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आमंत्रण तो सबका होता है, परंतु निमंत्रण तो विशेष का होता है।


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संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 18-06-2021

आधुनिक युग में आंग्लभाषा के invitation शब्द का प्रयोग सगे सम्बंधी, मित्रों, सहकर्मियों, श्रोताओं को बहुतायत भोजन, पार्टी, विवाह, सेमिनार आदि में बुलाने के संदर्भ मे किया जाता है। जिसका संक्षिप्त रूप से एक ही अर्थ निकलता है कि किसी को भी अपने मांगलिक समारोह या व्यवसायिक प्रयोजनार्थ आमंत्रित करना है।  संस्कृत भाषा में निमंत्रण नियोग कणनम और आमंत्रण को कामाचार कणनम रूप मे परिभाषित किया गया है परन्तु सनातनी संस्कृति मे आंग्लभाषा के invitation शब्द के दो मायने है-

1: आमंत्रण

2: निमंत्रण

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आमंत्रण और निमंत्रण शब्दों का प्रयोग कब और किस परिस्थिति में किया जाता है?  आमंत्रण और निमंत्रण शब्दों का प्रयोग करने पर इनका फर्क देखा जा सकता है। सामान्यतः लोग भ्रमवश या अज्ञानवश 'आमंत्रण' और 'निमंत्रण' को एक ही मानते है जबकि दोनों का अर्थ एक नहीं है। सामान्य रूप से 'आमंत्रण' और निमंत्रण बुलावे के लिए प्रयुक्त होते है परंतु दोनों ही शब्दों में 'मंत्रण' धातु की एक सी उपस्थिति है।

'मंत्रण' का वैसे तो बहुत ही व्यापक अर्थ निकलता है किन्तु समान्यजन मे मंत्रण का मतलब वार्तालाप के लिए तैयार रहना अथवा बातचीत कर मनः आनंद प्राप्त करना अथवा संबोधित करना है। ऋषि-मुनियों के द्वारा शब्दों के अनुसंधान मे 'आ' और 'नि' के चलते इनके अर्थों में विशिष्टता व विशेषता मिलती है जिसमे आमंत्रण के बाद ही निमंत्रण शब्द का उपयोग किया जाता है।

1- आमंत्रण :- आमंत्रण का समान्य बोलचाल व्यवहार मे अर्थ है कि अनौपचारिक तौर पर किसी को भी बुलावा देना या बुलाना है जिसमे आगंतुक के आगमन से मनः आनंद एवं पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक वार्तालाप होता है। आमंत्रण में लक्ष्य निर्धारित नही होता है और लक्ष्य प्राप्त करना इतना जरूरी भी नही होता है। परिवार मे, सभाओं, सेमिनार, समाज सेवा के कार्य, कला, संस्कृति के आयोजनों एवं मांगलिक प्रयोजनों में लोगों को बुलाना ही आमंत्रण है। जिसके लिए दिन या तिथि या समय निश्चित नहीं किया जाता है। आमंत्रित आगंतुक के बाद ही उसके भोजन, दक्षिणा इत्यादि की व्यवस्था की जाती है। आमंत्रण आत्मिक, पारिवारिक एवं सामाजिक मेल-मिलाप के लिए होता है। 

2- निमंत्रण :- किसी नियोजन के लिए किया गया आमंत्रण ही निमंत्रण है जिसमे दिन या तिथि या समय निश्चित रहता है, जिसमें आगंतुक के बिना वह कार्य विशेष अधूरा हो सकता है। निमंत्रण में शारीरिक एवं मानसिक उपस्थिति महत्वपूर्ण मानी गयी है।  आधुनिक युग में निमंत्रण को न्योता शब्द में परिवर्तित कर दिया गया है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों मे न्योता शब्द का प्रचलन है। निमंत्रण में एक आयोजन होता है, परंतु प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित नहीं होता है।  निमंत्रण में आयोजन पूर्ण होने पर भोजन आदि के साथ उत्सव मनाया जा सकता है।  निमंत्रण सामाजिक मेल-मिलाप के लिए होता है। 

आमंत्रण और निमंत्रण के प्रमुख तथ्य

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