संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 20-06-2024
वेदानुसार सत्यनारायण कथा करने से सहस्त्र वर्षों के समानान्तर यज्ञ का फल मिलता है और श्रवण (सुनने) करने मात्र से ही सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सभी प्रतिष्ठित धर्मावलम्बियों में सत्यनारायण व्रत कथा सर्वमान्य प्रचलित है। भक्त अपने संकल्प पूर्ण करने अथवा पूर्णता होने के निमित्त सत्य स्वरुप सत्यनारायण की व्रत कथा नियोजित करता है। कुछ भक्त नियमित रूप में, कुछ भक्त विशेष कार्य सिद्ध होने पर, कुछ भक्त मॉगलिक कार्यों में इस कथा का श्रवण-पान करते हैं। स्कन्द पुराण, रेवाखण्ड से सत्यनारायण व्रतकथा के पाँच अध्याय संकलित हैं, जिसमें दो भाग हैं, प्रथम व्रत-पूजा एवं द्वितीय कथा-श्रवण। इसके पाँच खण्डों में कुल 170 श्लोक हैं, जिनके प्रत्येक खण्ड में सत्य-मार्ग पर तटस्थ रहने के सूत्रों व संदेशों का महिमा वर्णन संचित हैं।
➤ खण्ड-। - कलियुग का प्रभाव क्या और कैसा होगा. उसके लक्षणों व बचाव का वर्णन है।
➤ खण्ड-2 - सत्यनारायण व्रत क्या है और इससे क्या लाभ है।
➤ खण्ड-3 - संकल्प क्या है और इसको भूल जाने से क्या दुष्परिणाम होते हैं।
➤ खण्ड-4 - बिना निष्ठा के स्वार्थवश कर्मों के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं।
➤ खण्ड-5 - सत्य ज्ञात होने पर भी अहंकारवश कृत्यों के दुष्परिणामों का वर्णन है।
इन सूत्रों व संदेशों का सम्पूर्ण सारांश है कि पूरी निष्ठा और सुदृढ़ता के साथ सत्य व्रत का पालन न करने से किस प्रकार से दुख वृद्धि करता हैं और कैसे जीवन संकटों व दुखों से युक्त होता है। पिछले जन्म के कर्मों या इस जीवन के कर्मों से उत्पन्न संकट और कठिनाइयों को दूर करने के लिए सत्यनारायण की व्रत कथा बारम्बार होती है। सामान्यतः सत्यनारायण पूजा आत्मशुद्धि और दैवीय आशीर्वाद प्राप्ति हेतु की जाती है।
शिवाराधना सर्वोत्तम मार्ग है, रुद्राभिषेक गोपनीय रूप से आध्यात्मिक प्रगति या समस्याओं व कठिनाइयों से मुक्ति मार्ग है। ऋग्वेद में भगवान शिव को ही रुद्र रूप में वर्णित कर उनकी कृपा पाने का सर्वोत्तम मार्ग रुद्र-अभिषेक ...
प्राणियों के जीवित रहने के लिये उपयुक्त पृथ्वी के भाग को भूमि कहते हैं। भू का अर्थ है भूमि का वह टुकड़ा जहां जीव-जन्तु रह सके, धरा के उस सम भाग को ही भूमि कहते हैं। ...
प्रकृति के प्रति भक्ति समर्पण का प्रतीक नींव पूजा, देवताओ के पवित्र वास व उनकी प्रतिष्ठा, सम्मान और आशीर्वाद का धार्मिक अनुष्ठान है। नींव शब्द का प्रयोग किसी नई इमारत, मंदिर, निवास या किसी महत्वपूर्ण संरचना की ...