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WHITE SIPPHIRE - श्वेत पुखराज धारण कर मुकुट (क्राउन) चक्र को सक्रिय किया जाता है।


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संकलन : नीतू पाण्डेय तिथि : 04-04-2022

सदियों से सनातन शास्त्रानुसार रत्न धारण की अनेकों पद्धतियां विध्यमान हैं, परंतु बिना सिद्धि अथवा प्राण प्रतिष्ठा के रत्न को धारण करने का विधान नहीं दिया गया है। सिद्धि अथवा प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त रत्न भी जाग्रत होकर विशिष्ट एवं चमत्कारी परिणाम देने लगते हैं। ज्योतिष रत्न विज्ञान में विभिन्न ग्रहों की रश्मियों व तरंगों को रत्नों के माध्यम से मानवीय शरीर तक स्थापित किए जाने का अस्थायी उपाय अथवा युक्ति है।

जीवन में भावी संकटों, कष्टो और दैनिक कई समस्याओं से त्वरित निजात दिलाने में रत्न काफी सहायक सिद्ध होते है, परन्तु ग्रहों की सही स्थिति को देखकर उचित समय से धारण रत्न ना किया जाएं, तो इनका नकारात्मक प्रभाव ही प्राप्त होता है। रत्नों की दुनिया निश्चय ही अचरज की है। क्लिस्ट से क्लिस्ट विपत्तियाँ को रत्न अपने प्रभाव से खत्म करने की क्षमता रखते हैं। तन-मन से पूर्ण विश्वास के साथ रत्नों को धारण करके उनके प्रभावो को कई गुना बढ़ाकर अधिकतम से अधिकतम शुभ लाभ लिया जा सकता है। रत्न धारण करके दुष्प्रभाव को कम करने का प्रयास होता है।

ज्योतिष विद्या में कुंडली के अनुसार ग्रहों-नक्षत्रों की दशा उचित ना होने से जीवन में कई प्रकार की समस्याए बाधाओ के रूप  मे आती ही है, जिनको ज्यामितिक व ज्योतिष सूत्रो के अनुसार ग्रहों से संबंधित अशुभता कम या समाप्त किए जाने हेतु ही रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। परन्तु कुछ रत्न अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं, जिनमें से श्वेत पुखराज भी एक है। शारीरिक कष्टों को दूर करने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बनाने में श्वेत पुखराज सहायक होता है।   

ग्रहो में शुक्र ग्रह भोग-विलास व ऐश्वर्य के देवता हैं और रत्नों में हीरा भी वैभव व सम्पन्नता प्रतीक है, जिनके आधार पर ही शुक्र के उपचार मे हीरे सदृश्य कोई रत्न या उपरत्न प्रयोग में लिया जाता है। ज्योतिष विद्या के अनुसार श्वेत पुखराज या श्वेत नीलम यूरेनस ग्रह का मूल रत्न है, किन्तु शुक्र को भी अत्यधिक बल प्रदान करता है। रत्नों में हीरे को सम्राट तुल्य माना गया है और राज-तुल्य का सनीध्य होना ही मनुष्य की कई ज्ञात-अज्ञात चिन्ताओ और समस्याओं से दूर रखता है। इसी आधार पर ही एक राजा कीमती होता है और हीरा भी सर्वाधिक कीमत का ही मिलता है, जिसे जन समान्य सहजता से प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का रत्न श्वेत पुखराज को भी माना गया है, जिसे धारण करके सुख-संपत्ति, संतान-संतति के साथ-साथ बौद्धिक स्तर व ज्ञान का विस्तार करके जीवन की संपन्नता अनुभूत की जाती है। रचनात्मक भविष्य, विशिष्ट जीवन शैली, वैवाहिक आनंद, अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य और आर्थिक समर्थता प्राप्ति के लिए श्वेत पुखराज धारण किया जाना शुभ माना गया है।श्वेत पुखराज भी हीरे के समान ही प्रयुक्त होता है। हीरे के सात्विक विकल्प प्राप्ति हेतु ही श्वेत पुखराज का विकल्प सुझाया जाता है। इसीलिए श्वेत पुखराज को धारण करके सुख-सुविधाओं से ओतप्रोत करते हुए जीवन को सुखमय बनाया जाता है।

रंगहीन नीलम को ही श्वेत पुखराज कहा जाता है। यह अत्यधिक पारदर्शी, रंगहीन पत्थर कोरन्डम खनिज परिवार का कीमती रत्न है। सफेद नीलम रत्न की कीमत अन्य रत्नों की तुलना में अधिक है। रंगहीन नीलम का मानक हीरे की कठोरता की तुलना में नौ है, लेकिन  सफेद पुखराज की तुलना में हीरा अधिक कीमती रत्न है।  

सफेद नीलम कोरन्डम (एल्यूमीनियम ऑक्साइड) परिवार का सदस्य है। नीलम में एल्युमिनियम ऑक्साइड (α-Al2O3) होता है जिसमें आयरन, टाइटेनियम, क्रोमियम, वैनेडियम या मैग्नीशियम जैसे घटकों की थोड़ी मात्रा होती है। शुद्ध कोरन्डम पूरी तरह से रंगहीन होता है। रंगीन नीलम की तुलना में प्राकृतिक सफेद नीलम दुर्लभ है, क्योंकि प्रकृति में इसके निर्माण के दौरान, अन्य सामग्री क्रिस्टल को रंग प्रदान करने वाली अशुद्धियों की थोड़ी मात्रा में योगदान करती हैं। नीलम नीले-हरे, हरे, बैंगनी, सफेद, बैंगनी, नारंगी, पीले, सुनहरे, आड़ू गुलाबी, गुलाबी, रंगहीन और काले सहित कई अन्य रंगों में उपलब्ध है। माणिक्य कोरन्डम की लाल या गुलाबी लाल रंग की किस्म है।

नीलम के महत्वपूर्ण भंडार ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, कैमरून, शेडोंग, कोलंबिया, इथियोपिया, कश्मीर, केन्या, मेडागास्कर, मलावी, मोज़ाम्बिक, बर्मा, नाइजीरिया, श्रीलंका, तंजानिया, थाईलैंड, मोंटाना और वियतनाम में पाए जाते हैं। बिना दरार के टिकाऊ उन्नत नीलम कंबोडिया, सीलोन और कश्मीर से प्राप्त किए जाते हैं। पूर्णरूपेण रंगहीन श्वेत पुखराज सुन्दर और आकर्षण से युक्त रत्न है, जो धारक को उत्तम जीवन जीने में मदद करता है। धारक की सुरक्षा, सुंदरता, आकर्षण, इच्छाओं की पूर्ति और वित्तीय समृद्धि को भी बढ़ाता है। यात्रा व्यवसायी, कला, संस्कृति, संगीत या अन्य रचनात्मक गतिविधियों के क्षेत्र में कार्यरत कर्मी के लिए श्वेत पुखराज वरदानी रत्न होता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मानवीय पिण्ड में सात चक्रों को सात ऊर्जा केंद्र माना गया है, जिनमें से एक मुकुट (क्राउन) चक्र होता है, जो व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता और क्रिया-कलापो नियंत्रित करता है। जब मानवीय पिण्ड में यह चक्र अवरुद्ध रहता है, तो मानव जीवन में सृजनात्मक क्षमता कम होती चली जाती है, जिससे दैनिक जीवन में कठिनाइयों का अम्बार लगने लगता है। श्वेत पुखराज धारण करने से मुकुट (क्राउन) चक्र को सक्रियता प्राप्त होती है।

ज्योतिष विज्ञान अनुसार श्वेत पुखराज मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशियों के लिए शुभ और सिंह, मकर और कुंभ राशियों हेतु अशुभ माना जाता है। मिथुन राशि के लिए  श्वेत पुखराज का जन्म रत्न है, जो सदैव ही फलित होता है और वृष और तुला राशि हेतु श्वेत पुखराज भाग्य रत्न है,जिसके धारण से अवरुद्ध सभी कार्य गति पाते हैं।

प्राकृतिक पुखराज के परीक्षण की विधि

श्वेत पुखराज की धारण विधि - शुक्लपक्ष के गुरुवार/ शुक्रवार को रत्न जड़ित स्वर्ण मुद्रिका को 24 से 48 घंटे पूर्व कच्ची लस्सी (कच्चे दूध में आधा हिस्सा गंगाजल मिला) भरे किसी पात्र में डुबोकर रख दे, किन्तु स्मरण में रहे कि दूध कच्चा ही रहे, उबाला हुआ बिलकुल भी ना हो। अगले दिवस प्रातःकाल स्नानादि के पश्चयात रत्न से संबंधित ग्रह के मूल मंत्र, बीज मंत्र वेद मंत्र अथवा ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का जाप 108 बार पूर्ण कर मुद्रिका को पात्र से निकाल पिता, गुरु, पथप्रदर्शक अथवा किसी  ब्राह्मण द्वारा दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली में धारण किया जाता है। मुद्रिका धारण करने के बाद ब्राह्मण को कुछ न कुछ दान अवश्य दे।

सफेद पुखराज से लाभ एवं हानि

  1. शारीरिक कष्टों को दूर करने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बनाने में श्वेत पुखराज सहायक होता है।   
  2. श्वेत पुखराज बुद्धि और आत्मा की शक्ति बढ़ा कर विचार की स्पष्टता और मन की शक्तियों को जाग्रत करने हेतु एक अत्यंत शुद्ध ऊर्जा लाता है।
  3. आत्मिक और मानसिक चेतना को संतुलित करने के लिए शुद्ध ऊर्जा श्वेत पुखराज रखता है। श्वेत पुखराज जीवन में आध्यात्मिक मार्गदर्शन को उच्च आत्मस्तर की चेतना के संचार को मजबूत करता है,
  4. श्वेत पुखराज आध्यात्मिक पथ की बाधाओं को नष्ट हेतु आवश्यक संकल्प लाता है।
  5. आत्म-पराजय की वृत्ती, व्यवहारों को खंडित करने सहायता करता है, जिससे आध्यात्मिक प्रगति बढ़ती है।
  6. श्वेत पुखराज निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, नैतिकता और लालच से मुक्ति के गुणों में वृद्धि लाता है।
  7. किसी की प्रतिभा और क्षमता को प्रकट करने में सहायक की भूमिका अदा करता है।
  8. श्वेत पुखराज कठिन विकल्पों या परिस्थितियों का सामना करते समय ईमानदारी के साथ जीने और आदर्शों को स्थायी रखने के लिए प्रेरित करता है।
  9. श्वेत पुखराज धारक की तंत्रिका तंत्र को सुव्यवस्थित कर रक्त भंडार की पूरकता निश्चित करता है।
  10. श्वेत पुखराज रत्न धारण करने से अनेक प्रकार के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं दैविक विपत्तियाँ शान्त होती हैं।
  11. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले वैवाहिक जातकों के लिए भी श्वेत पुखराज लाभकारी है।
  12. गर्भवती महिलाओं को श्वेत पुखराज सरलता से प्रसव करने मे समर्थ बनाता है।
  13. श्वेत पुखराज धारक स्वस्थ्य जीवन, आनन्द और वैभव के साथ उन्नत होता है।
  14. श्वेत पुखराज धारक की समृद्धि (धन) बढ्ने से जीवन में शांति स्वतः ही प्रवेश कर जाती है।
  15. जीवन में समस्याओ के अम्बार को श्वेत पुखराज धारण करके न्यूनतम किया जा सकता है।
  16. श्वेत पुखराज धारण कर वैवाहिक जीवन की बाधाओ को समाप्त दांपत्तिक सौहार्द स्थापित रखा जा सकता है।
  17. विवाह की पैंतालीसवीं वर्षगांठ के साथ श्वेत पुखराज का प्रभाव आदर्शों को स्थायी रखने के लिए प्रेरित करता है।
  18. शृंगार,कला, सृजन इत्यादि रचनात्मकता क्षेत्र मे कार्यरत लोगो के लिए श्वेत पुखराज धारण करना वरदान ही सिद्ध होता है।
  19. कलाकार, अभिनेता और प्रशासक को श्वेत पुखराज विशेष रूप मे फलित होता है।
  20. मान्यता है कि पुखराज रत्न धारण करने से व्यापार में वृद्धि होती है।
  21. श्वेत पुखराज धारण करने से संतान-संतति की प्राप्ति के योग भी बनते हैं।
  22. जिनको सन्तान एवं पति सुख का आभाव है पुखराज रत्न धारण से सुख प्राप्त होता है।
  23. श्वेत पुखराज धारण करने से मनुष्य की भाग्य के बंद कपाट भी खुल जाते हैं।
  24. जीवन की अनेकों कष्टो और विपदाओ के निदान हेतु युक्ति स्वरूप श्वेत पुखराज सुझाए जाते हैं।
  25. श्वेत पुखराज धारक द्वारा दो लोगों के मध्य छल कराकर संबंधो को संहहस्पद करा सकता है।
  26. श्वेत पुखराज नकारात्मक विचारों को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कराता है।
  27. श्वेत पुखराज संचार और कामुकता में सुधार करता है।
  28. जिन कन्याओं का विवाह न हो पा रहा हो अथवा विवाह में विघ्न आ रहा हो उन्हे श्वेत पुखराज रत्न धारण करने से विवाह शीघ्र संपन्न हो जाता है।
  29. श्वेत पुखराज धारण से शिक्षा संबंधित क्षेत्रों में भी उन्नति मिलने की संभावना रहती है।
  30. रत्नों में श्वेत पुखराज कभी बूढ़ा और पुराना नहीं होता है।
  31. श्वेत पुखराज पर रगड़ (खरोच) का विशेष असर नहीं होता है, इन्हें बदलने की आवश्यकता नहीं होती है। श्वेत पुखराज सदाबहारी रत्न है।
  32. श्वेत पुखराज मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि के लिए शुभ है।
  33. वृष और तुला राशि हेतु श्वेत पुखराज भाग्य रत्न रत्न है,जिसके धारण से अवरुद्ध सभी कार्य गति पाते हैं।
  34. मिथुन राशि हेतु श्वेत पुखराज का जन्म रत्न है, जो सदैव ही फलित होता है।
  35. श्वेत पुखराज मुकुट (क्राउन) चक्र को सक्रिय करता है, जिससे जीवन में सृजनशीलता आती है।
  36. यात्रा व्यवसायी, कला, संस्कृति, संगीत या अन्य रचनात्मक गतिविधियों के क्षेत्र के कार्मिको का वरदानी रत्न श्वेत पुखराज है।
  37. रंगहीन नीलम को ही श्वेत पुखराज कहा जाता है।
  38. श्वेत पुखराज धारण से सुख-संपत्ति, संतान-संतति के साथ-साथ बौद्धिक स्तर व ज्ञान का विस्तार होता है।
  39. श्वेत पुखराज गुरु और शुक्र दोनों के उपचार में एक साथ ही लाभकारी होता है।

अन्य तथ्य -

  1. पुरुषो को दाहिने हाथ में एवं स्त्रीयों को बायें हाथ में रत्न धारण करना चाहिए।
  2. यदि व्यक्ति विशेष बायें हाथ से कामकाज करता हो, तो वह पुरुष दाहिने हाथ में रत्न धारण कर सकता है। पुरुषो की भांति यदि स्त्रीयां कामकाज करने की प्रवृति रखती हो, तो वह भी बायें हाथ में में रत्न धारण कर सकती है।
  3. मुद्रिका निर्मित कराते समय रत्न का निचला हिस्सा उंगली से स्पर्श के लिए खुला रखना भी स्मारित रखे।

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