संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 12-04-2021
गुड़ी पड़वा तिथि का आरंभ - 12 अप्रैल 2021, सोमवार को सुबह 8:00 बजे से और 13 अप्रैल 2021, मंगलवार को सुबह 10:16 मिनट समापन।
सनातन पंचाग अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह से हो जाती है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को भारत के विभिन्न हिस्सों में हर्षोल्लास के साथ अलग-अलग नामों से रीति-रिवाजों के साथ मनाये जाते हैं। सामान्यतः प्रतिपदा तिथि को ही पड़वा नाम से भी जाना जाता है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को उगादि या गुड़ी पड़वा भी कहते हैं।
नववर्ष के आगमन पर्व के रूप गुड़ी पड़वा उत्सव अथवा त्यौहार मनाया जाता है। गुड़ीपड़वा महाराष्ट्र प्रांत मे बड़े उत्सव अथवा त्यौहार के रूप में मनाते हैं और गुड़ीपड़वा पर्व की खुशी में लोग नये-नये वस्त्र पहन कर खुशियों मे झूमते हैं और रिश्तेदारों को अपने घर आमंत्रित करते हैं। घर-घर में तरह-तरह के पकवान, स्वादिष्ट व्यजंन पूरन पोली, श्रीखंड, मीठे चावल इत्यादि बनाये जाते हैं। महाराष्ट्री गुड़ीपड़वा पर्व को मीठी नीम के पत्ते अवश्य खाते हैं, ऐसा माना जाता है कि वर्ष के आरम्भ के प्रथम दिवस मीठी नीम के पत्ते खाने से पूरे साल शरीर निरोगी रहता है।
महाराष्ट्र प्रांत मे मुख्य द्वार पर रंगोली सजाकर नव वर्ष आगमन बड़े उत्सव से मनाया जाता है। मराठी भाषा मे गुड़ी का अर्थ विजय पताका होता है। महाराष्ट्र प्रांत मे मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी सजाने से घर से बुरी आत्मा बाहर निकलती है और उनका प्रवेश घर मे पुनः नही हो पाता हैं। इससे घर से बीमारियां, दुख-अभाव, नकारात्मक ऊर्जा और विपत्तियों का नाश भी होता है। सनातन संस्कृति मे घर के द्वार पर रंगोली सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को उत्तर भारत में घर के मुख्य दरवाजे पर आम के पत्तों से बंदरवार लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस तिथि को आदिशक्ति भगवती के नौ रूपों की पूरे नों दिनो तक स्थापन कर चैत्र नवरात्र के रूप पूजा की जाती है। शास्त्रानुसार मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि मे शक्ति का प्रवाह अथवा निर्माण इसी दिन किया था और इसी दिन से सबसे पहला युग यानी सतयुग प्रारंभ हुआ था।
भारत के लगभग सभी हिस्सों में चैत्रमास में फसल कटाई होती है और वर्ष का पहला अनाज या अन्न किसान के घर में आता है। इसलिए किसान वर्ग के लोग भी इसी दिन अपने फसलों मे वृद्धि की कामना से पूजन पाठ करते हैं। जिस कारण से दक्षिण भारत में इस पर्व को उगादि के नाम से जाना जाता हैं।
दिनांक- 13 अप्रैल 2021 को चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सनातनी नववर्ष आरंभ हो रहा है और साथ ही इसी तिथि से ही नवरात्रि भी प्रारंभ हो रहे हैं, जिसे नया संवत्सर ...
प्रथमम् शैलपुत्री स्तुति - 1- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ 2- ॐ वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम: नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री ...
द्वितीयम् ब्रह्मचारिणी स्तुति – ॐ दधाना कर पद्माभ्यामक्ष मालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। (अर्थ - हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी आपको बारम्बार प्रणाम है।) नवरात्र के दुसरे ...