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Pooja Path सूक्त पाठ


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संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 18-06-2024

लक्ष्मी का वास स्वच्छता, प्रसन्नता, सुव्यवस्था, श्रमनिष्ठा एवं मितव्ययिता से प्रदर्शित होता है।

ऋग्वेद में वर्णित है कि कृपापात्र भक्त को महालक्ष्मी की उपासना करने से ऋण, रोगो व आलस्य से मुक्ति और धन, धान्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति एवं व्यापारिक सम्वृद्धि प्राप्त होती है। इस संसार में सांसारिक प्रत्येक प्राणी को सुख, सफलता, सदभाव की कामना रहती हैं, जो बिना लक्ष्मी कृपा के सम्भव नहीं है - चाहे वह राजा हो या रंक, छोटा हो, या बड़ा, सुन्दर हो या कुरूप सभी प्राणी की मनोकामना यही होती है कि माँ लक्ष्मी उनके गृह मे निवास करे। जबकि लक्ष्मी जी सर्वव्यापी हैं, चंचला प्रवृत्ति के फलस्वरूप संसार मे चहुओर विचरण करती रहती है, जहां जहाँ भी स्वछता, प्रसन्नता, सुव्यवस्था, श्रमनिष्ठा एवं मितव्ययिता होगी, वहाँ लक्ष्मी जी के वास का स्वतः चिन्ह प्रदर्शित होने लगता है।

माँ लक्ष्मी की कृपा से ही सांसारिक जीवन यापन के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

संक्षिप्त में महालक्ष्मी की कृपा के बिना सांसारिक जीवन यापन करना अत्यंत क्लिष्ट होता है, अर्थात महालक्ष्मी की कृपा से ही सर्वमनोरथ पूर्ण होते हैं। ऋग्वेद में शुभ, समृद्धि, श्रेष्ठ और सौंदर्य, धन-धान्य, बहुतायत की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी की उपासना के लिए श्री सूक्तम स्तोत्र वर्णित है। माँ लक्ष्मी को श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ध्यान कर श्री सूक्तस्तोत्र का पाठ करने से ऋण से मुक्ति, आलस्य में कमी, व्यापार में वृद्धि, आरोग्यता, दुर्भाग्य के सौभाग्य में बदलने, धन-धान्य, यश-कीर्ति का वरदान मिलता है और उपासक समृद्धि, अच्छाई, तेज, सम्पन्नता, पुत्रवान और दीर्घायु से युक्त होकर कल्याण के आशीर्वाद से शोभायमान रहता है।

शुभ गुण अवतारी लक्ष्मी के श्री सूक्तस्तोत्र का पाठ करने से कभी भी दरिद्रता नहीं आती है।

सूक्त के चार भेद देवता, ऋषि, छन्द एवं अर्थ हैं, जो अनेक ईश्वर (विष्णु, शिव व ब्रह्मा) अथवा शक्ति (त्रिदेवी) के साकार व निराकर का मान्यता प्राप्त समर्पित सूक्त ग्रंथ है। माँ लक्ष्मी को समर्पित उनकी आराधना हेतु श्री सूक्तम् ऋग्वेद के अन्तर्गत पांचवें मण्डल के अन्त में उपलब्ध पन्द्रह मन्त्रों का खिल सूक्त है और सोलहवें मन्त्र में फलश्रुति है। सूक्त पाठ संस्कृत में विशेष प्रकार के भक्तिपूर्ण मंत्रों का उच्चारण धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों के समय किया जाता है। श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ करने वाले को कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। श्रीसूक्तम के पंद्रह छंदों के अक्षर, शब्दांश और शब्द के सामूहिक ध्वनि से लक्ष्मी के रूप का निर्माण होता हैं, जो श्री (शुभ गुणों का अवतार) के रूप में जाना जाता है।

श्री सूक्त का पाठ का शास्त्रोक्त पूजा की विधि व विधान!

माँ लक्ष्मी का आह्वान और पूजा करने का श्री सूक्तम पाठ सर्वोत्तम साधन है। मान्यता है कि वैदिक मंत्रो, नियम और विधान अनुसार श्री सूक्त का पाठ पूर्ण करने से कोई भी मनोरथ अधूरा नहीं रह सकता है अर्थात श्री सूक्तम स्तोत्र से महालक्ष्मी की सांसारिक कृपा प्राप्त होती है। श्री सूक्त पाठ में सर्वतोभद्र मंडल, षोडशमात्रिका मंडल तथा सार्वभौमिक ऊर्जा के देवी देवताओ का मंत्रोच्चारण से विधिनुसार आवाहन कराकर श्री सूक्त स्तोत्र का पाठ सम्पन्न कराकर आरती, दान इत्यादि तक सम्पन्न कराये जाते हैं, जिससे महालक्ष्मी के आशीष से उन्नति की अभिलाषा, सुख-शान्ति, वैभव, व्यापार और सुखद जीवन सदैव सतत पूर्ण बना रहे। इस प्रकार श्री सूक्तम स्तोत्र से महालक्ष्मी की सांसारिक कृपा प्राप्त होती है।

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