संकलन : वीनस दीक्षित तिथि : 18-01-2021
सामान्यतः सांसारिक गतिविधियों में सभी लोग स्वस्थ, खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं, परन्तु दैनिक दिनचर्या में ऐसा हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता है। अर्थ-प्रधान और अति-व्यस्त अत्याधुनिक जीवन शैली के कारण आज का मानव न चाहते हुए भी तनाव, दबाव, अविश्राम, अनिद्रा और क्रोध आदि में रहने लगा है, जिसे योग द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। योग का उल्लेख सनातनी परम्पराओं में वैदिक काल से ही मिलता है और सनातनी मूर्ति कलाओं मे सामान्य योग या समाधि मुद्रा में देव-देवियों को प्रदर्शित किया गया है।
योग मानसिक, शारीरिक और आत्मचेतना को जाग्रत रखने की व्यायाम क्रिया है, जिसे बार बार सही तरीकों से करने से शरीर में सकारात्मक बदलाव होते है और माँसपेशियाँ लचीली व मजबूत होती है। इससे धैर्य, क्षमता व मन की स्थिरता बढ़ती जाती है, जो किसी भी व्यक्ति को खुशहाल, सामर्थ्यवान, और शक्तिशाली बन सकता है। योग हमारे तन के साथ मन को भी मजबूत करने में हमारी सहायता करता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यह सिद्ध पाया जा चुका है कि योग के अभ्यास से मनुष्य को शक्ति, साहस, संयम और शांति मिलती है और मनुष्य जीवन के कई क्षेत्रों और विधाओं में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकता है। विश्व पटल पर वर्तमान में योग का प्रचार-प्रसार तेजी के साथ हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष में एक दिन योग दिवस भी मनाया जाने लगा है।
योग साधना और योग कला स्वस्थ और शांतिपूर्ण तरीके से जीने का प्राचीन ज्ञान है। जिसे संतानती परम्पराओं, धार्मिक संस्कारों में उपयोग किया जाता है। यदि हम नियमित रूप से योग का अभ्यास करेंगे तो जीवन सरल और सरस हो जायेगा। व्यावहारिक रूप से महिलाओं में पारिवारिक और सामाजिक क्रियाकलापों के कारण तनाव, दबाव, अविश्राम, अनिद्रा और क्रोध बढ़ता है। महिलाओं को योगासन का ज्ञान स्वयं, परिवार और समाज के लिए हितकर होता है। यह महिलाओं को आंतरिक व बाहरी सुख प्रदान करने में सहायक होगा। महिलाओ के लिए निम्न आवश्यक योगासन जो शरीर को स्फूर्ति और लाभकारी हो सकते है।
प्राणायाम
प्राणायाम सुखासन या पदमासन में बैठकर लंबी सांस लेना और कुछ समय के लिए रोकने के बाद ओम शब्द का उच्चारण करते हुए सांस को छोड़ना है। इस आसन में श्वास, मन, आत्मा और शरीर का एकाकार होता है, जो व्यक्ति को नयी ऊर्जा प्रदान करती है। कई प्रकार के प्राणायाम हैं, परंतु यह सबसे सरल व्यायाम है। इसे प्रतिदिन दस से पंद्रह बार करने से चमत्कारिक परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।
आसन से लाभ - प्राणायाम उन आसनों में से एक है, जो मानसिक शांति और तनाव रहित करता है। इसके निरंतर अभ्यास से ज्ञान चक्र को जागृत किया जा सकता हैं। प्राणायाम का अभ्यास करने से सोचने व समझने की क्षमता में वृद्धि होती है।
कपालभाति
कपालभाति भी प्राणायाम का ही एक रूप है। कपालभाति सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर हथेलियों को घुटनों पर रखकर किया जाता है। इसमें हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर शरीर को एकदम सीधा रखा जाता है और पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से संतुलित गति से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए छाती को फुलाकर झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खिंचते है। जैसे ही पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है। कपालभाति के समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि श्वास द्वारा ली गई हवा एक ही झटके में बाहर आ जाए।
आसन से लाभ – इस आसन के अभ्यासकर्ता का बाल झड़ना कम हो जाता है और आँतें और पाचन सुदृढ हो जाती हैं। इस आसन से सारे नकारात्मक तत्व और विचार धीरे-धीरे शरीर से बाहर होते जाते है। महिलाओं में माहवारी की समस्या में राहत हो जाती है और गर्भाशय के लिए बहुत असरदार सिद्ध होती है।
उत्तानासन
उत्तान संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ खिंचाव/ज़ोर देना। उत्तानासन हठ योग की शैली का आसन है। उत्तानासन के अभ्यास के समय सीधे खड़े होकर सांस लें और नीचे की ओर झुके फिर हाथों को अपने पिंडलियों (पैर का पिछला हिस्सा ऐड़ी के 4 इंच ऊपर) तक ले जाकर छाती को घुटनों से सटाने की कोशिश करें और कुछ समय के लिए स्थिति में बने रहे। इस दौरान आपको संतुलित रूप से सांस लेते रहना है। इस आसन को आप 8 से 10 बार दोहराएं। इस आसन मे सर हृदय के नीचे होता है, जिसके प्रभाव से रक्त का प्रवाह पैरों से ज्यादा मस्तक की तरफ होने लगता है। इस आसन से मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन की वृद्धि होने लगती है। इस आसन को करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड से के बीच ही होनी चाहिए।
आसन से लाभ – उत्तानासन अभ्यास से पेट और कमर के आस-पास की बढ़ी हुई चर्बी कम हो जाती है और शरीर सही आकार लेना प्रारम्भ कर देता है। उत्तानासन के अभ्यास से पुष्ट (हिप्स) कंधे और पंजों पर खिंचाव आता है, जिससे घुटने, जांघें, कंधे और मस्तिष्क अच्छा होता हैं और हाथों की माँसपेशियों को मजबूत बनाती है।
सर्वांगासन
सर्वांगासन मे पीठ के बल सीधा लेटकर धीरे – धीरे पैरों को 90 डिग्री पर ऊपर उठाने के बाद धीरे से सिर को अपने पैरों की तरफ लाने का प्रयास करते हुए ठोड़ी सीने से सटा कर 30 सेकंड तक इस मुद्रा को बनाए रखना और सांस लेते व छोड़ते रहना है और फिर धीरे – धीरे पुरानी स्थिति में वापस आ जाएँ। सर्वांगासन का अभ्यास दिन में 3-5 बार कर सकते हैं।
आसन से लाभ - सर्वांगासन को चमकदार त्वचा के लिए सबसे उपयुक्त आसन माना जाता है। आसन के अभ्यास से त्वचा की सेहत सुधरती है बल्कि इससे चेहरे की कोशिकाओं में रक्त संचार भी बढ़ता है।
शीर्षासन
इस आसन को करने के लिए आपको पहले अपने पीठ के बल लेट जाना है या आप बैठकर अपने सिर को ज़मीन पर रखकर अपने हाथों के सहारे सिर के बल आते हुए अपने पैर को ऊपर सीध में ले जाएं। ध्यान रहे सिर को सीधा रखना है। अपनी क्षमता के अनुसार इस आसन में बने रहें। सुबह शाम आप इसका अभ्यास करें।
आसन से लाभ - झड़ते बालों की समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसके साथ ही यह आपके प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है। इसके साथ ही रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
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