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HEMATITE - लौह-पुष्प मूला चक्र को स्थिर कर शारीरिक चेतना प्रदान करता है।


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संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 08-04-2022

लौह-पुष्प अत्यंत सूक्ष्म सघन कणो से ससक्त लौह ऑक्साइड से बना, चमकदार और सुंदरता, घनी भारी संरचना से युक्त टिकाऊ धातु है, जिसमे लौह तत्व की मात्रा अधिक होने के कारण रक्त के समान लाल रंग का दिखता है। इसका सीधा संबंध पृथ्वी से माना जाता है। लौह पुष्प का प्राकृतिक रूप से रंग काला, भूरा और लाल-भूरा रंग, स्लेटी और सुनहरे रंग में प्राप्त होता है। प्राचीन यूनानियों ने इसे (हाइमा) लोहे का गुलाब कहा था, जिसका अर्थ है रक्त। हजारों वर्षों से लौह-पुष्प का उपयोग सुरक्षा के लिए किया जाता रहा है, जो आज भी प्रचलन में है। 15वीं शताब्दी में इसे प्राचीन यूनानी हैमाटाइट्स लिथोस (रक्त-लाल पत्थर) कहा जाता था और अंग्रेजी में फ्रांसीसी हेमेटाइट पियरे, लैटिन में लैपिस हेमाटाइट्स-सी, ग्रीक भाषा में हेमेटाइट पुकारा जाता था। 
लोहे की संरचनाओं के बड़े भंडार में लोहे के अयस्क का खनन कर बंधी हुई लौह-पुष्प प्राप्त होती हैं, जहां विद्युत प्रवाह का महत्वपूर्ण गुण विद्यमान है। किडनी अयस्क, मार्टाइट, लौह गुलाब और स्पेक्युलर आदि नाम जंग (लाल) रेखाए निर्धारित करती है। लौह-पुष्प लोहे की तुलना में बहुत अधिक शुद्ध भंगुर व ठोस होता है। पृथ्वी की सतह पर प्रचुर मात्रा उपलब्ध खनिजों में से लोहे का सबसे महत्वपूर्ण अयस्क लौह-पुष्प है, जिसकी कठोरता 5-6.5 और रासायनिक संरचना Fe2O3 है, जिसमें बिना दरार लौह ऑक्साइड होती है।
वैज्ञानिक शोध से ज्ञात हुआ कि स्थलीय लौह-पुष्प आमतौर पर जलीय वातावरण में या जलीय परिवर्तन द्वारा निर्मित खनिज है। ऑक्सी-हाइड्रॉक्साइड प्रणाली का जटिल ठोस हिस्सा लौह-पुष्प है, जिसमें जल की रसायनिक सामग्री, हाइड्रॉक्सिल समूह और रिक्ति प्रतिस्थापन खनिज के चुंबकीय और क्रिस्टल रासायनिक गुणों को प्रभावित करते हैं। तलछटी और शरीर में जमा पानी अकार्बनिक या रसायनिक या जैविक वर्षा से लौह तत्व बनता है।
लगभग 2.4 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी के घुले हुए लोहे से महासागर समृद्ध थे, लेकिन पानी में बहुत कम मुक्त ऑक्सीजन मौजूद थी। जल्द ही महासागरों के कई हिस्सों में प्रकाश संश्लेषण से समुद्र तल पर व्यापक लौह तत्व जमा होता गया, फिर साइनो-बैक्टीरिया का एक समूह ने सूर्य के प्रकाश के साथ कार्बन डाइ-ऑक्साइड, जल में उपलब्ध कार्बोहाइड्रेट, ऑक्सीजन और अन्य ऊर्जा स्रोत के साथ प्रतिक्रिया कर लोहे के साथ मिलकर लौह तत्वो के नव स्वरूपो का निर्माण किया, कालान्तर मे चट्टान की इकाइयों में परिवर्तित हुई, जिन्हें आज बंधी हुई लोहे की संरचनाओं के रूप में जानते हैं।
संभवतः प्रथम बार खनिज चूर्ण का उपभोग 164,000 वर्ष पूर्व सामाजिक उद्देश्यों के लिए मानव द्वारा किया गया था। 80,000 वर्ष पूर्व कब्रों में लौह-पुष्प अवशेष भी पाए गए हैं। 5000 ईसा पूर्व लाल चाक की खदानें रिडनो (पोलैंड) के पास व लोवास (हंगरी) में मिली हैं।

मंगल ग्रह पर लौह पुष्प

अन्तरिक्ष अनुसंधानो से ज्ञात हुआ है कि मंगल की सतह पर चट्टानों और मिट्टी में उपलब्ध खनिज में लौह-पुष्प प्रचुर मात्रा है, जिसके कारण रात्री में चट्टानों और सतह सामग्री में प्रचुर लौह-पुष्प मंगल ग्रह को लाल भूरा रंग देती है। जिसके आधार पर ही आकाश में लाल दिखाने वाले मंगल को "लाल ग्रह" उपनाम मिला है।
मूल अमेरिकियों ने लौह-पुष्प को युद्ध के रंग के रूप में प्रयोग किया और प्रागैतिहासिक मानव गुफा की दीवारों पर चित्र बनाने हेतु एवं मिस्रियों द्वारा फिरौन की कब्रों में सजावट हेतु लौह-पुष्प का उपयोग किया जाता था। मानव इतिहास में आदिम लोगों ने खनिज लाल चाक (लौह-पुष्प) से सर्वप्रथम लेखन में विकल्प प्रयोग किया था और सैनिक (योद्धा) इस पत्थर को अत्यधिक रक्तस्राव से सुरक्षा के लिए युद्ध में ले जाते थे और माताएँ बच्चे के जन्म के समय उसे अपने पास रखती थीं। वर्ष 1923 में हेमेटाइट का इस्तेमाल कभी शोक के गहने के रूप में किया जाता था।
लोहे की खदानों के अपशिष्ट अवशेषों में लौह-पुष्प पाया जाता है। लौह-पुष्प काबोचनों, मोतियों, छोटी मूर्तियों, टम्बल पत्थरों और अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। इन उत्पादों के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री एक ठोस, समान बनावट के साथ चांदी के रंग का लौह-पुष्प है। वजनदार लौह तत्व का चमकीला चांदी रंग लौह-पुष्प को लोकप्रिय रत्न बनाता है।
यह समान्यतः दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, स्विट्जरलैंड के पहाड़ों और कनाडा में सुपीरियर झील के तटों पर पाया जाता है। ज़्यादातर स्लेटी लौह-पुष्प उत्तरी अमेरिका अथवा येलोस्टोन नेशनल पार्क के खदानों से प्राप्त होता है, जहां समान्यतः ज्वालामुखी गतिविधि के परिणाम स्वरूप अभी भी खनिज गर्म झरने हैं। यूरोपीय के देशों में लौह-पुष्प होते हैं, किन्तु अधिकतर लौह-पुष्प जर्मनी और इंग्लैंड से आता है। विश्व में चीन, ऑस्ट्रेलिया, भारत, रूस, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, वेनेजुएला और संयुक्त राज्य अमेरिका के सहस्त्रों स्थलो पर खनन कर अधिकांश अयस्क उत्पादित किया जाता है।
मिट्टी की अपक्षय प्रक्रियाओं द्वारा लौह-पुष्प के सूक्ष्म सघन कण संगठित होकर सुनहरे रंग के खनिज लौह का रूप लेते हैं और प्राचीन उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रो में अन्य लौह-पुष्प लोहे के आक्साइड या ऑक्सी-हाइड्रॉक्साइड के साथ अत्यधिक अपक्षय से रासायनिक संरचना से लाल लौह रूप लेते है। लौह-पुष्प से गहने, कंगन और हार इत्यादि बनाकर भी लाभ होता है। कुछ लोग दैनिक गहनों के रूप में पहनते हैं, कुछ लोग व्यायाम करते समय अपनी जेब में भी रखते हैं।
लौह-पुष्प मूल चक्र से जुड़ाव कराकर दैनिक जीवन में स्थिरता प्रदान करता है। लौह-पुष्प का लौह तत्व रक्त संचार प्रणाली, परिसंचरण में सुधार, उच्च रक्तचाप को कम करने, थक्कों को कम करने और भारी मासिक धर्म को धीमा करने के लिए उपयोग किया जाता है। लौह-पुष्प आध्यात्मिक पक्ष को सुदृन करने की क्षमता में सुधार लाता है, जिससे अधिक साहस और इच्छा शक्ति मिलती है। जमीन से जोड़ते हुए लौह-पुष्प आत्मविश्वास प्रदान कर सकता है। लौह-पुष्प डरपोक जीवन शैली से छुटकारा दिलाते हुए लोगों को खुश रखने की प्रवर्ती में मदद करता है।
त्वचा के सीधे संपर्क में रखकर लौह-पुष्प का अधिकाधिक लाभ लिया जा सकता है।  लौह-पुष्प बिना किसी विकर्षण के शक्ति प्रदान करता है। लौह-पुष्प को आस-पास रखने हेतु मुद्रिका मे धारण करना अच्छा माध्यम है। गृह के वास्तु दोष के संतुलतन हेतु उपयोग निमित्त लौह-पुष्प एक महान रत्न है। अध्ययन कक्ष या कार्य स्थल पर लौह-पुष्प रखने से नकारात्मक ऊर्जाओं को अवशोषित करते हुए आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर काम पर ध्यान केंद्रित रखने में असाधारण भूमिका अदा करता है।
निद्रा में रहते हुए व्यक्ति को भी लौह-पुष्प ऊर्जावान बनाने का काम करता है और व्यक्ति जागृत अवस्था में हो अथवा निद्रा में यह सदैव ही ऊर्जावान रखता है। इसीलिए नींद बाधित ना हो, इसके लिए लौह-पुष्प को शयन कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व आपके पास दूर करना अच्छा होता है। यथासंभव लौह-पुष्प को पूरी तरह से शयनकक्ष से बाहर रखना ही उचित होता है।
लौह-पुष्प पर गंदगी का जमना, उसे नकारात्मक ऊर्जा से भरता है। नियमित रूप से लौह-पुष्प को साफ करते रहना आवश्यकता है अन्यथा यह सकारात्मक प्रभाव या काम करना बंद कर देगा। लौह-पुष्प तभी महंगा होता है, जब वह क्रिस्टल के भीतर असामान्य गठन या जटिल तरीको जैसा कुछ अनूठापन होगा। भूगर्भिक लौह-पुष्प की तुलना में लौह अयस्क का आर्थिक महत्व बहुत कम है।

लौह-पुष्प की प्रामाणिकता परीक्षण

  1. प्रथम बार स्पर्श करते शीतल लगता है और देर तक पकड़ें रहने पर शरीर की ऊष्मा पाकर गर्म हो जाएगा।
  2. सैंड-पेपर के सतह पर रगड़ करने से पत्थर के अपघर्षक से लाल पाउडर दिखाता है।
  3. बिना शीशे लगे चीनी मिट्टी के बरतन के सतह पर वार करते ही लाल-भूरे रंग की लकीर या धब्बा पड़ता है।
  4. लौह-पुष्प एक भारी पत्थर है, इसके भार से परीक्षण हो जाता है।

विश्व के कई तलछटी, लावा (वाष्प से जमा) और आग्नेय चट्टानी स्थानों पर लोहे के भंडार में लौह-पुष्प और मैग्नेटाइट के साथ-साथ अन्य लौह खनिज भी होते हैं। दोनों खनिजों को पुनर्प्राप्त करने के लिए अयस्क का खनन, कुचल और संसाधित किया जाता है। यह एक सामान्य कायांतरित चट्टान बनाने वाला खनिज है।
स्वाभाविक रूप से लौह-पुष्प चुंबकीय नहीं है और ना ही सामान्य चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं। परंतु मानव निर्मित चुंबकीय लौह-पुष्प से गहने बनाए जाते हैं किन्तु यह सभी पत्थर प्राकृतिक नहीं होते हैं। लौह-पुष्प बहुत क्षेत्र मे कमजोर चुंबकीय प्रतिक्रिया दिखाता है, किन्तु साधारण चुंबक के विपरीत आकर्षित नहीं होता है। शुद्ध लौह तत्वो में वजन के सापेक्ष लगभग 70% लोहा और 30% ऑक्सीजन होते हैं।

लौह-पुष्प से लाभ व हानियाँ

  1. लौह-पुष्प का लौह तत्व रक्त संचार प्रणाली, परिसंचरण में सुधार, उच्च रक्तचाप को कम करने, थक्कों को कम करने और भारी मासिक धर्म को धीमा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  2. लौह-पुष्प से आध्यात्मिक पक्ष को सुदृन करने की क्षमता सुधारी जा सकती है, जिससे अधिक साहस और इच्छाशक्ति मिलती है।
  3. लौह-पुष्प मूल चक्र से जुड़ाव कराकर दैनिक जीवन में स्थिरता प्रदान करता है।
  4. लौह-पुष्प के टुकड़े "हीलिंग स्टोन्स" के रूप में प्रयोग करने से कुछ चिकित्सीय समस्याओं से राहत मिलेगी।
  5. लौह-पुष्प के प्रयोग का कोई सकारात्मक प्रभाव का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
  6. लौह-पुष्प का उपयोग बहुत ही सघन एक्स-रे को रोकने में कारगर है।
  7. लौह-पुष्प बहुत कम क्षेत्र मे चुंबकीय प्रतिक्रिया दिखाता है, किन्तु साधारण चुंबक के विपरीत आकर्षित नहीं होता है।
  8. शरीर में एकत्रित जल से अकार्बनिक या जैविक रसायन से लौह तत्व बनता है।
  9. लौह पुष्प का प्राकृतिक रूप-रंग काला, भूरा और लाल-भूरा रंग, स्लेटी और सुनहरे रंग है।
  10. लौह-पुष्प लोहे की तुलना में बहुत अधिक शुद्ध भंगुर व ठोस होता है।
  11. लौह-पुष्प आमतौर पर जलीय वातावरण में या जलीय परिवर्तन द्वारा निर्मित खनिज है।
  12. वजनदार लौह तत्व का चमकीला चांदी रंग लौह-पुष्प को लोकप्रिय रत्न बनाता है।
  13. कुछ लोग व्यायाम करते समय लौह-पुष्प अपनी जेब में भी रखते हैं।
  14. मिट्टी की अपक्षय प्रक्रियाओं द्वारा लौह-पुष्प के सूक्ष्म सघन कण संगठित होकर सुनहरे रंग के खनिज लौह का रूप लेते हैं
  15. प्राचीन उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रो में अन्य लौह-पुष्प लोहे के आक्साइड या ऑक्सी-हाइड्रॉक्साइड के साथ अत्यधिक अपक्षय से रासायनिक संरचना से लाल लौह रूप लेते है।
  16. जमीन से जोड़ते हुए लौह-पुष्प आत्मविश्वास प्रदान कर सकता है।
  17. लौह-पुष्प डरपोक जीवन शैली से छुटकारा दिलाते हुए लोगों को खुश रखने की प्रवर्ती में मदद करता है।
  18. त्वचा के सीधे संपर्क में रखकर लौह-पुष्प का अधिकाधिक लाभ लिया जा सकता है।
  19. लौह-पुष्प बिना किसी विकर्षण के शक्ति प्रदान करता है।
  20. लौह-पुष्प को आस-पास रखने हेतु मुद्रिका धारण करना एक अच्छा माध्यम है।
  21. गृह के वास्तु दोष के संतुलतन हेतु उपयोग निमित्त लौह-पुष्प एक महान रत्न है।
  22. अध्ययन कक्ष या कार्य स्थल पर रखने से नकारात्मक ऊर्जाओं को अवशोषित करता है।
  23. आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर काम पर ध्यान केंद्रित रखने में असाधारण भूमिका अदा करता है।
  24. निद्रा में रहते हुए व्यक्ति को भी लौह-पुष्प ऊर्जावान बनाने का काम करता है
  25. व्यक्ति जागृत अवस्था में हो अथवा निद्रा में यह सदैव ही ऊर्जावान रखता है।
  26. नींद बाधित ना हो, इसके लिए लौह-पुष्प को शयन कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व आपके पास दूर करना अच्छा होता है
  27. लौह-पुष्प को पूरी तरह से शयनकक्ष से बाहर रखना ही उचित होता है।
  28. लौह-पुष्प पर गंदगी का जमना, उसे नकारात्मक ऊर्जा से भरता है
  29. नियमित रूप से लौह-पुष्प को साफ करते रहना आवश्यकता है अन्यथा यह सकारात्मक प्रभाव या काम करना बंद कर देगा।
  30. लौह-पुष्प तभी महंगा होता है, जब वह क्रिस्टल के भीतर असामान्य गठन या जटिल तरीको जैसा कुछ अनूठापन होगा।
  31. स्वाभाविक रूप से लौह-पुष्प चुंबकीय नहीं है और ना ही सामान्य चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं।
  32. लौह-पुष्प शरीर के मूल चक्र को स्थिर कर शारीरिक चेतना प्रदान करता है।

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