संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 17-07-2021
भड़रिया नवमी प्रारंभ 18 जुलाई 2021 02: 41 और समापन 19 जुलाई 2021 को रात 12:28
भड़रिया नवमी का महत्व अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी के तुल्य है। भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया के समान शुभफलदायी और महत्वपूर्ण माना गया है। आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की नवमी को भड़रिया नवमी कहते हैं। भड़रिया नवमी गुप्त नवरात्रि की नवमी होती है, इसलिए यह तिथि शुभ कार्यों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़रिया नवमी एक अबूझ शुभ मुहूर्त है। अबूझ शुभ मुहूर्त में सभी प्रकार की शुभ व मांगलिक गतिविधियाँ आयोजित की जा सकती हैं। इस शुभ मुहूर्त में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश और नया कारोबार आदि शुरू किये जाने के लिए यह तिथि बहुत ही शुभ, श्रेष्ठ और उत्तम है। सनातनी शास्त्रानुसार मान्यता है कि यदि विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त न मिल रहा हो तो अबूझ शुभ मुहूर्त में विवाह करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है। भारत के कई प्रांतो में भड़रिया नवमी को स्थानीय भाषा के अनुरूप अलग अलग नामों से संबोधित किया जाता हैं। जैसे – भड़रिया नवमी, भड़ल्या नवमी, भढली नवमी, भड़ली नवमी, भादरिया नवमी, भदरिया नवमी, बदरिया नवमी।
सनातनी शास्त्रानुसार मान्यता है कि भड़ली नवमी से अगले चार मास तक श्री हरि गहरी योग निंद्रा मे रहते है। इसलिये सभी शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है। शास्त्रानुसार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी के बिना कोई भी शुभ कार्य नही किये जाते है। इन चार मासों तक भगवान शिव ही तीनों लोकों की देख रेख करते हैं। तत्पश्चात भगवान विष्णु चार मास बाद देवउठनी एकादशी पर योग निंद्रा से जाग्रत होते है। उसके पश्चात शुभ एवं मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाते हैं। भड़ली नवमी, विवाह इत्यादि शुभ मांगलिक कार्य का अंतिम दिवस होता है, जिसके बाद अगले चार मास तक शुभ मांगलिक कार्य के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
अबूझ मुहूर्त क्या है - इस मुहूर्त का अर्थ है कि विवाह इत्यादि शुभ मांगलिक कार्य के लिए यदि कोई मुहूर्त ना निकलता हो, तो ऐसे मे अबूझ शुभ मुहूर्त में विवाह इत्यादि शुभ मांगलिक कार्य इस मुहूर्त में करने से भविष्य में वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार का व्यव्धान नहीं आता है। अबूझ मुहूर्त बिना विचार चिंतन के भी शुभ माने जाते हैं। इन विशेष तिथियों पर मांगलिक कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। ये दिन स्वयं में इतने सिद्ध होते हैं कि किसी भी बृहद गणनाओ की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
ज्योतिष शास्त्र में अबूझ मुहूर्त की कोई मान्यता नही है। इन तिथियो में मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही पड़ती है, इसलिए इन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, परंतु अधिकतर ज्योतिष अबूझ मुहूर्त जैसी शुभ दिन को नही मानते हैं। सामान्य जन में कुछ अबूझ मुहूर्त जैसे बसंत पंचमी, फुलेरा दूज, अक्षय तृतीया, भड़ल्या नवमी (आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी) तथा देवोत्थान एकादशी को माना जाता है। यह सभी तिथियाँ उत्सव दिवस मान्य है, इसीलिए भड़रिया नवमी तिथि के दिन विवाह इत्यादि शुभ मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
अषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ताप्ती जयन्ती और सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होना इस तिथि को विशेष बनाता है। मध्यप्रदेश के छोटे से नगर मुलताई से ताप्ती नदी का उदय ...
सनातन संस्कृति में ब्रह्मांडीय संचार के खगोलीय ग्रह, नक्षत्र और राशियों के परिवर्तन को सांसारिक व व्यवहारिक बदलाव के लिए अत्यंत विशेष माना जाता हैं। मानवीय व सांसरिक जीवन कही न कही सूर्य देव की ...
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, लोकप्रिय भक्ति रस की यात्रा श्री जगन्नाथ रथ यात्रा पर्व भारत वर्ष की सबसे लोकप्रिय भक्ति रस की यात्रा हैं, जिसमें ना सिर्फ भक्त बल्कि प्रकृति भी झूम झूम कर बारिश की फुहारो ...