उपाय के लिए चावल के धोवन के साथ-साथ धान की जड़ (चावलों का पेड़) पीसें और छानकर, शहद मिलायें, इसको पीते रहने से गर्भ संभव नहीं होता। यह निदान हानि रहित और सहज है।

15. हृदय की धड़कन बढ़ने पर धान की फलियों का ऊपरी भाग को पानी के साथ पीसकर लेपन करने से हृदय कम्पन और अनियमित धड़कन समाप्त होती है।

16. भांग का नशा उतारने के लिए चावल के धोवन में शक्कर और खाने का सोडा मिलाकर रोगी को पिलाने से भांग का नशा उतरता है और पेशाब खुलकर होती है।

17. प्यास शांत करने के लिये चावल के धोवन में शहद और खाने का सोडा मिलाकर पिएँ या पिलाएं।

18. मधुमेह के कारण घाव होने पर चावल के आटे में दही मिलाकर पेस्ट (गाढ़ा) बनाकर लेप कर दें। यह पुल्टिस रोग की दशानुसार दिन में 3-4 बार तक बदलकर बांध देने से शीध्र लाभ होता है।

19. मतली या उल्टी होने पर खील (लाजा या लावा) में ५ से २५ ग्राम मिश्री और 2-4 नग छोटी इलायची व लौंग के 2 नग डालकर 6-7 उफान के साथ पकाकर लें। थोड़ी-थोड़ी देर बाद 1-2 चम्मच लेने से उल्टी होना रूकता है। खट्टी पीली या हरी वमन होने पर उसमें नींबू का रस भी मिला लेना चाहिये।

20. शरीर की कान्तिवर्द्धन के लिए कुछ दिनों तक नियमित चावल का उबटन बनाकर मलते से शरीर कुन्दन समान दीप्त होता है।

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