संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 18-06-2024
चौक से चौकी शब्द की व्युत्पत्ति होती है, चौक का अर्थ चतुर्भुजी मार्ग के केंद्र और चारो दिशाओ को जाने वाले मार्ग के नियंत्रण हेतु स्थापित स्थली को चौकी संज्ञा दी जाती है। जीवनदात्री, जीवन रक्षक, जीवन चक्र को चलाने वाली, जीवनी शक्ति प्रदाता को जननी, माता, माँ, अम्मा, आई इत्यादि संबोधनों से पुकारा जाता है, जिनको प्रत्यक्ष रूप में कुछ क्षण व कुछ दिवस के लिए जैविक चक्र के केंद्र को नियंत्रित करने हेतु स्थापित किया जाता है।
अधिकांश परिवार के गृह सदस्यों या समाज के लोग सामूहिक रूप से एकत्रित होकर अपने मन की भावनाओं को गाने और प्रार्थनाओं में व्यक्त करने के लिए माता की चौकी का आयोजन करते हैं, जो निश्चय ही सभी के सामाजिक संबंधों को मजबूत करते हुए प्रफुल्लित,उत्साहित और चेतना प्रदान करती है, यहाँ आपसी खुशियों के आदान-प्रदान व सौहार्द का अवसर प्राप्त होता है। सामूहिकता और समर्थन की भावना को बढ़ावा देने हेतु विशेष रूप से भजन, कीर्तन और भक्ति प्रस्तुतियों को सामाजिक उत्सव रूप में आनंददायक और शांतिपूर्ण अनुभव होता है।
धार्मिक स्थलों पर नवरात्रि, दीपावली, नवग्रह शांति, और माता के जन्मदिन आदि के शुभ मुहूर्तों या अवसर पर जीवन चक्र में रक्षक माँ के प्रति समर्पण, भक्ति और आदर में धार्मिक गाने, प्रवचन, भजन, आरती, और प्रार्थना अभिव्यक्त के लिए सामूहिक एकत्रित होकर माता की चौकी का प्राविधान होता है। जिसका मुख्य उद्देश्य माँ के चरणों में भक्तगण मानसिक आवश्यकताओं और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए माँ की महिमा का गुणगान करते हुए समृद्धि, शांति, और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। आधिकांशतः भक्तगण नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अवसर पर घरों और सार्वजनिक स्थानों पर माता की मूर्तियों को सजाकर सम्पन्न करते हैं। इस प्रकार माता की चौकी का तात्पर्य जीवन चक्र में रक्षक, शक्ति प्रदात्री, सुख संताप दात्री को कुछ क्षण व कुछ दिवस के लिए जैविक चक्र के केंद्र को नियंत्रित करने हेतु स्थापित करना, जिससे जीवन के संताप, कष्ट, कुंठा, दारिद्र्य, दोष, रोग और व्याधियों से मुक्ति की प्रार्थना की जा सके।
श्रद्धानुसार किसी भी दिवस अथवा नवरात्रि के प्रथम दिवस से नवमी तक सम्पूर्ण नौ दिनो में आदिशक्ति के रूपों जैसे - श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चन्द्रघंटा, श्री कूष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धि दात्री की श्रद्धा भाव से उपासना, भजन कीर्तन और आरती की जाती है।
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