संकलन : जाह्नवी पाण्डेय तिथि : 14-09-2023
विश्वकर्मा जी की गाथा, वर्णन, वृतान्त आदि अनेको प्रसंग सदा सभी सनातनी बाल्यावस्था से सुनते चले आ रहे होंगे, किन्तु सम्पूर्ण और वास्तविक ज्ञान सनातनियों में अल्प है, ज्ञान और तथ्यों की जानकारी का अभाव भारतीय मानस में इसको उतना महत्त्व नहीं देता, जितना इसका प्रताप है।
वायु पुराण, मत्स्य पुराण तथा ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार विश्वकर्मा जी, ब्रह्माजी के हृदय में निवास करते है, इसीलिए इन्हें ब्रह्मा का प्रतीक भी कहा गया है। तपस्या से पवित्र अंतर्ज्योति सम्पन्न मन्त्र द्रष्टा ब्रह्मा के पुत्र, सृष्टि निर्माता, त्रिलोको के शिल्प विशेषज्ञ, तांत्रिकी, विषय मर्मज्ञ श्री विश्वकर्मा जी के अवतरण (जन्मदिन) दिवस पर विश्वकर्मा पूजन का विधान अनादिकाल से प्रचलन में चला आ रहा है।
ऋग्वेद के अनुसार इनको यांत्रिकी और वास्तुकला विज्ञान, स्थापत्य वेदो का श्रेय देते हुए संसार के सर्वश्रेष्ठ व दिव्य स्वयंभू अभियंता और ब्रह्माण्ड का दिव्य वास्तुकार भी कहा गया है। संपूर्ण ब्रह्मांड के दिव्य शिल्पकार विश्वकर्मा सभी शिल्पकारों और वास्तुकारों के पीठासीन देवता हैं। समस्त देवों के महलों के आधिकारिक निर्माता होने के कारण इन्हें दिव्य बढ़ई की भी संज्ञा दी जाती है, इन्होने कई दिव्य प्रकार के अस्त्रों और यंत्रो का निर्माण किया था।
कल्प के आदि वैदिक ऋषियों में उनकी निर्माण, सृजन और सुधार की योग्यता के आधार पर ही विश्वकर्मा जी को सर्वप्रथम स्थान दिया जाता है, विश्वकर्मा जी का सानिध्य विचारों को बदलता है और विचार ही भाग्य निर्माण का मार्ग है। परम्परा के मूल पुरुष विश्वकर्मा जी तत्त्व दर्शन अनुसार इच्छित विचारों (अभिलषित) को सफलता पूर्वक साक्षात पूर्ण करने की अतिकुशल क्षमता रखते हैं।
विश्वकर्मा जी का पूजन भक्त के पापात्मक विचार को सुधार कर सांसारिक आडम्बर से दूर भक्ति और आनंद अनुभूत कराता है, जिससे वह भक्त निर्माण, सृजन, और सुधार की ओर स्वतः प्रवर्त होता है। विश्वकर्मा पूजन में श्री विश्वकर्मा जी से सांसारिक व आध्यात्मिक सृजनशील बुद्धि और शक्ति के आशीर्वाद की कामना की जाती है। इसका लाभ विद्यार्थियों, व्यापारियो, कलपुर्ज़ों व तकनीकी कार्य से जुड़े लोगों (राजमिस्त्री, बुनकर, कारीगर (लोहे और अन्य धातुओं) इंजीनियर, मजदूर, शिल्पकार, कामगार, हार्डवेयर, इलेक्ट्रिशियन, टेक्निशियन, ड्राइवर, बढ़ई, वेल्डर, मकेनिक) को अवश्य मिलता है।
प्राकृतिक व दैवीय शक्तियों के आवाहन सहित श्री विश्वकर्मा जी का शास्त्रोक्त विधिनुसार पूजन कराकर पूजक को आध्यात्मिकता, सृजनशीलता से अनुग्रहित कराते हैं। वैदिक ग्रन्थों विशेषता या पुराण ग्रन्थों के मनन से यह विदित हुआ है कि विश्वकर्मा जी के किसी भी मन्त्र से पूजन का फल विशेष मिलता है।
ऋषियों का सानिध्य सांसारिक जीवन को श्रेष्ठ और उन्नत बनाता है सनातन संस्कृति में ऋषियों का सम्पूर्ण और वास्तविक ज्ञान सनातनियों में अल्प है, इसीलिए संभवतः अनादि वैदिक ऋषियों को एक दिन पूर्णतः समर्पित करते हुए ...
ऋषियों को समर्पित करते हुए एक दिवस ऋषि व्रत। सभी सनातनी ने बाल्यावस्था से ऋषियों की गाथा, वर्णन, वृतान्त आदि अनेको प्रसंग सदा से सुनते चले आ रहे होंगे, किन्तु ऋषियों का सम्पूर्ण और वास्तविक ज्ञान ...
अपवर्ग ही मुक्ति (मोक्ष)पथ है। जैविक परम्पराओं में मानव को एक सामाजिक प्राणी कहा जाता है और सांसारिक मोह-माया जगत् में उसके पास कर्म के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं होता, कर्म तो सांसारिक जीवन की बाध्यता ...