संकलन : जया मिश्रा Advocate तिथि : 25-12-2022
रत्न केवल शोभा बढ़ाने का साधन नहीं है बल्कि अलौलिक शक्ति का समावेश भी कराते हैं, जिस कारण से मानवीय जीवन सुखमय, उल्लासपूर्ण बनाने की अप्रतिम क्षमता रत्नों में मानी जाती है। रत्न शास्त्रानुसार सुलेमानी गोमेद (ONYX) उन्नत प्रभावी क्षमताओ और रंगो के कारण बहुत ही प्रभावशाली और एक बहुगुणी उपरत्न के रूप में प्रसिद्धि है, जो हरे, हरे-पीले रंग के मिश्रण तथा तोतिया-हरे कई रंगों में पाए जाते हैं, इसके अतिरिक्त सुलेमानी गोमेद सफेद अथवा धूम्र वर्ण में भी मिलते है। इनमें लाल, भूरे, काले, सफेद तथा धूम्र वर्ण की धारियाँ गहरे या हल्के वर्ण में बनी होती हैं। हरे सुलेमानी गोमेद को तर्कसंगत पन्ना रत्न के विकल्प के रूप में धारण कराया जाता है। वर्तमान काल में सजावटी आभूषणों में सामान्यत: सुलेमानी गोमेद प्रयुक्त होते हैं क्योंकि यह आकर्षक एवं काले रंग की मनमोहक पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं, जो हर रंग के साथ खिल उठते हैं।
सुलेमानी गोमेद को उसकी चमक और गुणवत्ता के अनुसार सरलता से परखा जाता है। यह उपरत्न जितना चमकीला,चिकना, साफ, बिना किसी दरार का होगा, यह उतना ही उत्तम व श्रेष्ठ श्रेणी का होता है। इस पर प्रकाश पड़ने पर उपरत्न की चमक दूर तक फैलती है। उबड़-खाबड़ और मिलेजुले रंग का उपरत्न सामान्य श्रेणी का माना जाता है, किन्तु एक ही रंग का उपरत्न वृद्धि करने की क्षमता में सहायक और श्रेष्ठ होता है। सुलेमानी गोमेद की गुणवत्ता, रंग, पारदर्शिता और वास्तविकता के आधार पर ही मूल्य का निर्धारण होता है और साधारणतया इसे बड़ी ही सरलता से सामान्य मूल्य पर प्राप्त किया जा सकता है। ऐतिहासिक कुछ टुकड़े या जटिल रूप से उकेरा गया उपरत्न अधिक मूल्यवान माने जाते हैं।
सामान्यतः यह एक अपेक्षाकृत कठोर रत्न है, जिसे रगड़ने से भी खरोंच नहीं मिलेगा, किन्तु तीव्रता से प्रहार किया जाये तो यह खण्डित हो सकता है। आमतौर पर हरा सुलेमानी गोमेद, मूल रूप से क्वार्ट्ज खनिज प्रजाति का रत्न है, जो बहुतायत लचीले क्रिस्टल हरे रंग में आता है। सुलेमानी गोमेद को रासायनिक संरचना में SiO2 (सिलिकॉन डाइऑक्साइड) कहा जाता है, इसमें पत्थर उत्पाद निर्दिष्टीकरण कठोरता पैमाना-7, विशिष्ट गुरुत्व-2.58-2.62 (कैल्सेडनी), अपवर्तनांक-1.530 – 1.539 (मतलब-1.53), समावेशन-बैंड, काई की तरह, फाइबर और क्रोमियम के कारण रंगो में परिवर्तन प्रदर्शित होता है।
इसका उत्पादन व उत्पत्ति विश्व भर में है, किन्तु भारत, ब्राजील, अमेरिका, अफ्रीका, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया आदि राष्टो में अधिकाधिक है। सिलिका खनिज के तलछट से सुलेमानी गोमेद अस्तित्व में आता है, जो लावे की गैस कैविटी में होता है, जिसके कारण रत्न पर धारियां आती हैं। सुलेमानी गोमेद कैल्सेडनी की रंग बरंगी पट्टियों से निर्मित होता है। कैल्सेडनी की परिभाषा मरमोरा समुद्र की प्राचीन बंदरगाह कैल्सेडन से आयी है।
ओनीक्स शब्द का अर्थ यूनानी भाषा में नसों सी सूक्ष्म धारियां है और ओनीक्स शब्द का उपयोग यूनान में नख या पंजे के लिए भी होता है, जिसके पीछे रोचक किवदन्ती भी है कि देवी वीनस सिंधु नदी के किनारे पर आराम करते करते निद्रा में आ गई, तभी तभी उनके पुत्र प्रेम के देवता (कामदेव) ने प्रेमबाण छोड़ दिया और अकस्मात ही उस बाण के नोक ने देवी के नखो (नाखून) को तराश कर सुंदर आकार देते उन भागो को काट कर पृथक कर उस भागो को नदी में गिर दिया, जो कालान्तर पश्चात सुलेमानी गोमेद के रूप में उभर कर सम्मुख आया। साथ ही ग्रीक मूल भी मानते थे कि कामदेव ने अपनी मां वीनस को प्रेमबाण से मारा, तो उनके नाखूनों को कटकर माउंट ओलिंप से नीचे सिंधु नदी में जा गिरे, जहां ये दिव्य पत्थर में परिवर्तित हो गए, जिन्हें अब सुलेमानी गोमेद कहा जाता है। इसीलिए शोक रत्न के रूप में सुलेमानी गोमेद की धारणा अभी भी कुछ हद तक प्रचलित है।
कई संस्कृतियों में मान्यता है कि सुलेमानी गोमेद नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है और यह जितनी अधिक नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करेगा, उसका रंग उतना ही गहरा होता जाता है। प्राचीन तन्त्र शास्त्रानुसार इस रत्न के भीतर दानव की अभिव्यक्ति कैद है, जो रात्रि में सक्रिय होकर आतंक फैलाती है। इसीलिये काले रंग का रत्न सर्वाधिक लोकप्रिय है। कुछ सम्यताओ में काले रंग के रत्न को काले जादू से बचाव हेतु प्रयोग किया जाता है। ऐतिहासिक तथ्यानुसार प्राचीन रोमनों का मानना था कि सुलेमानी गोमेद पत्थरों में निशाचरी राक्षस कैद हैं, जो रिश्तों को तोड़ने का प्रयास कराते रहते हैं, इसीलिये युद्ध के देवता (मंगल) का चित्रिण किया हुआ ताबीज युद्ध में लेकर जाने से रोमन सैनिकों को साहस मिलता था। इन तिरस्कृतपूर्ण सुलेमानी गोमेद युक्त ताबीजों के उपयोग से प्राचीन फारस में मिर्गी रोग का इलाज भी किया जाता था। चीन में भी मान्यता थी कि सुलेमानी गोमेद धारण कर दृढ़ संकल्प और सहनशक्ति प्राप्त कर आत्मरक्षा होती है। विक्टोरियन कालीन मान्यतानुसार सुलेमानी गोमेद संयम और उदासी का प्रतिनिधित्व करता है, जिस कारण से सुलेमानी गोमेद शोक आभूषणों हेतु प्रयोग किये जाते थे।
वर्ष 1930 से 1940 के दशक के मध्य ऑस्ट्रिया में मूर्तियों, व्यंजनों और कलात्मक कृतियों में ब्राजीलियन हरे सुलेमानी गोमेद का बहुतायत उपयोग किया गया है। प्लिनी द एल्डर ने सुलेमानी गोमेद को प्राकृतिक औषधीय उपचारों के रूप में भी प्रयोग किया, जिससे यह पूरे प्राचीन ग्रीस और प्राचीन रोम में प्रसिद्ध हो गया और क्लियोपेट्रा प्राचीन मिस्र में रक्षा हेतु और आगामी संकटो के प्रति सचेत रहने के लिए सुलेमानी गोमेद आभूषण प्रयुक्त होते थे। सेंट पीटर्सबर्ग में मरिंस्की थिएटर और पेरिस में होटल डे-ला-पाइवा में पीले सुलेमानी गोमेद से भारी रूप से चित्रित किया गया है।
इंग्लैंड में दाइयों द्वारा शिशु जन्म के अवसर पर प्रसव पीड़ा कम किये जाने हेतु माँ के स्तनों के मध्य भाग में सुलेमानी गोमेद के आभूषण या ताबीज को रखकर शिशु जन्म को सरल बनाया जाता था। इसीलिये इंग्लैंड के पुरुषों और महिलाओं के लिए पारम्परिक विभिन्न प्रकार के आभूषणो में हीरे के साथ सुलेमानी गोमेद अधिक दिखते हैं। मान्यता यह भी थी कि अंधेरी रातों या एकान्त कालीन अवधि में भावनात्मक शक्ति एवं सुरक्षात्मक क्षमताओं को संचारित किये जाने हेतु सुलेमानी गोमेद का उपयोग करने से आपसी सम्बन्ध भविष्य में जीवित रहेंगे।
ऊर्जा की नकारात्मकता को न्यूनतम कर दैहिक विषाक्त तत्वो को बाहर कर भीतरी शुद्धता का संचार कराना इस उपरत्न की विशेषता मानी जाती है, जिससे धारक का प्रभामण्डल जागृत होता है और चहुओर धारणकर्ता की शुभता फैलने लगती है। सुलेमानी गोमेद की अच्छी देखभाल करना महत्वपूर्ण है ताकि उपचारी लाभों को प्राप्त किया जा सकें। विशेष रूप से काला सुलेमानी गोमेद धारण से दुख, अलगाव या मृत्यु आदि कष्टों से मुक्ति में सहायता मिलती है और इस उपरत्न के आभूषणों को पहनने से सुरक्षा की भावना बढ़ती है और नियमित रूप से गर्म पानी व नरम साबुन से धोने पर सुलेमानी गोमेद आभूषण को प्रभाव बढ़ता है। काले सुलेमानी गोमेद को कंठहार के रूप में धारण कर वासनात्मक भावनाओं पर नियन्त्रित कर वासना को कम कर सकते है। कानून, न्याय और अन्य आधिकारिक कार्यों की बात आती है तो सुलेमानी गोमेद बेहतर परिणाम देने के लिए जाना जाता है।
सुलेमानी गोमेद के सम्बन्ध में ज्योतिषीय परामर्श:-
सुलेमानी गोमेद को चांदी व श्वेत स्वर्ण धातु के अतिरिक्त पंचधातु में भी धारण कर सकते हैं, किन्तु अधिकतर चांदी धातु में ही धारण किया जाता है। सुलेमानी गोमेद धारण करने से एक रात्रि पूर्व गंगाजल, शहद, मिश्री व दूध के मिश्रण में मुद्रिका रख कर बुधवार की तिथि को सूर्योदय से 10 बजे के मध्य तक धूप दीप इत्यादि अर्पित कर ऊं बुं बुधाय नमः मंत्र से 108 बार जाप पूर्ण कर सुलेमानी गोमेद जड़ित रजत मुद्रिका कनिष्ठा उंगली में धारण करते हैं।
सुलेमानी गोमेद से सम्बधित रोचक व महत्पूर्ण तथ्य
(नोट:- प्रकाशक यह दावा नहीं करता है कि इन रत्नों को अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। यह रत्न पाठक के व्यक्तिगत जीवन के लिए शत प्रतिशत भाग्यशाली होने या ना होने के संदेह, उपचारात्मक समाधान व निराकरण हेतु उपयुक्त, वरिष्ठ एवं अनुभवी ज्योतिषीय से उचित मार्गदर्शन और सलाह आवश्यक हो जाती है।)
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