संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 20-06-2024
ऋग्वेद में भगवान शिव को ही रुद्र रूप में वर्णित कर उनकी कृपा पाने का सर्वोत्तम मार्ग रुद्र-अभिषेक को बताया गया है और इससे उनका अत्यंत उदार हृदय सरलता से प्रसन्न होता है। शास्त्रों, वेदों और धार्मिक ग्रंथों के वर्णानुसार उनका अभिषेक परम कल्याणकारी और शिवाराधना सर्वोत्तम मार्ग है, जिसमें भक्ति, श्रद्धा और पूजा की अद्वितीय विधि के रूप में रुद्राभिषेक शिव की संगत में शांति, कृपा और आशीर्वाद का अनुभव होता है। रुद्राभिषेक से शिव शक्ति रूप में प्रसन्न होते हैं। रुद्राभिषेक से गोपनीय रूप से आध्यात्मिक प्रगति या समस्याओं व कठिनाइयों से मुक्ति देता है।
रुद्रहृद्योपनिषद के अनुसार सभी देवात्माओं में रूद्र समाहित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है। मान्यता है कि प्रभावशाली मंत्रो और शास्त्रोक्त विधि से रुद्राभिषेक पूर्ण करने से पूजक के जन्म-जन्मांतर के पाप, नकारात्मक ऊर्जा, जीवन में आयी और आने वाले समस्त संताप व दोष नष्ट होते हैं और परिवार को सुख, शांति, समृद्धि, धन और सफलता का आशीर्वाद मिलता है। नियमित रूप से भक्ति और श्रद्धा से जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की क्षमता का परिणाम मिलता है। इस अनुष्ठान में शास्त्रों के ज्ञान से अधिक पूजक के सरल भाव, भक्ति तथा लगन का महत्व श्रेष्ठ माना जाता है। इस प्रकार सभी मनोरथ पूर्ति, शारीरिक, आत्मिक और मानसिक शुद्धि और संतुलन का मार्ग रुद्राभिषेक को बताया जाता है।
रुद्रभिषेक में शिव, पार्वती, नवग्रहों, सार्वभौमिक ऊर्जाओं (धरती माँ, देवी देवता, गंगा, गणेश, गौरी, सूर्य, अग्नि, ब्रह्मा, पंच तत्व और दशों दिशाओं) का आवाहन कराकर पूजक से शिव को पंचामृत (दुग्ध, दही, शहद, घी और चीनी आवश्यकतानुसार) गंगा जल, गन्ने का रस, शक्कर मिश्रित जल, पवित्र राख, गुलाब जल, नैवद्य नारियल का पानी, चंदन पानी और अन्य सुगंधित पदार्थ इत्यादि से स्नान पूर्ण कराते हुए सभी पापो और बीमारियों से मुक्ति हेतु पूजक की इच्छानुसार विस्तृत संस्करण से यह अनुष्ठान पूर्ण होता है।
प्राणियों के जीवित रहने के लिये उपयुक्त पृथ्वी के भाग को भूमि कहते हैं। भू का अर्थ है भूमि का वह टुकड़ा जहां जीव-जन्तु रह सके, धरा के उस सम भाग को ही भूमि कहते हैं। ...
प्रकृति के प्रति भक्ति समर्पण का प्रतीक नींव पूजा, देवताओ के पवित्र वास व उनकी प्रतिष्ठा, सम्मान और आशीर्वाद का धार्मिक अनुष्ठान है। नींव शब्द का प्रयोग किसी नई इमारत, मंदिर, निवास या किसी महत्वपूर्ण संरचना की ...
खगोलीय सौर्य मण्डल के सभी ग्रह, उपग्रह 27 नक्षत्रों से वर्तमान और भविष्य की घटनाओं की स्पष्ट जानकारी मिलती है ज्योतिष विज्ञान के अनुसार खगोलीय सौर्य मण्डल के सभी ग्रह, उपग्रह 27 नक्षत्रों के मध्य ही ...