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Rath Saptmi - रथ सप्तमी तिथि को किया दीप दान, स्वर्गीक सौभाग्य दिला सकता है।


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संकलन : अनुजा शुक्ला तिथि : 05-02-2022

सनातन संस्कृति और खगोलीय विज्ञान में प्रत्येक माह, दिवस और तिथि का अपना अलग-अलग महत्व है। माघ मास को सनातन संस्कृति में बहुत ही पवित्र और पुण्यदायक माना जाता है। माघ में कई ऐसी विशेष तिथियां भी पड़ती हैं, जिनका श्रद्धालु गण प्रतीक्षा किया करते हैं। इस माह में खास कर गंगा स्नान करने, दान करने का कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। सूर्य की उपासना से जुड़ी हुई माघ माह की एक तिथि है सप्तमी... माघ माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी अथवा अचला सप्तमी के रूप में मनाते हुए कई सनातन धर्मी व्रत भी रखते हैं। सूर्यदेव को समर्पित माघी सप्तमी व्रत के दिन उपवास रखकर सूर्यदेव का पूजन किया जाता है। इस तिथि को व्रत रखने से महिलाओं को सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
माघी सप्तमी की पौराणिक कथा:-
गणिका नामक महिला ने पूरे जीवन कभी भी कोई दान नहीं किया और उस स्त्री ने अपना अंत समय सम्मुख देख वशिष्ठ मुनि के पास जाकर पूछा कि मैंने आज तक कभी कोई दान नहीं किया तो मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा। तब मुनिश्रेष्ठ वशिष्ठ ने माघ मास शुक्ल पक्ष की अचला सप्तमी का गणिका को विशेषता बतलाया कि इस तिथि को पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करने के उपरान्त दीपक का दान कर दिन में एक बार बिना नमक का भोजन ग्रहण करने से किसी भी अन्य दिन की तुलना में हजार गुना दान का फल प्राप्त हो जाता है। मुनि वशिष्ठ के द्वारा गए नियम और विधि के अनुसार गणिका ने अचला सप्तमी का व्रत विधिपूर्वक पूर्ण करने के उपरान्त कुछ दिवस बाद गणिका ने शरीर त्याग हुआ और उसे स्वर्ग के राजा इंद्र की अप्सराओं का प्रधान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
रथ सप्तमी के महत्वपूर्ण तथ्य:-

  1. मान्यता है कि रथ सप्तमी को सूर्यदेव दिव्य प्रकाश सहित अवतरित हुए थे। इसलिए इसे सूर्य जयंती भी कहा जाता है।
  2. भानु सप्तमी से ही सूर्य देव ने अपना प्रकाश और ऊर्जा पूरे ब्रह्माण्ड को देना आरंभ किया था।
  3. भानु सप्तमी को सूर्य की आराधना कर  उन्हें प्रसन्न करने का विशेष महत्व है।
  4. भानु सप्तमी को स्नान और अर्घ्य देने से जीवन, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।
  5. सर्व प्रथम इस तिथि में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  6. संकल्प लिए जाने के उपरान्त सम्पूर्ण वैदिक नियम और विधि विधान से सूर्य देव का पूजन पूर्ण किया जाता है।
  7. रथ सप्तमी को सूर्य देव के मंत्रों, पाठों, स्तोत्रों आदि का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
  8. सूर्य देव का पूजनोपरान्त सूर्य की आरती की जाती है।
  9. माघ मास का कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं को भानु सप्तमी दिवस पर सूर्यास्त के समय स्नान से पूर्व आक व बेर के 7 पत्तों पर तेल युक्त दीपक सिर से घुमाकर नदी में प्रवाहित कर स्नान किया जाता है।
  10. इस तिथि व्रती व्यक्ति को मात्र एक ही समय भोजन करना चाहिए।
  11. रथ सप्तमी के दिन किया गया दान का महत्व हजार गुना फलदाययी होता है।
  12. माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अर्क सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी, अचला सप्तमी, माघी सप्तमी, सूर्य जयंती, रथ सप्तमी और भानु सप्तमी आदि भी कहा जाता है।
  13. इस दिन अच्छे आरोग्य की कामना से यह व्रत करना चाहिए।
  14. रथ आरोग्य सप्तमी, अचला सप्तमी के दिन नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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