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SMOKY STONE - भूवैज्ञानिक प्रभावो से युक्त धूमैला स्फटिक धारक में मनः शक्ति प्रदान कर शान्ति एवं ठहराव उत्‍पन्‍न कराता है।


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संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 29-12-2022

सम्‍पूर्ण विश्‍व में पाया जाने वाला धूमैला स्फटिक अभी भी खनन संचालन में द्वितीयक या तृतीयक आग्नेय पाषाणीय खनिज संग्रह माना जाता है, किन्‍तु विश्‍व के अधिकांश आभूषणों में उपयोगी धूमैला स्फटिक के लिए ब्राज़ील वर्तमान स्रोत है। धूमैला स्फटिक कई बार नीलम की खानों के साथ-साथ सभी स्पष्ट रत्‍न के साथ भी पाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, घाना, हंगरी, भारत, मेडागास्कर, मोज़ाम्बिक, मोरियन जर्मन, डेनिश, स्पेनिशश्, स्लोवाकिया, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम, पोलिश और संयुक्त राज्य अमेरिका आदि धूमैला स्फटिक के उत्पादक राष्ट्र है, परन्‍तु केयर्न्गॉर्म स्कॉटलैंड के केयर्न्गोर्म पर्वत में पाया जाने वाला बहुतायत एक प्रकार का धुँआदार रत्‍न ही धूमैला स्फटिक है। वाणिज्यिक मात्रा में धूमैला स्फटिक का एक और महत्वपूर्ण उत्पादक मेडागास्कर है।

सामान्‍यत: खनिजों द्वारा एक हल्‍के भूरे रंग का पारभासी किस्म ही धूमैला स्फटिक है, जो स्पष्टता में लगभग पूर्ण पारदर्शिता से लेकर लगभग-अपारदर्शी भूरे-धूसर या काले रत्‍न तक होता है। कुछ रत्‍न भूरे, श्‍लेटी या काले प्रकार के ही होते हैं लेकिन धुएँ के रंग का पीला-भूरा रंग भी हो सकता है। शत प्रतिशत मूल, प्राकृतिक और प्रमाणिक धूमैला स्फटिक रत्‍नो के सतह पर या रत्‍नो के भीतर दरार के सुक्ष्‍म चिन्‍ह व छिद्र दिखाई देते हैं, जबकि हल्के रंग के रत्न सदैव प्राकृतिक होते हैं, जो आग्नेय और मेटामॉर्फिक चट्टानों को काटकर मिलता है। रत्न के रूप में नारंगी-भूरे से लेकर लाल-भूरे रंग के पत्थरों को बहुत से लोग पसंद करते हैं।  

जब प्राकृतिक ज्वालामुखी के गर्म विकिरणीत विस्फोटक तरल तत्‍व आसपास की चट्टान से उत्सर्जित होकर ठंडे होने की प्रक्रिया के मध्‍य सिलिका एसिड के तरल व गैसीय बुलबुले ठोस यौगिक आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो जाते हैं तब धूमैला स्फटिक बनता है। यह आग्नेय चट्टानो में बुलबुला होने के कारण खोखला ठोस हो जाते हैं और इन आग्नेय चट्टानों से कालान्‍तर में स्फटिक प्राप्‍त करने हेतु विभाजित किया जाता है। कम तापमान पर बनने वाले धूमैला स्फटिक कभी-कभी तलछटी और मेटामॉर्फिक चट्टानों के टूटन में भी पाया जाता है, जिसका कोई ज्ञात आग्नेय संघ नहीं होता है। विश्‍व के कई स्‍थलो में रेडियोधर्मी खनिज जमा बहुत गहरे धूमैला स्फटिक से जुड़े हैं। इन स्थानों पर बहुत गहरा स्फटिक शायद रेडियोधर्मी खनिजों के उत्सर्जन से रंगा मिलता है। धुएँ के रंग का स्फटिक सदैव एक प्राकृतिक धूमैला स्फटिक होता है, 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्वलंत और गर्म-उपचारित स्फटिक और रत्‍न के मध्‍य का अंतर करने का कोई तरीका नहीं है, यदि यह ज्ञात हो कि अमुक स्फटिक कहाँ से आया है, तो एक शिक्षित अनुमान लगाना संभव है। उदाहरण के लिए ऑस्ट्रेलिया का प्राकृतिक धूमैला स्फटिक गहरा लगभग काले रंग का होता है, इसलिए यहॉ से प्राप्‍त काला धूमैला स्फटिक के प्राकृतिक होने की संभावना अधिक है, लेकिन अधिक जीवन्‍त छाया के लिए इसका रंग कृत्रिम रूप से विकिरणित हो सकता है। दुर्भाग्य से यह जानने का एकमात्र तरीका है कि स्फटिक को बढ़ाया गया है या नहीं, के लिए यह कहां से प्राप्‍त हुआ है और इसकी तुलना उसी स्थान से ज्ञात प्राकृतिक नमूनों से करते हुए यह देखा जा सकता है कि क्या रंग अपेक्षाकृत समान हैं। यदि वहॉ हल्के रंग के धूमैला स्फटिक उत्पाद है, तो विशेष रूप से गहरे रंग के नमूने संदिग्ध हो सकते हैं। विशेषकर यदि गुणवत्ता बहुत अधिक और कीमत अपेक्षाकृत न्‍यूनतम है।

विपणन हेतु उपलब्ध अधिकांश रत्‍न प्राकृतिक है, जो केवल शुद्ध गर्मी से ही नही, विकिरण के माध्यम से भी निर्मित होता है। जिनका तेजस काटने और पॉलिश करने से बढ़ता है। अधिकांश पारदर्शी उच्च गुणवत्ता वाले रंगहीन रत्‍न आकर्षण का केन्‍द्र होते हैं,  उनकी अपेक्षा कांच के रूप में अनूठा, प्रकाश-शील, चमकीले, इंद्रधनुषीय, कृत्रिम, आकर्षक प्रिज्म के साथ रंगहीन धूमैला स्फटिक नीरस और नगण्य प्रभाव के होते है। भुमिगत उपलब्‍ध प्राकृतिक विकिरण से प्रभावित होकर एल्यूमीनियम की अशुद्धियों के कारण एवं सिलिकॉन डाइ-ऑक्साइड से धुएँ के रंग (धूमैला) का स्फटिक मिलता है। कृत्रिम रूप से रेडियम या एक्स-रे के संपर्क में लाकर हल्‍का श्‍लेटी धूमैला स्फटिक को अधिक मूल्यवान श्रेणी में परिवर्तित किया जाता है, यह प्रक्रिया उष्मा-उपचार व्‍यवस्‍था में या सीधे खदान में भी किए जाते हैं। प्राय: कुछ समावेशन के साथ यह उत्कृष्ट पारदर्शी भूरे या श्‍लेटी रंग के बड़े स्फटिक में पाया जाता है। धूमैला स्फटिक के विषय में जितना ज्ञात है, उससे यह कहीं अधिक मजबूत और लचीला हैं।

सिलिकेट खनिज खनिजों का सबसे बड़ा परिवार है, जिसमें सभी ज्ञात खनिजों का 25% से अधिक और सभी सामान्य खनिजों का 40% सम्मिलित है। पृथ्वी की पपड़ी का एक प्रमुख हिस्सा होने के अतिरिक्‍त चंद्रमा व अन्‍य उल्कापिंडों में भी सिलिकेट खनिज पाए गए हैं। धूमैला स्फटिक भी एक प्रकार का सिलिकेट खनिज है, जिनमें सिलिकॉन (एक हल्के भूरे रंग की चमकदार धातु) और ऑक्सीजन (एक रंगहीन गैस) तत्व होते हैं, और दोनो तत्‍व साथ जुड कर त्रिकोण के समान आकार स्‍थापित करते हैं। जिसके केंद्र में एक सिलिकॉन परमाणु और तीनों कोनों में ऑक्सीजन परमाणु विभिन्न प्रकार के खनिजों और चट्टानों को बनाने के लिए, छह अलग-अलग तरीकों से अन्य रासायनिक संरचनाओं से जुड़ते हैं। सिलिकेट खनिजों के मुख्य समूहों को स्फटिक और फेल्डस्पर (पोटैशियम, सोडियम, कैल्सियम, तथा बेरियम के एजुमिनोसिलिकेट) जैसे द्वितीयक उप-विभाजनों में विभाजित जाता है, जिनमें स्फटिक परिवार के दो मुख्य समूह बनते हैं, एक विस्‍त़त स्फटिक और दूसरा सूक्ष्म-स्फटिक। जो सामान्‍यत: पारदर्शी ही होते हैं। इनमे सूक्ष्म-स्फटिक अपारदर्शी होकर श्‍लेटी या भूरी किस्म के धूमैला स्फटिक बनते है।

इसका सिलिकेट खनिज सूत्र SiO2, वर्गीकरण 04.DA.05, दाना वर्गीकरण 75.01.03.01, अंतरिक्ष समूह तिकोना-32, अस्पष्ट रत्‍न कठोरता-7, विशिष्ट गुरुत्व 2.65, बहुवर्णता कमजोर, लाल-भूरे से हरे-भूरे रंग तक, एसटीपी में अघुलनशील, 400 डिग्री सेल्सियस पर 1 पीपीएम द्रव्यमान और 500 डिग्री सेल्सियस पर 500 एलबी/इन2 से 2600 पीपीएम द्रव्यमान होता है।

ऐतिहासिक रूप से धूमैला स्फटिक का महत्व नहीं था, किन्‍तु आधुनिक युग में यह आभूषणों के लिए लोकप्रिय रत्न बन गया है। इसको स्कॉटलैंड के आधिकाधिक राज्यों में दिनांक 31 मई 1985 को रत्न के रूप राष्ट्रीय रत्न नामित किया गया था,जहाँ इसे केर्न्गोर्म पर्वत के नाम पर"केयर्नगॉर्म" कहा जाता है। तीव्र रोशनी से नेत्रों की बचत के लिए 12वीं शताब्दी से चीन में धूमैला स्फटिक के चपटे शीशे के धूप एैनक का प्रयोग किया जाता था और न्‍यायालय की कार्यवाही के मध्‍य कुछ न्यायाधीश मुख मण्डल के भावों को छिपाने के लिए इसका उपयोग आज भी होता हैं। गहरे भूरे रंग के साथ धूमैला स्फटिक पुरुषों के छल्ले और कफ़लिंक में प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में कई स्थानों पर पाये जाने से अपेक्षाकृत सस्ती सामग्री है। 

अध्‍यात्‍मिक सुधार, धातुई सुधार, अंक शास्‍त्र विज्ञान, टैरो, ज्योतिष, वास्तु, फेंग शुई, मानसिक सुधार और जैविक सुधार हेतु प्राक़तिक धूमैला स्फटिक उपयोग किया जाता है और शास्‍त्रानुसार इसकी अस्थिभंग, शंखपुष्पी, तप भंगुर आदि नामो से प्रसिद्धि है। धूमैला स्फटिक का एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक प्रभाव है, जो विशेष रूप से उच्च तनाव के समय मददगार करता है और उच्च-कंपन ऊर्जा के साथ काम करते समय धूमैला स्फटिक भु‍मिगत उर्जा से सम्‍पर्क रखने सहायक सिद्ध होता है। धूमैला शांत और प्रभावी उर्जा का बुनियादी रत्‍न है, यह कठिन समय में सहारा देता है और तनाव और बड़े दुःख को संभालने की क्षमता को बढ़ाता है। धूमैला स्फटिक में विशेषता है कि किसी संकट के समय आसपास रखने पर कार्यों की आवश्यकतानुसार उच्‍च स्तरीय सोच समझ और विचार निर्मित करता है। विशेष रूप से कैंसर रोगियों को कीमोथेरेपी से गुजरते मध्‍य तावीज़ के रूप में इसकी अत्यधिक अनुशंसा की जाती है क्‍योकि यह कैंसर पीडित के चिकित्सा यात्रा के मध्‍य जमीन से जुड़े रहने और आशावादी रह कर रोग से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। 

यह समग्र चिकित्सकों के लिए विशेष सहायक सिद्ध होता है क्‍योकि धूमैला स्फटिक का उत्‍क़ष्‍ठ उपयोग कर भुगर्भित शक्तिशाली ऊर्जा को भौतिक शरीर में स्‍थापित किया जा सकता है। धूमैला स्फटिक में मजबूत सुरक्षात्मक और शुद्ध करने वाले गुण होते हैं, जो आध्यात्मिक शिक्षकों और सहयोगियों को विवेकपूर्ण और सावधान रहने विषयक र्स्‍मति प्रदान करता है। धूमैला स्फटिक की विशेषता ही यही है कि यह वर्तमान भावनात्मक स्थिति पर ध्यान दिलाने की अपेक्षा समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित करने में धारक की सहायता ही करता है।

असहयोगी भावनाएँ कभी समाप्‍त नहीं होती है, ये समयावधि के उपरान्‍त आत्‍मबल के दुर्बल होने की स्थिति में पुन: वापसी के लिए तैयार रहती है। धूमैला स्फटिक उन क्षीण भावनाओं को दूर करने में सहायक है, जो धारक के लिये हानिकर हैं। केवल सहायक भावनाओं को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित कर उनके माध्यम से आगे की प्रक्रिया को प्रबलता प्रदान करती है, जिसके प्रभाव से धारक आवश्यकतानुसार बिना उत्‍तेजना के शान्‍त मन:स्थिति से निर्णय लेकर कार्य सम्‍पादित करता है। इसीलिए अत्‍यधिक व पुराने तनाव की स्थिति में शारीरिक रूप से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को धूमैला स्फटिक के लिये प्रेरित किया जाता है। साथ ही मूल समस्याओं की पहचान कराकर उसे हल करने पर ध्यान केंद्रित कराते हुए तनाव के परिणाम से उत्पन्न विचलित होने वाले लक्षणों को धारक में शान्ति एवं ठहराव रूप में उत्‍पन्‍न कराता है।

यह धारक की समझदारी मे ब़द्धि कराते हुए स्‍मरण कराता है कि अगर मूल कारणों से निपटते हैं, तो अन्‍य समस्याएं स्‍वत: ही कम हो जाएंगी। पीठ या पैरों से संबंधित समस्याओं से घीरे किसी भी भीज्ञ के लिए यह एक अद्भुत ताबीज है। धूमैला स्फटिक हर स्थिति को व्यावहारिक रूप में लेकर यथासंभव जीवन शैली में बदलाव करने हेतु धारक को प्रोत्साहित करता है। यह धारक को आसपास के संसार से तालमेल और एक रूपता बनाये रखने में अधिक सहायता करता है और एकांकी क्षण में भी समरूपता और संसारिक आभास सदैव करता रहता है, जिससे उच्‍च स्तरीय सोच समझ और विचार की नि‍र्माणी-प्रक्रिया से धारक में जीवित रहने के कारण उत्‍पन्‍न होने लगते हैं। जिसके परिणाम स्‍वरूप नकारात्मक ऊर्जाओं को निश्चित रूप से शनै शनै भंग कर कालान्‍तर में धारक को धन्य करता है। ऐसे में जीवन के संतुलन में समरूपता, संसारिक व स्‍वयं की वास्तविकता और व्यावहारिकता में सुधार होता जाता है और समस्‍त पीडाओ की अनुभूति भी न्‍यूनतम होती जाती है। धूमैला स्फटिक समस्या और समाधान के अन्‍तर को दिखाने वाला रत्‍न हैा जो समय आने पर उचित कार्रवाइयों के लिये प्रोत्‍साहित कर मानसिक नियंत्रण देने कर कर्म के मार्ग के भावी संकटो से सचेत कर पीडा मुक्‍त करता जाता है। 

धूमैला स्फटिक से सम्बन्धित लाभ व रोचक महत्वपूर्ण जानकारियॉ -

  1. तुला राशि के जातको में भीतर से देखने और लंबे समय से दबे हुए घावों को ठीक करने का साहस देता है।
  2. धुमैला स्‍फटिक मकर राशि के जातको में आत्म-आलोचना की प्रवृत्ति को कम करने में सहायक है।
  3. वृषभ, कन्या, वृश्चिक,मीन राशियो में न्‍मे जातकों के लिये काला धुमैला स्‍फटिक रक्षक/शासक/अभिभावक/देवदूत माना जाता है।
  4. सिंह, तुला, कुंभ राशियो में जन्‍मे जातकों के लिये भूरा धुमैला स्‍फटिक रक्षक/शासक/अभिभावक/देवदूत माना जाता है।
  5. भूरा धुमैला पृथ्वी की दैवीय शक्तियो, बिजली का संयोगी रत्‍न और काला धुमैला शासक और भाग्य दूत संयोगी रत्‍न कहा जाता है।
  6. काला धुमैला स्‍फटिक वातावरणीय नकारात्मक पहलू को भी समाप्त कर जीवन को सुन्‍दर बनाने का मार्ग प्रशस्‍त करता है।
  7. यह शनि, बुध और राहू ग्रह की नकारात्मक्ता को कम कर शान्ति प्रदान करता है।
  8. विशेष रूप से शनि और बुध के सयुक्त दुष्प्रभाव को शांत करता है।
  9. धुमैला स्‍फटिक को भोग की देवी का पवित्र प्राचीन पत्थर माना जाता था, जिसमें पृथ्वी के देवी-देवताओं का वास है।
  10. मान्‍यता है कि काला धुमैला स्‍फटिक शक्तिशाली अंधेरी शक्ति का प्रतीक है,जो महान सुरक्षात्मक गुण रखता है।
  11. धूमैला स्फटिक समस्या और समाधान के अन्‍तर को दिखाने वाला रत्‍न हैा
  12. यह मूल समस्याओं की पहचान कर समय आने पर उचित कार्रवाइयों के लिये प्रोत्‍साहित करता है।
  13. यह मानसिक नियंत्रण देकर कर्म के मार्ग के भावी संकटो से सचेत कर पीडा मुक्‍त करता जाता है। 
  14. समझदारी से याद दिलाता है कि अगर मूल कारणों से निपटा जाये, तो समस्याएं शून्‍य या नगण्‍य हो सकती है।
  15. विपरीत स्थितियों, संभावनाओं, स्वास्थ्य, दृष्टिकोण या संबंधों को सकारात्मकता में बदलने के प्रयासों को धुमैला स्‍फटिक बढ़ाते हैं।
  16. स्‍वयं में बदलाव कर जीवन को बदलने की क्षमता का रत्‍न धुमैला स्‍फटिक को ही माना जाता है।
  17. यह कैंसर पीड़ित हेतु सबसे उत्कृष्ठ रत्नो में से एक है, क्योकि कीमोथेरेपी से गुजरने वाले संभावित दुष्प्रभावों के भय को कम करता है।
  18. धुमैला स्‍फटिक वैज्ञानिक, साहसी, शोधकर्ता, विद्यायर्थी, शिकारी, पथिक और खोजकर्ता का कवच रत्‍न या तावीज़ हैं।
  19. धुमैला स्‍फटिक का धारण कर नृत्य सीखने, एक नई भाषा बोलने, मजबूत बनने, गुणी जीवनसाथी या बच्चे बनने बना जा सकता है।
  20. पृथ्वी शक्ति के साथ बढ़ने, नई क्षमताओं को विकसित करने और जीवन को बदलने के प्रयासों में सहायता करने के लिए उत्कृष्ट तावीज़ हैं।
  21. नई परियोजना आरम्भ करने के गृह स्‍थल, शिशु के कक्ष, भोजन के कक्ष की उर्जा को बढ़ाने के लिए भूरे धुमैला स्‍फटिक का उपयोग होता है।
  22. मान्‍यता है कि धुमैला स्‍फटिक पिछली दुनिया या शरीर से बाहर की यात्रा के लिए एक सूक्ष्म मार्ग बनाता है।
  23. धुमैला स्‍फटिक के गोले से रोशनी की चमक मन को अपने पथ का अनुसरण करने का सबसे प्रभावी प्रयोग है।
  24. धुमैला स्‍फटिक लकड़ी की ऊर्जा, विकास की ऊर्जा, विस्तार, नई शुरुआत, पोषण और स्वास्थ्य का द्योतक ही माना गया है।
  25. यह जीवन शक्ति को शारीरिक रूप से विकसित कर प्रचुरता बढ़ाकर परिवार और स्वास्थ्य क्षेत्र में समृद्धि दिलाता है।
  26. व्‍यापारियाे व व्यवसायियों के लिए यह मानसिक एवं संसारिक उन्‍न्‍ति का उत्कृष्ट कवच भी है
  27. यह अधिक सहयोगी बनने और टीम-खिलाड़ियों के रूप में कार्य करने में भी मदद करता है।
  28. पुराने तनाव से शारीरिक पीड़ित व्यक्ति हेतु यह रामबाण रत्‍न होता है,इसलिये पीड़ित व्यक्ति को इसको धारण करने की सलाह दी जाती है।
  29. तनाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न विचलनकारी लक्षणों काे समाप्‍त कर बुरे सपने को रोकने के लिए धूमैला स्फटिक उत्कृष्ट रत्‍न है।
  30. मानसिक तनाव को कम कर जीवन को सुखी व शान्तिपूर्ण बनाये रखने में चिकित्‍सक की भूमिका निभाता है।
  31. अवसादी पीड़ित व्यक्ति के लिए धूमैला स्फटिक एक सौम्य साथी है, क्योकि धारक की आधिकांश समस्‍या कम या गायब होती जाती है।
  32. पीठ या पैरों से संबंधित समस्याओं वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक अद्भुत रत्न है।
  33. धूमैला स्फटिक प्रोत्साहित करता है कि हर स्थिति को व्यावहारिक रूप में लेकर यथासंभव जीवन शैली में बदलाव करें।
  34. धूमैला स्फटिक की ऊर्जा उच्च स्‍तरीय मित्रवत कार्य करता है और परिवार के साथ अच्‍छे प्रकार से कार्य करता है।
  35. धुमैला स्‍फटिक संवेदनात्‍मक प्रतिक्रिया रोककर भावनात्मक परिपक्वता विकसित करने में मित्र की भुमिका अदा करता है।
  36. आनंद के समय में वास्तविक स्थिति का आंकलन कराने के साथ ही उनके मूल कारणों को अद्भुत स्पष्ट दृष्टि देता है।
  37. वातावरणीय नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर अवसाद को दूर करने की क्षमता धुमैला स्‍फटिक में मानी जाती है।
  38. निराशा, चिंता या ईर्ष्या से पीड़ित बुरी भावनाओं को हावी नही होने देता है और शक्तिशाली तरीके से मानसिक उर्जा बढाता है।
  39. धुमैला स्‍फटिक तकनीक और मिट्टी से जुड़े कार्यो में अनूठी मानसिक संवेदना और क्षमता उत्पन्न करता है।
  40. धुमैला स्‍फटिक स्कॉटलैंड में मुकुट, तलवार और राजदंड में प्रयुक्त होने के कारण इसे रॉयल ज्वेल्स कहा जाता है।
  41. स्विट्ज़रलैंड,जर्मनी और ऑस्ट्रिया में पारंपरिक रूप से शयनकक्ष की दीवारों पर इसको बुरी किस्मत के विरूद्ध संरक्षक के रूप में प्रयोग करते हैं।
  42. इसका पौराणिक अनुष्ठानों में मौजूद किसी भी हानिकारक शक्तियो सुरक्षात्‍मक कवच प्रदान करने का इतिहास रहा है।
  43. पौराणिक अनुष्ठानों की छड़ी के शीर्ष पर धुमैला स्‍फटिक का बहुतायत उपयोग किया जाता था।
  44. इसका उपयोग मानवीय और जादुई दोनों तरह की बुराई को दूर रखने के लिए रखा गया था।
  45. जैसे चट्टान के भीतर की धुन्‍ध सभी धुंधलेपन को निगल कर सहज और मानसिक अंतर्दृष्टि की समझ को बाधित कर सकता है, ठीक वैसे ही जीवन में अस्पष्ट होने से परे देखने की क्षमता धुमैला स्‍फटिक देता है।
  46. यह स्‍फटिक मन की शक्ति के साथ प्राकृतिक ऊर्जा को संरेखित कर ऊर्जा संरचना सुदृन कर साधक की नीतनए क्षितिज व नई क्षमताओं का रास्ता सरल करता है।

धूमैला स्फटिक से सम्बन्धित कमियाँ व हानि

 

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