संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 09-11-2021
सनातन पंचांग अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लखेनी पंचमी, ज्ञान पंचमी, सौभाग्य पंचमी अथवा लाभ पंचमी का पर्व (त्यौहार) लोकप्रिय है। प्रकाश के पर्व दिपावली से लाभ पंचमी भी जुड़ा हुआ है। यह पर्व भारत के गुजरात राज्य में सबसे अत्यधिक प्रचालित है। गुजरात के क्षेत्रों में, इसे आधिकारिक तौर पर गुजराती नव वर्ष का पहला दिन माना जाता है। गुजराती लोग मानते हैं कि लाभ पंचमी की पूजा करके व्यवसाय और व्यक्तिगत दोनों ही स्तर पर अच्छे भाग्य, धन और प्रसन्नता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। सौभाग्य पंचमी अथवा लाभ पंचमी तिथि को नया व्यापार, उद्यम, संस्थान आरम्भ करने या स्थापित करने हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण और शुभत्व माना जाता है। गुजरात के लोग अत्यधिक धन और समृद्धि के लिए पूर्ण उत्साह के साथ देवी लक्ष्मी और भगवान गणेशजी की पूजा और प्रार्थना करते हैं।
प्रकाश के पर्व दिपावली मे यदि कोई भक्त लक्ष्मी-गणेश अथवा कुबेर जी का पूजन नहीं कर सका हो, तो उनके लिए पुनः यह लक्ष्मी-गणेश अथवा कुबेर जी को प्रसन्न कर लेने का एक अच्छा सुअवसर होता है, व्यापारिक समुदाय के सभी लोग अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों मे नए बही-खातों की पूजा कर अपने व्यवसाय मे चारचाँद लगा सकते हैं।
लाभ शब्द सदैव वृद्धि, उन्नति, हित, फलप्राप्ति को ही दर्शाता है और लाभ का सीधा सम्बन्ध गणेश और लक्ष्मी जी से ही जुड़ता है। पंचमी का सम्बन्ध कला, विद्या और गुणो की देवी सरस्वती (माँ शारदा) से ही है, जिनकी कृपा से जीवन में योग्यता और अच्छा भाग्य मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्व तिथि पर माँ शारदा और लक्ष्मी दोनों की ही कृपा समान भाव से मिलती है। इसलिए बुद्धि और शक्ति दोनों का ही संगम एक साथ इसी तिथि मे ही देखने को मिलता है। सनातनी संस्कृतियों में इस पर्व तिथि पर लोग अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता को बढ़ाने के लिए अपनी किताबों की पूजा करते हैं।
इस पर्व तिथि पर सभी प्रकार की कामनाए पूर्ण करने के उद्देश्य से लाभ पंचमी का व्रत (उपवास) अत्यन्त लाभकारी हो जाता है। प्रातः काल से ही उपवास रखकर लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और सरस्वती जी का पूजन कर सन्ध्या काल मे दीपो से घर मे प्रकाश करना विशेष फलदायी होता है और दीप प्रज्वलित कर मिष्ठानो एवं घर के बने व्यजनों, पकवानो से उपवास समाप्त करने से परिवार में सुख-शांति आती है और जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से व्यापार में मनवांछित लाभ मिलता है तथा शिव-पार्वती का पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति के साथ-साथ जीवन में आ रही बाधा दूर होती है और घर-परिवार में सुख-शांति के साथ-साथ सौभाग्य का वास होता है।
दीपावली वाले दिन पूजन पाठ पूर्ण न कर पाये हो तो, व्यवसायिक लोगो के लिए यह दिवस आने वाले वर्ष के लिए सफलता का आशीर्वाद पाने का अवसर होता है। सौभाग्य पंचमी के अवसर पर मित्रो, रिश्तेदारों, बंधु बाँधवों एवं परिचितों को मीठे रिश्तों के प्रतीक के रूप में मिठाई और उपहार के साथ शुभकामनाऐं देने यश कीर्ति बढ़ती हैं। इस शुभ दिन पर जरूरतमंद और गरीब लोगों को पैसे, कपड़े, भोजन और अन्य आवश्यक चीजें दान करने से घर और व्यवसाय का दारिद्र दूर होता है।
लखेनी, ज्ञान, सौभाग्य अथवा लाभ पंचमी के पर्व का निष्कर्ष :-
लक्ष्मी जी के पूजन का शुभ मुहूर्त 4.11.2021 को प्रातः काल 7:33 से 9:51 तक वृश्चिक लग्न, 9:51 से 11:55 तक धनु लग्न, 11: 55 से 13:37 तक मकर लग्न (अभिजित मुहूर्त) 15:05 से 16: ...
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