संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 20-06-2024
कलिकाल में सर्वाधिक कम समयावधि में प्रसन्न होने वाले रुद्रान्श देव हनुमान जी हैं और भगवान श्रीराम के सबसे विश्वसनीय, निस्वार्थी और प्रेमपूर्ण भक्तों में से एक हनुमान जी हैं। जिन्हें बल, बुद्धि व विद्या आदि देने वाला विकट, विकराल, क्लेश, विकार, संताप, दुःख, परेशानियों और संकट को हरने वाला माना गया है। उनकी कृपा से ही कठिन से कठिन कार्य भी आसान और सुखद हो जाते हैं। भगवान राम को केन्द्रित रखते हुए वाल्मिकी द्वारा संस्कृत महाकाव्य रामायण की रचना हुई है, जो अपने गहन आध्यात्मिक महत्व के लिए पूजनीय है, किन्तु परंपरागत अवधि भाषा में अनुवादित तुलसीदास कृत रामचरित मानस लोकप्रिय है।
श्री रामचरित मानस में सफलता के महत्वकांक्षी जीवन सूत्र और मनोवैज्ञानिकता पूर्ण रहस्य संकलित है, जो प्रत्येक प्राणी के आगामी जीवन मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर सुखद और सुगम जीवन प्रदान करने में सहायता करते हैं। महाकाव्य रामायण का सबसे अलग, अनोखा और सर्वश्रेष्ठ पाँचवाँ खण्ड सुन्दरकाण्ड है, जिसके मुख्यपात्र राम नहीं बल्कि हनुमान हैं। सुन्दरकाण्ड एक अत्यंत लोकप्रिय और शक्तिशाली प्रार्थना है, जिसमें हनुमान जी की महिमामयी वीरतापूर्ण कारनामों को दर्शाया गया है। सुंदरकाण्ड का पाठ बिना किसी रुकावट के एक स्वर और लयबद्ध शुद्ध भक्तिभाव से पूरा करने या कराने से अमोघ फल मिलता है।
माँ सीता की खोज में साधारण से वानर जाति के प्राणी (हनुमान जी) का भक्ति, आत्मविश्वास, इच्छा-शक्ति व चमत्कार के बल पर, समुद्र को लांघकर लंका के त्रिकुटाचल पर्वत (सुबैलु और नील पर्वत के मध्य मैदानी युद्ध क्षेत्र परिधि में स्थित सुंदर पर्वत का रमणीय क्षेत्र, जहाँ राक्षसों का महल व निवास था) के अशोक वाटिका पहुंचना, हनुमान और सीताजी की भेंट, सीता का संदेश, लंका दहन, इत्यादि क्रमागत पुरुषार्थ से श्रीराम को विजयश्री दिलाने का जीवन्त कांड ही सुन्दरकाण्ड है। सुंदर पर्वत के नाम पर आधारित प्रमुख घटना या काण्ड ही सुंदरकाण्ड है। दैनिक सुंदरकाण्ड का पाठ करने से एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि के साथ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां निष्क्रिय रहती हैं, जिससे किसी भी अभीष्ट कार्य में सकारात्मक परिणाम सतत् रूप से मिलते हैं।
शुभ अवसर और कार्यों के आरम्भ से पूर्व, अधिक समस्या होने पर, कार्य मे बाधाएँ आने पर आत्मविश्वास की कमी, मृत्यु का भय, विपरीत परिस्थितियों में कई ज्योतिष-विज्ञानी या सन्त महात्माओं द्वारा सुंदरकाण्ड पाठ की सलाह दी जाती हैं। सामान्यतः आशीर्वाद, सुरक्षा और दैवीय हस्तक्षेप के लिए सुन्दरकाण्ड का पाठ कर धर्मग्रंथ के गहन-ज्ञान और वर्षों के अनुभव के साथ आध्यात्मिक विकास को प्रेरित किया जाता हैं। यदि सुन्दरकाण्ड पाठ के माध्यम से आध्यात्मिक मार्गदर्शन, दिव्य सुरक्षात्मक आशीर्वाद चाहते हैं, तो भगवान हनुमान की कृपा मात्र से ही असाध्य से असाध्य कार्य भी सरल और सुखद हो जाते हैं।
(जेहि बिधि होय नाथ हित मोरा। करहुँ सो वेगि दास मैं तोरा)
सनातन दर्शन तथा योग के अनुसार ब्रह्मांड में व्याक पंचमहाभूत पृथ्वी (क्षिति), जल (अप), अग्नि (पावक) गगन (आकाश) एवं वायु (समीरा) एवं अविरतुओं कारण और परिणति,माना गया है। प्रकृति में उत्पन्न मभी वस्तुओं में पंचतत्व अलग-अलग ...
अनवरत पूर्णतः स्पष्ट और शुद्ध पाठ करने और कराने को ही अखंड-पाठ कहा जाता है। कई भक्त दैनिक रूप से खण्ड-खण्ड में अथवा अखण्ड रूप से रामायण पाठ का आयोजन व समापन पुण्य, लाभ, बौद्धिक उन्नति, ...
सामाजिक सबसे छोटी इकाई परिवार निर्माण में सद्गृहस्थ स्थापना का आरम्भ तिलकोत्सव से होता है। सामाजिक सबसे छोटी इकाई परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने वाले योग्य, मानसिक परिपक्व युवक-युवतियों का विवाह संस्कार के द्वारा सद्गृहस्थ स्थापना कराया ...