संकलन : अनुजा शुक्ला तिथि : 06-02-2022
पुस्तकों की भूमिका मनुष्य के जीवन व समाजिक निर्माण में कितनी सशक्त और उल्लेखनीय है, इस तथ्य को विश्व का कोई व्यक्ति नहीं नकार सकता है कि पुस्तकों ने सदैव ही एक मार्गदर्शक का कार्य किया है। कोई भी धर्म (परम्परा) या पंथ को सहेजने और संवारने का कार्य सदैव पुस्तकों ने ही किया है। चाहे वह सनातन के वेद, उपनिषद अथवा शास्त्र आदि हों या फिर किसी अन्य धर्म की कोई पवित्र पुस्तक सभी पुस्तकों ने सदैव ही मनुष्य का मार्ग प्रसस्त ही किया है और जीवन के दर्शन को जीवांत ही किया है।
कालखंड में रहस्यात्मक और अद्भुत प्रश्नों की छाया भी मानव मस्तिष्क में पुस्तके उत्पन्न कराती हैं।
विश्व में कई ऐसे रहस्य हैं, जिन्हें आज तक कोई नहीं समझ पाया है, परंतु संसार की एक ऐसी पुस्तक भी है, जिसे छह सौ वर्षो से अधिक की अवधि व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी कोई विद्वान उसको पढऩे में सफल नहीं हुआ है, यह कपोल कल्पना नहीं है, यह आज का यथार्थ भी है। निश्चय ही इस पुस्तक के लेखन के पीछे लेखक का लक्ष्य अद्भुत या रहस्यात्मक ही रहा होगा, ऐसे सहस्त्रों प्रश्न मानव मस्तिष्क में उस पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न ही होंगे। लेकिन यह यथार्थ सत्य है कि इसी विश्व में एक ऐसी भी पुस्तक है, जिसके छह सौ वर्ष से अधिक का कालखंड व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी कोई भी विद्वान पढऩे में सफल नहीं रहा है। इस पुस्तक का प्रारंभ से लेकर अब तक का कालखंड रहस्य और प्रश्नों की छाया से आच्छादित है।
ऐसा बिलकुल नहीं है कि उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास न किया हो, लेकिन अचरज और अचंभित करने वाला तथ्य यह है कि इतिहासकारों के अनुसार यह किताब लगभग 600 साल पुरानी है और वैज्ञानिक या शोधकर्ता जितनी बार भी इन रहस्यों के पीछे का सच जानने का प्रयास करते हैं, वो उतना ही उलझ जाते। यह पुस्तक 240 पन्नों की है इसे आज तक कोई भी पढ़ नहीं पाया है। इस किताब को 15वीं सदी में लिखा गया था, इसका पता कार्बन डेटिंग के माध्यम से लगाया गया जा चुका है। इस किताब में क्या लिखा हुआ है और कौन सी भाषा में लिखा हुआ है, यह आज तक कोई नहीं समझ पाया है यह एक अनसुलझी पहेली की तरह है।
इस हस्त लिखित पुस्तक को इटली के एक पुस्तक विक्रेता विलफ्रीड वॉयनिक का नाम दिया गया है। कहा जाता है कि वर्ष 1912 में उन्होंने ही रहस्यमय किताब को कहीं से खरीदा था। इस रहस्यमय किताब में कई पन्ने हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ इसके कई पन्ने खराब हो गए। वर्तमान में सिर्फ 240 पन्ने ही बचे हैं। इस किताब के बारे में कुछ खास तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन इतना जरूर पता चला है कि किताब में लिखे गए कुछ शब्द लैटिन और जर्मन भाषा में हैं। इस किताब में मानव से लेकर वृक्षो, पेड़-पौधों तक के कई चित्र बने हुए हैं, जिसमें सबसे अचंभित करने वाला तथ्य यह है कि इस पुस्तक में कुछ ऐसे भी पेड़-पौधों के चित्र हैं, जो पृथ्वी पर उपस्थित किसी भी पेड़-पौधे से एकदम मेल नहीं खाते हैं।
हालांकि अपने आप में कई अनसुलझे सवाल समेटे हुए हैं। इस पुस्तक को हाथ से ही लिखा गया है, किन्तु आज तक किसी के समझ में ना आने वाली इस पुस्तक को किस भाषा में लिखा गया है, यह तक अभी ज्ञात नहीं किया जा सका। साथ ही इस पुस्तक में इंसानों से लेकर पेड़-पौधों तक के कई चित्र मौजूद हैं, लेकिन इसमें सबसे हैरान करने वाला तथ्य यह है कि कुछ ऐसे भी पेड़-पौधों के चित्र बनाए गए हैं, जो हमारी धरती पर मौजूद किसी भी पेड़-पौधे से मेल नहीं खाते है। इस पुस्तक में और कई पन्ने होना अनुमानित था, लेकिन समय के साथ इसके कई पन्ने खराब होते चले गए। फिलहाल इसमें सिर्फ 240 पन्ने ही बचे हैं।
इस पुस्तक के बारे में और कुछ ज्यादा पता नहीं चल पाया है। किताब में लिखे गए कुछ शब्द लैटिन और जर्मन भाषा में हैं। जिससे ये किताब और कई सवाल खड़े करती है। ऐसा मानना है कि इस किताब को कुछ इस तरह लिखा गया है, जिससे की इसमें लिखी गई बात को गुप्त रखा जा सके। ऐसे में इसमें जो भी लिखा गया है वो अभी भी रहस्य बना हुआ है। ये तो किताब लिखने वाला ही जानता है कि उसने इस किताब में ऐसा कौन सा सच छिपा रखा है, जिसे कोई नहीं समझ सके। कई लोगों का मानना है कि इस किताब को इस तरह लिखा गया है कि इसके रहस्य को छिपाया जा सके। अब वो रहस्य क्या है, ये तो किताब लिखने वाला ही जानता होगा या हो सकता है कि आने वाले वक्त में इस किताब को पढ़ा जा सके।
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