संकलन : अनुजा शुक्ला तिथि : 27-10-2020
मानव शरीर मौसम की संधि या ऋतु परिवर्तन को जल्द स्वीकार नहीं कर पाता है। यह तथ्य सर्व विदित है। इस परिवर्तन के प्रभाव से नाना प्रकार की व्याधियों एवं बीमारियों का जन्म होता है। जिसे रोकने एवं सुरक्षा के विचार से प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों द्वारा यज्ञ, तप, साधना, व्रत, उपवास इत्यादि नियम संयम कराये जाने एवं रखने की परम्पराएं प्रचलन में लाई गईं थीं। व्रत या उपवास के दिवस सात्विक एवं सुपाच्य आहार ही ग्रहण किया जाता है एवं भारी एवं गरिष्ठ भोज्य द्रव्य त्याज्य होता है। जिसके परिणाम स्वरूप शरीर को स्वास्थ्यवर्धक और सात्विक आहार मिलता है।
जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और 12 घंटे तक निराहार (कुछ न खाने वाले लोग) रहने से शरीर में (ऑटोफागी नामक) सफाई प्रक्रिया प्रारम्भ होती है अर्थात व्रत से शरीर बेकार कोशिकाओं को हटाकर नई कोशिकाओं का निर्माण करता है। उपवास नई कोशिकाओं के निर्माण में लाभप्रद है। व्रत रखने से शरीर में ऐसे तत्व (हॉर्मोन) उत्पन्न होते हैं, जिनसे वसायुक्त कोशिकाएँ खंडित हो जाती हैं। जिससे अतिरिक्त वजन भी कम होता है। व्रत धारण करने से शरीर शुद्ध होता है तथा साथ ही व्रत करने से शरीर काफी हल्का फुल्का भी महसूस होता है। इसके अतिरिक्त पाचन तन्त्र भी उत्तम होता है।
जिसके प्रभाव से शरीर से वायु के माध्यम से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं। व्रत में प्याज, लहसुन, माँस, मदिरा, अतिगरिष्ठ भोजन के परहेज किया जाता है तथा इनके स्थान पर ऋतु-फल, सूखे मेवे, दूध, दही घी, शहद, फलाहार इत्यादि का सेवन करने से शरीर और मन सुदृढ़ होता है। जिसके परिणामस्वरूप व्रत कैंसर की संभावना को न्यूनतम करता है और शरीर पूर्णतया निरोगिता को प्राप्त करता है। व्रत करने से मानसिक बल में भी वृद्धि होती है एवं मस्तिष्क सही गति तथा दिशा में काम करता है।
वैज्ञानिक शोधों में यह तथ्य भी सामने आया है कि व्रत अथवा कुछ समय का उपवास शरीर के सभी तत्वों का सन्तुलन तेजी से नियंत्रित करता है, जिससे जैविक स्फूर्ति एवं बल को बढ़ाने में मदद मिलती है। व्रत/उपवास से शरीर में जठराग्नि स्थिर रहती है, जिसके प्रभाव से ज्वर,अधिक ताप इत्यादि व्याधियों में रोकथाम भी हो जाती है। उपवास करने से जीवन लंबा और रोग-व्याधि मुक्त होता है। मधुमेह एवं कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा व्रत से भी कम किया जा सकता है।
व्रत में पपीते खाए जाने से पपीते का पेप्सिन तत्व शरीर को प्राप्त होता है,जो कैंसर की आशंका कम तो करता ही है, साथ ही इसके सेवन से कैंसर की संभावना भी नगण्य हो जाती है। इसलिए सप्ताह में एक बार ही सही, उपवास अवश्य करना चाहिए।
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