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Rudraksha - रुद्राक्ष का संबंध आस्था से ही नहीं यह है दिव्य औषधि


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संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 14-12-2020

रुद्राक्ष को धारण कर अलग-अलग रोग और व्याधियों में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जिसका ज्ञान मात्र ही रोग व्याधियों से मुक्ति तो दिलाता ही है साथ ही उन्हें समाप्त भी करने की क्षमता इन रुद्राक्ष में मिलती है :-

1

एक मुखी

अवसाद की दवा है एवं धारणकर्ता की एकाग्रता में तीव्र वृद्धि करता है।

2

दो मुखी

स्त्री रोग, आंख की खराबी, किडनी की बीमारी नष्ट होती है एवं मन की शांति बनी रहती है।

3

तीन मुखी

संक्रामक रोग, स्त्री रोगों आदि में लाभ होता है।

4

चार मुखी

नाक, कान व गले के रोग, कोढ़, लकवा, दमा आदि रोगो में लाभ होता है।

5

पंच मुखी

किडनी, डायबिटीज,  मोटापा, पीलिया आदि रोगो में लाभ होता है।

6

छह मुखी

कोढ़, नपुंसकता, पथरी, किडनी तथा मूत्र रोग आदि रोगों में लाभ होता है।

7

सात मुखी

शारीरिक दुर्बलता, उदर रोग, लकवा, चिंता, हड्डी रोग, कैंसर, अस्थमा, कमजोरी आदि रोगो में लाभ होता है।

8

आठ मुखी

अशांति, सर्पभय, चर्म रोग, गुप्त रोगो में लाभ होता है। कालसर्प दोष का सटीक उपाय भी है।

9

नौ मुखी

फेफड़े, ज्वर, नेत्र, कर्ण, उदर आदि रोगों में लाभ होता है।

10

दस मुखी

कफ संबंधी, फेफड़े संबंधी हृदय आदि रोगो में लाभ होता है।

11

ग्यारह मुखी

स्नायु तन्त्र, वीर्य संबंधी, स्त्री रोग, जोड़ो आदि रोगों में लाभ होता है।

12

बारह मुखी

फेफड़े सिरदर्द, गंज, बुखार, नेत्र, हृदय, मूत्राशय आदि रोगों में लाभ होता है।

13

तेरह मुखी

धातु रोग, नपुंसकता, मूत्राशय, गर्भ संबंधी, किडनी, लिवर आदि रोगों में लाभ होता है।

14

चौदह मुखी

निराशा, बेचैनी, भय, लकवा, कैंसर, भूत-प्रेत बाधा आदि में आश्चर्य जनक लाभ होता है।

सामान्यत:- महिलाओं को रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा नहीं है केवल साध्वियां ही रुद्राक्ष धारण करती देखी गई हैं। किन्तु वर्तमान समय में महिलाओं में भी रुद्राक्ष धारण करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। मतानुसार यदि महिलाएं रुद्राक्ष धारण करें तो अशुद्धावस्था आने से पूर्व इसे उतार दें एवं शुद्धावस्था प्राप्त होने पर पुन: धारण करें।

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